
इससे भारतीय नौसेना की सामरिक और आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन पनडुब्बियों के बनने से नौसेना की ताकत हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अधिक हो जाएगी।
नई दिल्ली (Shah Times): भारत हर आने वाले दिन के साथ कोशिश कर रहा है कि समुद्र से लेकर हवा तक भारतीय ताकत को बढ़ाया जाये। ऐसे में एक और पहल सामने आई है। भारत सरकार की सीसीएस यानी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की अनुमति दे दी है।
भारतीय नौसेना को मिलेगी ताकत
इससे भारतीय नौसेना की सामरिक और आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन पनडुब्बियों के बनने से नौसेना की ताकत हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अधिक हो जाएगी।
विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर होगा काम शुरू
पनडुब्बियों को विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा। इस बनाने में लार्सेन एंड टुब्रो जैसी निजी कंपनियों की मदद भी ली जा सकती है। पनडुब्बियां 95 फीसदी तक स्वदेशी होंगी। ये पनडुब्बियां अरिहंत क्लास से अलग होंगी। इन्हें प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल के तहत बनाया जाएगा।
अभी दो बाद में चार बनेंगी
अभी दो पनडुब्बियां बनेंगी, इसके बाद चार और बनाई जा सकती है। जबकि भारत ने हाल ही में अपनी दूसरी SSBN यानी परमाणु पनडुब्बी INS Arighat कमीशन की है। अगले साल भर के अंदर भारतीय नौसेना में अलग-अलग तरह के कई युद्धपोत और सबमरीन मिलने वाले हैं।
यह होगी खासियत
इस क्लास के डेस्ट्रॉयर्स में 32 बराक 8 मिसाइलें, 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल 4 टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, 7 प्रकार के गन्स होते हैं। ध्रुव और सी किंग हेलिकॉप्टर तैनात हैं। ये ऐसे युद्धपोत हैं, जिनसे लगातार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है।
यह होगी क्षमता
इसकी लंबाई लगभग 221 फीट, बीम 20 फीट और ऊंचाई 40 फीट होती है। पानी की सतह पर इसकी गति 20 KM प्रतिघंटा है। पानी के अंदर ये 37 KM प्रतिघंटा की स्पीड से चलती हैं। यह 50 दिनों तक पानी के अंदर बिता सकती है। अधिकतम 350 फीट की गहराई जा सकती है। इसमें 8 सैन्य अधिकारी और 35 सेलर तैनात किए जा सकते हैं।