भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर

 

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां उद्योग संगठन फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रमुख कार्यक्रम ‘फिबैक 2024’ को संबोधित करते हुये कहा “ एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा युवा और गतिशील आबादी; लचीली और विविध अर्थव्यवस्था; मजबूत लोकतंत्र और उद्यमिता और नवाचार की समृद्ध परंपरा सहित कई कारकों के अनूठे मिश्रण से ताकत हासिल कर रही है।

मुंबई,(शाह टाइम्स)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों और बाजारों में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं और देश बदलाव के लिए तैयार है तथा चालू वित्त वर्ष में आरबीआई की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत का अनुमान सही है।


भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां उद्योग संगठन फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रमुख कार्यक्रम ‘फिबैक 2024’ को संबोधित करते हुये कहा “ एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा युवा और गतिशील आबादी; लचीली और विविध अर्थव्यवस्था; मजबूत लोकतंत्र और उद्यमिता और नवाचार की समृद्ध परंपरा सहित कई कारकों के अनूठे मिश्रण से ताकत हासिल कर रही है।”


गवर्नर ने कहा कि पिछली तिमाही से विकास में आई नरमी और पहली तिमाही के लिए आरबीआई के अनुमान से पता चलता है कि बुनियादी विकास कारक गति पकड़ रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत निरंतर विकास पथ पर है। खपत और निवेश की मांग एक साथ बढ़ रही है। इससे हमें यह कहने का विश्वास मिलता है कि भारतीय विकास की कहानी बरकरार है। आरबीआई का 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि का 7.2 प्रतिशत का अनुमान बेतुका नहीं लगता है।”


मध्यम से लंबी अवधि में विकास की संभावनाओं के बारे में दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था परिवर्तनकारी बदलावों के मुहाने पर है। मामूली वैश्विक विकास और वैश्विक चुनौतियों के बावजूद विकास की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो दर्शाता है कि संरचनात्मक कारक भारत के व्यापक आर्थिक परिणामों में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इनमें मजबूत भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर नीतिगत जोर, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास, विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और तकनीकी प्रगति और प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं।””


वर्ष 2047 तक उभरती अर्थव्यवस्था से उन्नत अर्थव्यवस्था में बदलने की आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुआयामी और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, “ हमारा ध्यान आपूर्ति और मांग दोनों पक्षों से विकास की सभी ऊर्जाओं को नियोजित करने पर होना चाहिए।” मुद्रास्फीति पर उन्होंने कहा कि मानसून के अच्छे रहने और खरीफ की अच्छी बुवाई के साथ, इस बात की अधिक आशा है कि वर्ष के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अधिक अनुकूल हो सकता है।

दास ने कहा “हमें इस बात पर सतर्क रहना होगा कि मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाली ताकतें कैसे काम करती हैं। मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन अच्छी तरह से बना हुआ है। हमें अवस्फीति के अंतिम पड़ाव को सफलतापूर्वक पार करना होगा और लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की विश्वसनीयता को बनाए रखना होगा जो एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है। मौद्रिक नीति द्वारा सतत विकास के लिए किया जा सकने वाला सबसे अच्छा योगदान मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।”

दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र के सभी प्रमुख संकेतक मजबूत स्वास्थ्य दिखाते हैं। यह लचीलापन, अन्य ताकतों के साथ मिलकर भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य कर सकता है। वित्तीय क्षेत्र को वित्तीय समावेशन को और गहरा करने, ऋण तक पहुँच को व्यापक बनाने, डिजिटल बैंकिंग में नवाचार को बढ़ावा देने, स्थायी वित्त को बढ़ावा देने और मजबूत वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है जो उभरती चुनौतियों का सामना कर सके और उच्च विकास प्रक्षेपवक्र को सुविधाजनक बना सके। गैर-वित्तीय जोखिमों के बारे में भी सावधान रहना चाहिए जो वित्तीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं।


गवर्नर ने वित्तीय क्षेत्र के लिए ध्यान केंद्रित करने के लिए 2 प्रमुख क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें महिला श्रम भागीदारी में सुधार और एमएसएमई का समर्थन शामिल है। आरबीआई द्वारा प्रौद्योगिकी को अपनाने पर बोलते हुए, श्री दास ने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नवाचार के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए कई पहल की गई हैं। “फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए आरबीआई की पायलट परियोजना की शुरुआत यानी ‘यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस’ (यूएलआई) के एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म से ऋण तक पहुंच में क्रांति आने की उम्मीद है, खासकर किसानों और एमएसएमई के लिए। जिस तरह यूपीआई ने भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को बदल दिया, हम उम्मीद करते हैं कि यूएलआई भारत में ऋण क्षेत्र को बदलने में समान भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “आने वाले वर्षों में हमारी प्रगति के लिए ‘नई त्रिमूर्ति’ जेएएम-यूपीआई-यूएलआई की त्रिमूर्ति होगी।”

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