
India strongly responds to Pakistan at UNGA, exposing false claims of peace.
UNGA में भारत का सख़्त जवाब: आतंक बंद करो, तभी अमन संभव
पाकिस्तानी छलावे का पर्दाफ़ाश: भारत का करारा पलटवार
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न्यूयॉर्क/नई दिल्ली
27 सितम्बर 2025
असिफ़ ख़ान
अमन की आड़ में दहशतगर्दी का खेल: भारत ने खोला पाकिस्तान का सच
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के ख़िलाफ़ ज़हर उगला और शांति का ढोंग रचा। भारत ने जवाब देते हुए कहा – अगर पाकिस्तान सच्चा है तो सभी आतंकवादी शिविर बंद करे और भारत में वांछित आतंकियों को सौंपे। भारत ने पाकिस्तानी झूठ को आईने की तरह सामने रखकर पूरी दुनिया के सामने उसकी असलियत उजागर कर दी।
पाकिस्तान का पुराना खेल
भारत और पाकिस्तान का रिश्ता हमेशा उथल-पुथल से भरा रहा है। कभी क्रिकेट डिप्लोमेसी की बातें होती हैं तो कभी गोलीबारी की गूंज। पाकिस्तान के नेताओं की तक़रीरें भी इसी उतार-चढ़ाव का हिस्सा रही हैं। हर बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान एक ही रट लगाता है – “भारत कश्मीरियों पर जुल्म ढा रहा है, हम अमन चाहते हैं।” मगर हक़ीक़त में अमन के नाम पर पाकिस्तान का सबसे बड़ा खेल ही आतंकवाद का सहारा लेना रहा है।
इस बार भी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने वही किया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान भारत से “अमन” चाहता है, लेकिन साथ ही अपने पायलटों की तारीफ़ करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के सात फाइटर जेट गिरा दिए। सवाल यह है कि अगर कोई देश सच्चा अमन चाहता है तो क्या वह जंग की डींगे हाँकता है?
भारत का करारा जवाब
भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने साफ़ शब्दों में जवाब दिया। उन्होंने कहा – “अगर पाकिस्तान ईमानदारी से अमन चाहता है तो रास्ता साफ़ है – आतंकवादी कैंप बंद करो और भारत में वांछित आतंकियों को सौंप दो।”
यह जवाब सिर्फ़ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि एक राजनयिक बयान था जिसने पूरी दुनिया को पाकिस्तान की असलियत दिखा दी। गहलोत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का राजनीतिक और सार्वजनिक विमर्श कट्टरता और नफ़रत से भरा है। ऐसे देश का अमन की बात करना दरअसल एक नाटक है।
पाकिस्तान की रणनीति और झूठ
पाकिस्तान की राजनीति की जड़ में हमेशा दो बातें रही हैं – सेना का वर्चस्व और भारत विरोध। हर पाकिस्तानी नेता, चाहे वो नवाज़ शरीफ़ हों या इमरान खान या अब शहबाज़ शरीफ़, जब भी घरेलू राजनीति में दबाव में आते हैं तो भारत पर आरोप लगाने लगते हैं। इससे जनता का ध्यान अपने असली मुद्दों से भटकाना आसान हो जाता है।
इस बार भी शरीफ़ ने “ऑपरेशन सिंदूर” का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया। मगर उन्होंने यह नहीं बताया कि ये ऑपरेशन क्यों हुआ। दरअसल मई 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। उसका सीधा संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क से निकला। भारत की जवाबी कार्रवाई में सिर्फ़ आतंकियों के ढांचे को निशाना बनाया गया, न कि पाकिस्तानी सेना या नागरिकों को। लेकिन पाकिस्तान ने इसे “भारत की आक्रामकता” करार दिया।
भारत की नीति – आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
भारत ने बार-बार दुनिया को बताया है कि आतंकवाद और उसके सरपरस्तों में कोई अंतर नहीं है। जो देश आतंकियों को पनाह देते हैं, वे उतने ही गुनहगार हैं जितने हथियार उठाने वाले। भारत का साफ़ संदेश है – “No double standards.” चाहे वो सीमा पार से घुसपैठ हो, पुलवामा जैसा हमला हो या पाकिस्तान की ज़मीन से चलने वाले नए-नए आतंकी कैंप – भारत किसी भी हाल में खामोश नहीं बैठेगा।
पेटल गहलोत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा – “हम परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं देंगे।” यह सीधा संदेश पाकिस्तान के उस रवैये को निशाना बनाता है जहाँ वो हर बार “न्यूक्लियर खतरे” का हवाला देकर दुनिया से सहानुभूति बटोरने की कोशिश करता है।
वैश्विक असर
आज के दौर में जब आतंकवाद पूरी दुनिया की समस्या बन चुका है, पाकिस्तान का यह रवैया दुनिया के लिए भी खतरनाक है। अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों ने भी महसूस किया है कि पाकिस्तान आतंक का सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। भारत का कड़ा रुख़ न केवल अपने हितों की रक्षा करता है बल्कि पूरी दुनिया को चेतावनी भी देता है कि आतंकवाद की जड़ें काटे बिना कोई शांति संभव नहीं।
शरीफ़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ़ करते हुए कहा कि उनकी कोशिशों से भारत-पाक के बीच सीज़फ़ायर संभव हुआ। लेकिन यहाँ भी सवाल उठता है – क्या हर बार किसी तीसरे देश को बिचौलिया बनना चाहिए? क्या पाकिस्तान खुद इतनी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं रखता कि आतंकवाद पर लगाम लगाए और भारत के साथ ईमानदार बातचीत करे?
भारत की मज़बूत स्थिति
आज का भारत बीते वक्त का भारत नहीं है। 26/11 के दौर का भारत जहाँ सिर्फ़ “कड़ी निंदा” करता था, अब कड़ी कार्रवाई करता है। सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और हालिया ऑपरेशन्स ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर भारत का बयान सिर्फ़ एक जवाब नहीं बल्कि एक रणनीतिक पोज़िशनिंग है। भारत अब पीड़ित की भूमिका में नहीं बल्कि निर्णायक शक्ति की भूमिका में नज़र आता है।
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पाकिस्तान को आईना
पाकिस्तान आज जिस मुकाम पर है, वो उसकी अपनी नीतियों का नतीजा है। आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता, IMF के कर्ज़, सेना की पकड़ और जनता की बदहाली – सब मिलकर पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग कर रहे हैं। ऐसे में भारत पर आरोप लगाना उनके लिए आसान रास्ता है। मगर इस बार भारत ने उनका यह खेल सीधा दुनिया के सामने खोल दिया।
पेटल गहलोत का बयान सिर्फ़ शरीफ़ को नहीं, बल्कि पूरी पाकिस्तानी राजनीति को आईना दिखाने जैसा था। एक ऐसा आईना जिसमें पाकिस्तान का असली चेहरा – आतंक, नफ़रत और झूठ – साफ़ नज़र आता है।