
दुबई एयर शो में प्रदर्शन उड़ान के दौरान तेजस का दुर्घटनाग्रस्त होना एक दुखद घटना ही नहीं बल्कि रक्षा तकनीक सुरक्षा और रणनीति से जुड़े गंभीर सवालों का दर्पण भी है। पायलट की शहादत ने इस हादसे को सिर्फ तकनीकी जांच का मामला नहीं रहने दिया बल्कि ज़िम्मेदारी आत्मचिंतन और जवाबदेही की बहस को तेज कर दिया है। राष्ट्र भावना संवेदना और विवेक तीनों का संतुलन आवश्यक है।
📍Dubai 🗓️ 21st November 2025✍️ Asif Khan
दुबई एयर शो में तेजस का गिरना सिर्फ एक हादसा नहीं एक तर्ज़-ए-फ़िक्र है। यह वह पल है जब पूरा देश सांस रोके देखता रह गया। दोपहर का समय था एरोबैटिक प्रदर्शन के बीच में अचानक तेजस ने नीचे की ओर गोता लगाया और कुछ सेकंडों के भीतर ज़मीन से टकराकर आग के गोले में बदल गया। हवा में उठता काला धुआँ रनवे के पार से दिख रहा था और दर्शकों में दहशत की ख़ामोशी फैल गई। और फिर आने लगी वह खबर जिसने दिल को चीर दिया पायलट की मौत हो गई।
उस पल हर शख़्स हक्का-बक्का था। बच्चे रो रहे थे लोग मोबाइल से वीडियो बना रहे थे और सोशल मीडिया पर पहली लाइन उभरी इनालिल्लाहि व इनालिल्लाहि राजिऊन।
यह हादसा क्यों हुआ इसका जवाब अभी जांच की तहों में छुपा हुआ है लेकिन सवाल बाहर आ चुके हैं और चुप रहने से नहीं थमेंगे।
अब सबसे पहले और सबसे ज़रूरी बात पायलट के परिवार के साथ संवेदना और सम्मान। वह देश की सुरक्षा का सिपाही था जिसने अपने पेशे और अपने वतन के लिए जान दे दी। इस त्याग का मूल्य कोई शब्द पूरा नहीं कर सकता। लेकिन यही खबर हमें आत्मसमीक्षा पर मजबूर करती है कि आखिर हमारे विमानन तंत्र की तैयारियाँ कहाँ कमज़ोर पड़ गईं।
अब यहाँ एक ईमानदार सवाल उठता है क्या यह महज़ एक तकनीकी त्रुटि थी या इससे कहीं ज़्यादा गहरी बात छुपी है।
कुछ विशेषज्ञ कहते हैं एरोबैटिक प्रदर्शन में अक्सर विमान बेहद खतरनाक चालें लेता है जिसमें नियंत्रक गलती या मशीनरी के माइक्रो सेकंड फेल होने पर भी क्रैश संभव है। और सच कहूँ तो दुनिया के सबसे उन्नत देशों के लड़ाकू विमान भी एयरो शो में दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। रूस अमेरिका फ्रांस चीन सबके इतिहास में ऐसे हादसे भरे पड़े हैं। हादसा मतलब तकनीक शून्य ऐसा निष्कर्ष देना जल्दबाज़ी होगी।
दूसरी तरफ़ एक तर्क यह भी कहा जा रहा है कि जब तक जांच रिपोर्ट सामने न आ जाए तब तक किसी पर उंगली उठाना अनुचित है। लेकिन क्या सवाल पूछना गलत है नहीं। सवाल ही ज़िम्मेदारी खड़ी करते हैं।
एक और बात समझनी ज़रूरी है तेजस कोई साधारण विमान नहीं देश की तकनीकी पहचान गर्व और आत्मनिर्भरता की मिसाल था। इसलिए यह दुर्घटना भावनात्मक भी है राष्ट्रीय भी।
कुछ लोग कह रहे हैं कि यह हादसा हमारे स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजनाओं की कमजोरी दिखाता है। लेकिन क्या ऐसा कहना न्यायसंगत है। अगर एक कार सड़क पर एक्सीडेंट कर जाए तो क्या कंपनी बंद हो जाती है क्या सारी इंजीनियरिंग बेकार घोषित कर दी जाती है। सच तो यह है कि तकनीक हमेशा विकास में होती है। और विकास की रूह है सुधार। सुधार वहीं आता है जहाँ ईमानदार स्वीकार और कठोर जांच हो।
