
Indian and US trade representatives discuss tariff reductions and market access in a high-level diplomatic meeting.
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: शुल्क विवाद के समाधान की उम्मीद
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता, जिसमें टैरिफ कटौती, सेवा क्षेत्र में रियायतें और डिजिटल व्यापार पर चर्चा होगी। जानें इस बैठक के प्रमुख बिंदु और संभावित प्रभाव।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता आज से शुरू होने जा रही है, जिसमें दोनों देशों के बीच शुल्क और व्यापारिक नीतियों को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों के कारण वैश्विक व्यापार संबंधों पर असर पड़ा है। सूत्रों के अनुसार, यदि अमेरिका भारत को कुछ व्यापारिक रियायतें देता है, तो भारत भी 55% आयातित वस्तुओं पर टैरिफ में कटौती कर सकता है।
अमेरिका की मांग: ऑटोमोबाइल, व्हिस्की और GM खाद्य उत्पादों के लिए बाजार पहुंच
अमेरिका भारत से ऑटोमोबाइल, व्हिस्की और कुछ कृषि उत्पादों, विशेष रूप से जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) खाद्य उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने की मांग कर सकता है। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि इन उत्पादों पर भारत में उच्च टैरिफ लगाया जाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है।
हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अपने टैरिफ नीति पर नरमी के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने कहा था कि 2 अप्रैल से कुछ देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए जाएंगे, लेकिन हाल के बयानों से संकेत मिलता है कि भारत सहित कई देशों को छूट दी जा सकती है। इस घोषणा के बाद भारत सरकार ने अमेरिका की संभावित मांगों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार कर ली है।
भारत की प्राथमिकताएं: सेवा क्षेत्र और टैरिफ रियायतें
भारत की मुख्य प्राथमिकता अमेरिकी जवाबी टैरिफ में छूट पाना और अपने सेवा क्षेत्र को अमेरिका में अधिक अवसर दिलाना है। सूत्रों के अनुसार, भारत विशेष रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर जोर देगा:
- टैरिफ रियायतें: अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों से भारतीय निर्यातकों को राहत मिले।
- सेवा क्षेत्र में रियायतें: भारतीय आईटी और पेशेवर सेवाओं के लिए अमेरिका में अधिक अवसरों की मांग।
- डिजिटल व्यापार और डेटा लोकलाइजेशन: भारत के डेटा संरक्षण नियमों पर अमेरिका के रुख को लेकर चर्चा।
डिजिटल व्यापार और डेटा सुरक्षा पर टकराव की संभावना
डिजिटल व्यापार को लेकर भारत और अमेरिका के बीच मतभेद हो सकते हैं। भारत का सख्त डेटा लोकलाइजेशन नियम अमेरिकी कंपनियों के लिए चिंता का विषय है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, भारतीय नागरिकों का डेटा देश में ही स्टोर किया जाना चाहिए। अमेरिका चाहता है कि इन नियमों में ढील दी जाए ताकि वैश्विक तकनीकी कंपनियों को अधिक स्वतंत्रता मिल सके।
भारत टैरिफ में कटौती को लेकर तैयार?
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका से आयातित 23 अरब डॉलर के 55% उत्पादों पर टैरिफ कम करने के लिए तैयार हो सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी जवाबी टैरिफ से बचाव करना है, जिससे भारत को 66 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
ट्रंप प्रशासन की रणनीति: शुल्क बढ़ाने या छूट देने का दोहरा रुख
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन “टैरिफ अधिनियम 1930” और “इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट” जैसे प्रावधानों का उपयोग कर कुछ उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगा सकता है। हालांकि, अमेरिका कुछ देशों को रियायत देने पर भी विचार कर रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार को स्थिरता मिल सकती है।
आगे की राह: क्या भारत और अमेरिका समझौते पर पहुंचेंगे?
भारत और अमेरिका के बीच यह व्यापार वार्ता दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होगी। भारत जहां अमेरिकी टैरिफ से बचाव और सेवा क्षेत्र में रियायतें चाहता है, वहीं अमेरिका अपने कृषि, ऑटोमोबाइल और डिजिटल व्यापार को लेकर आक्रामक रुख अपना सकता है।
नई दिल्ली में होने वाली बैठक में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) जेमिसन ग्रीर के बीच चर्चा होगी। इस वार्ता का उद्देश्य व्यापार समझौते को मजबूत करना और शुल्क विवाद को सुलझाना है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि दोनों देश कुछ प्रमुख मुद्दों पर सहमति बना लेते हैं, तो द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और अमेरिका शुल्क विवाद को सुलझाने में सफल होते हैं या नहीं।
India-US Trade Talks: Key Discussions on Tariff Reduction and Market Access