
India’s Foreign Ministry reacts to Israel-Iran ceasefire with focus on diplomacy – Shah Times
Israel–Iran Cease Fire के दरमियान भारत की पहल: शांति और कूटनीति का समर्थन
भारत की कूटनीतिक नीति: Israel–Iran Cease Fire पर संतुलन की मिसाल
Israel–Iran Cease Fire पर भारत ने क्या रुख अपनाया? विदेश मंत्रालय ने कूटनीति को बताया एकमात्र रास्ता। ट्रंप ने इजरायल पर जताई नाखुशी।
इजरायल और ईरान के दरमियान सालों से चले आ रहे तनाव ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति को हिला कर रख दिया है। इस बार जब दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की खबरें आईं, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्मीदें जगीं कि शायद इस बार रक्तपात को रोका जा सके। भारत, जो पारंपरिक रूप से दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध रखता है, ने इस घटनाक्रम पर गंभीर और संतुलित प्रतिक्रिया दी है।
🔍 संघर्ष विराम की पुष्टि और उल्लंघन
मंगलवार सुबह जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया कि इजरायल और ईरान पूर्ण संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं, तो यह खबर दुनिया भर में सुर्खियों में आ गई। लेकिन दोपहर होते-होते संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरें भी सामने आने लगीं। खासकर अमेरिका द्वारा ईरान की परमाणु सुविधा ‘Fordow’ के पास संदिग्ध गतिविधियों की पुष्टि और कतर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों पर ईरानी जवाबी हमले ने हालात को और पेचीदा बना दिया।
🇮🇳 भारत का रुख: सजगता और संतुलन
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सजगता दिखाई है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत पूरी स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और उसे क्षेत्रीय स्थिरता व सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है। मंत्रालय ने अपने बयान में संघर्ष विराम की खबरों का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिका और कतर ने जो भूमिका निभाई है, वह सराहनीय है।
🕊️ कूटनीति को बताया एकमात्र विकल्प
भारत की नीति स्पष्ट है — बातचीत और कूटनीति के ज़रिए समाधान खोजना। विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए केवल कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है। भारत ने कहा कि वह इस प्रक्रिया में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है और सभी पक्षों से अपेक्षा करता है कि वे शांति एवं स्थिरता के लिए सतत प्रयास करें।
💬 ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ शब्दों में इजरायल से नाखुशी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम के बावजूद दोनों पक्षों ने हमले किए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समझौते का उल्लंघन हुआ है। ट्रंप ने यह भी कहा कि इजरायल की ओर से भी उल्लंघन हुआ है, और “मैं इजरायल से खुश नहीं हूं” – उनका यह कथन इजरायली नेतृत्व के प्रति उनके रुख में बदलाव का संकेत देता है।
🌍 क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
यह संघर्ष केवल पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं है। इसके प्रभाव वैश्विक हैं – ऊर्जा आपूर्ति, सुरक्षा समीकरण और भू-राजनीतिक गठबंधनों पर इसका सीधा असर पड़ता है। भारत जैसे देशों के लिए जो ऊर्जा आयात पर निर्भर हैं, ऐसे तनाव संकट को और बढ़ा सकते हैं।
📌 भारत की विदेश नीति की निरंतरता
भारत की यह प्रतिक्रिया उसकी परिपक्व और संतुलित विदेश नीति का उदाहरण है। एक ओर जहां वह इजरायल के साथ रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग करता है, वहीं ईरान के साथ भी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंध हैं। ऐसे में भारत का किसी एक पक्ष को न चुनना और शांति की राह सुझाना उसकी रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
📢 भारत की आवाज बनी संतुलन की ताकत
इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष विराम भले ही अनिश्चित हो, लेकिन भारत की भूमिका और रुख एक सकारात्मक संदेश देते हैं। जब पूरी दुनिया में ध्रुवीकरण और पक्षपात की राजनीति बढ़ रही है, भारत की कूटनीतिक संतुलनकारी नीति एक अनुकरणीय उदाहरण है। यह समय है कि विश्व समुदाय इस तरह की संतुलित आवाज़ों को सुने और समर्थन दे।
🔚 भारत की नीति में स्पष्टता और विश्वसनीयता
भारत ने दिखाया है कि संकट की घड़ी में भी संतुलन और संवाद की राह अपनाई जा सकती है। चाहे क्षेत्रीय शांति हो या वैश्विक स्थिरता – भारत की सोच स्पष्ट और नीतिगत है। यह रुख आने वाले समय में दक्षिण एशिया की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाएगा।
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