यह बात भी याद रखें पिछले वर्ष राजस्थान के जैसलमेर में तेजस सुरक्षित रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुआ था जहाँ पायलट इजेक्ट हो गया था और बच गया था। इसका मतलब सुरक्षा तंत्र मौजूद है परंतु इस बार जीरो-जीरो इजेक्शन सीट भी जान नहीं बचा सकी।
तो क्या समस्या मशीन की थी या क्षण की या प्रोटोकॉल की या प्रदर्शन रणनीति की यह जानना ज़रूरी है।
बहस यहाँ से उठती है
क्या एयर शो में इतने जोखिमपूर्ण प्रदर्शन ज़रूरी हैं
क्या दर्शकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता थी
क्या प्रदर्शन अनुमति समीक्षा पर्याप्त कठोर थी
क्या यह हादसा प्रशिक्षण बनाम प्रदर्शन दबाव का उदाहरण है
अब इसके राजनीतिक और रणनीतिक आयाम भी हैं जिन्हें अनदेखा करना कायरता होगा।
दुबई एयर शो वह मंच है जहाँ दुनिया भर की सेना उद्योग सरकारें और खरीद एजेंसियाँ विमान चुनती हैं यह हादसा विदेशी भरोसे पर असर डालेगा क्या यह सौदों को धीमा करेगा क्या यह भारत की रक्षा बाज़ार स्थिति को चोट पहुँचाएगा या फिर यह हादसा सुधार और मज़बूती का मोड़ बनेगा।
अब सत्य का दूसरा पहलू यदि हम सिर्फ भावनाओं की आग में बहकर सबको दोषी ठहराएँगे तो हम वही भूल करेंगे जो समाज अक्सर सदमे में करता है।
हिंमत है तो सच्चाई पूरी देखें।
पहला दृष्टिकोण कहता है
गलती तकनीक की है इसलिए परियोजना की समीक्षा करो
दूसरा कहता है
हादसे से डरकर रुकना पराजय है आगे बढ़ना ही रास्ता है
तीसरा कहता है
सबसे पहले पारदर्शी जांच फिर सुधार और फिर नई उड़ान
और मुझे लगता है यही संतुलन सबसे सही रास्ता है।
वक्त की मांग है राष्ट्रवाद नहीं रचनात्मक आलोचना ज़रूरत है शोर नहीं विज्ञान और विवेक।
सवाल फिर भी बाकी रहेंगे
क्या इस हादसे को रोका जा सकता था
आख़िरी तीन सेकंड में पायलट की स्थिति क्या थी
कंट्रोल सिस्टम में क्या प्रतिक्रिया मिली या नहीं मिली
क्या चेतावनी प्रणाली सक्रिय हुई
क्या निर्णय प्रक्रिया में देरी हुई
इन जवाबों के बिना सुकून नहीं मिलेगा।
अब बात आम जनता के मन की
जब विमान गिरा बच्चे डरे लोग रोए चेहरों पर सदमा था सोशल मीडिया पर शोर था और हर कोई पूछ रहा था आखिर क्यों।
पर सबसे ज़्यादा मौन था वह क्षण जब टीवी एंकरों ने कहा पायलट अब नहीं रहा।
उस पल पूरा देश एक मिनट के लिए स्थिर खड़ा हो गया।
यह सिर्फ एक वर्दीधारी की मौत नहीं यह एक सपना टूटने जैसा महसूस हुआ।
अब निष्कर्ष
यह हादसा हमें सिखाता है कि सुरक्षा सिर्फ एक शब्द नहीं एक संस्कार है
तकनीक सिर्फ मशीन नहीं विश्वास है
पायलट सिर्फ चालक नहीं राष्ट्र की धड़कन है
हमारे सामने दो रास्ते हैं
एक रास्ता शोर आरोप अफवाह
दूसरा रास्ता जांच सत्य सुधार और भविष्य की तैयारी
यदि हमने दूसरा रास्ता चुना तो यह हादसा इतिहास का अध्याय होगा
अगर पहले का रास्ता चुना तो यह राष्ट्रीय भूल बनेगा।
तेजस फिर उड़ना चाहिए पर और अधिक सुरक्षित और और अधिक शक्तिशाली रूप में
और वह तभी होगा जब हम सच से न भागें।पायलट के परिवार के प्रति दिल से संवेदना और सलाम
रब उनके सब्र में बरकत दे
क़ौम एकजुट रहे यही ज़रूरी है




