
आगरा में दो बहनों के गायब होने से खुला धर्मांतरण रैकेट
विदेशी फंडिंग से चल रहे धर्मांतरण नेटवर्क पर यूपी की बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश की आगरा पुलिस ने अवैध धर्मांतरण के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में छह राज्यों से दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में लव जिहाद, विदेशी फंडिंग और आतंकी संगठनों से संबंध के संकेत मिले हैं।
लखनऊ, (Shah Times)। उत्तर प्रदेश की आगरा पुलिस ने एक संगठित और गहन नेटवर्क के जरिए संचालित हो रहे अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश करते हुए देश के छह राज्यों से दस लोगों को गिरफ्तार किया है। इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण द्वारा की गई, जबकि कार्रवाई का नेतृत्व आगरा पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने किया।
पुलिस महानिदेशक ने प्रेस वार्ता में बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों पर गैर-मुस्लिम युवतियों को झूठी पहचान के जरिए प्रेमजाल में फंसाने, फिर धर्मांतरण के लिए मानसिक और सामाजिक दबाव डालने का आरोप है। प्रारंभिक जांच में इस गिरोह के संबंध कट्टरपंथी संगठनों PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया), SDPI और पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क से जुड़े पाए गए हैं।
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छह राज्यों से गिरफ्तार हुए आरोपी
इस रैकेट के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगरा पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की थी, जिसमें उत्तर प्रदेश एटीएस और एसटीएफ के साथ मिलकर 11 अलग-अलग टीमें देशभर में रवाना की गईं। जिन प्रमुख शहरों और राज्यों से गिरफ्तारियां हुईं, वे इस प्रकार हैं:
गोवा: आयशा उर्फ एसबी कृष्णा
कोलकाता: अली हसन उर्फ शेखर राय, ओसामा
आगरा: रहमान कुरैशी
मुजफ्फरनगर (खालापार): अब्बू तालिब
देहरादून: अबुर रहमान
जयपुर: मोहम्मद अली, जुनैद कुरैशी
दिल्ली: मुस्तफा उर्फ मनोज
गिरफ्तार व्यक्तियों पर धर्मांतरण को एक मिशन के रूप में आगे बढ़ाने और संगठित नेटवर्क के तहत अलग-अलग भूमिकाओं में काम करने का संदेह है।
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जांच में सामने आई अहम जानकारियां
DGP राजीव कृष्ण ने बताया कि इस नेटवर्क में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका पूर्व-निर्धारित थी। कुछ लोग विदेशी फंडिंग प्राप्त करते थे, तो कुछ उसका चैनलाइजेशन करते थे। वहीं, कुछ आरोपियों का कार्य युवतियों को प्रेमजाल में फंसाना, धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करना, सेफ हाउस की व्यवस्था करना, कानूनी सहायता प्रदान करना और रेडिकलाइजेशन की प्रक्रिया को अंजाम देना था।
विशेष जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क की फंडिंग कनाडा और अमेरिका से हो रही थी। यही नहीं, धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैध दिखाने के लिए जाली दस्तावेजों का भी प्रयोग किया जा रहा था।
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दो बहनों के गायब होने से खुली परतें
इस पूरे मामले की तह में जाने की शुरुआत मार्च 2025 में हुई थी, जब आगरा जिले में रहने वाली दो सगी बहनों (उम्र 33 और 18 वर्ष) के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट के आधार पर IPC की धारा 87, 111(3), 111(4) और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
जांच के दौरान सदर बाजार पुलिस और साइबर सेल को तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर यह जानकारी मिली कि दोनों बहनों को एक धर्मांतरण सिंडिकेट द्वारा गुमराह किया गया था। इसके बाद राज्य के DGP मुख्यालय को सूचित किया गया, और एक गहन जांच का तंत्र सक्रिय हुआ।
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धर्मांतरण रैकेट में अंतरराष्ट्रीय एंगल
इस रैकेट की सबसे खतरनाक विशेषता इसकी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और धार्मिक कट्टरता फैलाने की साजिश है। रिपोर्ट के अनुसार, गिरोह का उद्देश्य केवल धर्मांतरण नहीं था, बल्कि उसके ज़रिए समाज में कट्टरपंथी विचारधारा फैलाना और युवाओं को भटकाना था।
पुलिस के अनुसार, आरोपी लव जिहाद के माध्यम से धर्मांतरण की प्रक्रिया को “मानवाधिकार” की आड़ में छिपाने का प्रयास कर रहे थे। कुछ लोगों को सेफ हाउस में रखा गया और फोन, सिम तथा अन्य संसाधनों को समय-समय पर बदला गया ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भ्रमित किया जा सके।
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‘मिशन अस्मिता’ और पहले की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश पुलिस पहले भी अवैध धर्मांतरण के मामलों में सख्त रुख अपनाती रही है। इसी दिशा में ‘मिशन अस्मिता’ नामक एक विशेष अभियान शुरू किया गया था, जिसके अंतर्गत:
गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम को यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
बलरामपुर के उतरौला में जमालुद्दीन उर्फ ठाकुर के सिंडिकेट का भंडाफोड़ एसटीएफ और एटीएस ने मिलकर किया था।
यह घटनाएं संकेत देती हैं कि राज्य में संगठित धर्मांतरण सिंडिकेट लंबे समय से सक्रिय हैं और इनमें न केवल राज्य के, बल्कि अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का सहयोग प्राप्त है।
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आगे की कार्रवाई और जांच की दिशा
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि इस मामले की आगे की जांच उत्तर प्रदेश एटीएस, एसटीएफ के साथ-साथ केंद्रीय जांच एजेंसियों के सहयोग से की जाएगी। साथ ही, अन्य राज्यों की पुलिस से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है ताकि इस पूरे नेटवर्क की गहराई और विस्तार को समझा जा सके।
राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि ऐसे किसी भी धर्मांतरण रैकेट को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो भारत की सामाजिक संरचना और कानून व्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे हों।
उत्तर प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में अवैध धर्मांतरण और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने वाले किसी भी तत्व को बख्शा नहीं जाएगा। छह राज्यों से आरोपियों की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि यह कोई स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, बहुस्तरीय साजिश है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय फंडिंग, डिजिटल नेटवर्क और मनोवैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया गया।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह संभावना जताई जा रही है कि इस नेटवर्क से जुड़े और भी लोगों के नाम सामने आएंगे और इस गिरोह की जड़ें और गहरी होंगी।
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