
Indian-origin leader Zohran Mamdani celebrates with supporters after becoming New York City’s first Muslim and South Asian Mayor — a defining moment for diversity and democracy.
डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद ऐतिहासिक जीत जोहरान ममदानी ने लिखी इतिहास की नई इबारत
📍New York ✍️आसिफ़ ख़ान
जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी में इतिहास रच दिया है। ट्रंप की आलोचनाओं और राजनीतिक दबावों के बावजूद, प्रवासियों और आम नागरिकों की एकजुटता ने उम्मीद की जीत सुनिश्चित की।
न्यूयॉर्क की सर्द रात में जब शहर की सड़कों पर भीड़ जयकारे लगा रही थी, तो हर चेहरा एक नयी उम्मीद का प्रतीक था। जोहरान ममदानी — एक भारतीय मूल के युवा, डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी के नेता, और अब न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम तथा पहले दक्षिण एशियाई मेयर। यह जीत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस विचार की जीत है जो विविधता, समानता और न्याय की बात करता है।
ममदानी की जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुले तौर पर उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। चुनाव से पहले ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि वे निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो का समर्थन करते हैं और न्यूयॉर्क को “कम्युनिस्टों के कब्ज़े” से बचाना ज़रूरी है। मगर न्यूयॉर्क ने ट्रंप की धमकियों का जवाब वोटों से दिया — साफ़, शांत और दृढ़।
शहर के चुनाव बोर्ड के मुताबिक़ इस बार लगभग 20 लाख वोट पड़े — 1969 के बाद सबसे ज़्यादा। न्यूयॉर्क की आबादी करीब 85 लाख है और उसमें 33 लाख प्रवासी हैं। ऐसे शहर में एक भारतीय मूल का मुस्लिम मेयर चुना जाना, अमेरिकी लोकतंत्र के लिए गहरी प्रतीकात्मकता रखता है।
ज़ोहरान ममदानी (34) ने अपने भाषण में कहा, “यह जीत टैक्सी ड्राइवरों से लेकर रेस्टोरेंट के वर्कर्स तक, हर मेहनतकश न्यूयॉर्कर की है। हमने डर का जवाब उम्मीद से दिया है।”
उनकी आवाज़ में एक रैपर का जुनून था — वही जुनून जिसने उन्हें राजनीति में आने से पहले संगीत की दुनिया में पहचान दी थी। मिस्टर कार्डामम नाम से मशहूर रहे ममदानी ने अपने गीतों में हमेशा सामाजिक असमानता, प्रवासियों की जद्दोजहद और नस्लीय अन्याय को आवाज़ दी थी।
सियासत में उनका सफर 2017 में शुरू हुआ जब वे “ब्लैक लाइव्स मैटर” और प्रवासी अधिकार आंदोलनों से जुड़े। 2020 में उन्होंने न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली चुनाव जीता और फिर लगातार दो बार निर्विरोध चुने गए। उनकी नीतियां साफ़ थीं — मुफ्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सस्ते घर, किराए पर रोक, और 30 डॉलर प्रति घंटा न्यूनतम वेतन।
ट्रंप ने उन्हें “पागल कम्युनिस्ट” कहकर मज़ाक उड़ाया था। लेकिन जनता ने उन्हें “आम आदमी का नेता” कहा। यही फर्क ममदानी की राजनीति और परंपरागत अमेरिकी सत्ता के बीच की सबसे बड़ी रेखा है।
इस चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि ट्रंप ने निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो को समर्थन दिया, जिससे रिपब्लिकन वोट बंट गए। डेमोक्रेटिक पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी। वर्मोंट के सीनेटर बर्नी सैंडर्स और प्रतिनिधि एलेक्ज़ेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ दोनों ने ममदानी के लिए प्रचार किया। नतीजा — एक ऐतिहासिक लहर।
जब नतीजे आए तो ब्रुकलिन पैरामाउंट थिएटर के बाहर हजारों लोग जमा थे। लोग गा रहे थे, नाच रहे थे, “Hope is alive again!” के नारे लगा रहे थे।
रमा दुवाजी, ममदानी की पत्नी, ने इंस्टाग्राम पर लिखा — “Let’s go NYC! We made history today.”
इस जीत की गूंज वॉशिंगटन तक पहुंची। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक्स (X) पर लिखा, “यह याद दिलाता है कि जब हम एकजुट होकर आगे की सोच रखने वाले नेताओं के साथ खड़े होते हैं, तो जीत मिलती है।”
उधर ट्रंप ने अपनी हार का ठीकरा “शटडाउन” और “बैलेट से अपने नाम के गायब होने” पर फोड़ा। उन्होंने लिखा, “रिपब्लिकन इसलिए हारे क्योंकि असली नेता ट्रंप नहीं थे।” यह बयान बताता है कि हार को स्वीकार करने में अब भी वही पुरानी हठ मौजूद है।
जोहरान ममदानी का उदय अमेरिका के बदलते समाज का संकेत है — जहां प्रवासी, अल्पसंख्यक और आम नागरिक अब राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन रहे हैं, न कि केवल दर्शक।
भारतीय मूल की डेमोक्रेट नेता गजाला हाशमी ने भी वर्जीनिया की लेफ्टिनेंट गवर्नर बनकर इतिहास रचा। अमेरिका में यह प्रवासियों और मुस्लिम समुदाय के आत्मविश्वास का नया अध्याय है।
ममदानी के 4 प्रमुख वादे —
घर का किराया फ्रीज, फ्री बस सर्विस, सरकारी किराना दुकानें, और बच्चों के लिए मुफ्त डे-केयर।
यानी उनकी राजनीति किताबों की नहीं, सड़कों की है।
उनकी जीत ने यह भी साबित किया कि अमेरिका में दक्षिण एशियाई पहचान अब केवल प्रवासी साहित्य या बॉलीवुड की चमक तक सीमित नहीं रही — यह अब नीति निर्माण और सत्ता की मेज तक पहुंच चुकी है।
शहर के अमीर वर्ग ने उन्हें “विनाश की शुरुआत” कहा, जबकि युवा मतदाताओं ने उन्हें “नया चेहरा, नई सोच” कहा।
यही विभाजन, यही बहस लोकतंत्र की खूबसूरती है।
जोहरान ममदानी ने अपने भाषण के अंत में कहा, “अगर कोई शहर ट्रंप को हराना सिखा सकता है, तो वह वही शहर है जिसने उन्हें जन्म दिया।”
इन शब्दों में इतिहास की विडंबना और भविष्य की घोषणा दोनों हैं।
न्यूयॉर्क के इस बदलाव को समझने के लिए यह मानना पड़ेगा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के सामाजिक ताने-बाने में चल रहे संवाद का नतीजा है — प्रवासियों, मुस्लिमों, दक्षिण एशियाई और युवा पीढ़ी की आवाज़ का मिलाजुला सुर।
यह जीत उस “आवाज़” की है जो कहती है — “हम भी इस शहर का हिस्सा हैं।”
Shah Times Editorial Voice
जोहरान ममदानी की जीत में हमें लोकतंत्र की असली ताक़त दिखाई देती है। यह जीत न सिर्फ़ एक व्यक्ति की है, बल्कि उस सोच की है जो विविधता को शक्ति मानती है।
न्यूयॉर्क की जनता ने यह साबित कर दिया कि जब सत्ता डर फैलाने की कोशिश करती है, तब लोग उम्मीद चुनते हैं।
ट्रंप की धमकियां, उनका डराने वाला लहजा — सब बेअसर साबित हुआ।
अमेरिका के इस चुनाव ने हमें याद दिलाया कि सच्चा लोकतंत्र सिर्फ़ वोट डालने का अधिकार नहीं, बल्कि परिवर्तन की क्षमता का नाम है।
और जब एक दक्षिण एशियाई, एक मुस्लिम, एक प्रवासी इस बदलाव का प्रतीक बनता है — तो यह पूरी दुनिया के लिए संदेश है कि “उम्मीद अभी जिंदा है।”




