
इजरायल और ईरान के मध्य तनातनी जारी है। ऐसे में ईरान भी कोई मौका नहीं गवाना चाहता है। ईरान ने इजराइल के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी है, बीते शुक्रवार ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने अरब मुल्कों से साथ आने की अपील की थी तो वहीं अब ईरान के विदेश मंत्री सऊदी अरब समेत क्षेत्र के कई देशों का दौरा करेंगे।
नई दिल्ली (Shah Times): इजरायल और ईरान के मध्य तनातनी जारी है। ऐसे में ईरान भी कोई मौका नहीं गवाना चाहता है। ईरान ने इजराइल के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी है, बीते शुक्रवार ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने अरब मुल्कों से साथ आने की अपील की थी तो वहीं अब ईरान के विदेश मंत्री सऊदी अरब समेत क्षेत्र के कई देशों का दौरा करेंगे।
ईरान के विदेश मंत्री ने शुरू किये दौरे
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची सबसे पहले सऊदी अरब का दौरा करेंगे। अपनी इन यात्राओं को लेकर अराघची ने कहा है कि गाजा और लेबनान में जारी यहूदी प्रशासन के अपराधों को रोकने और क्षेत्र के बदलते हालातों को लेकर हमारी बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि वह अपने दौरे की शुरुआत रियाद से करेंगे, इसके बाद क्षेत्र के बाकी देशों की राजधानियों का दौरा करेंगे।
इजरायल के खिलाफ हो रहे हैं सभी लामबंद
ईरान के विदेश मंत्री का यह दौरा इजराइल के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा तैयार करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। जिस तरह से इजराइल की ओर से ईरान को धमकियां दी गईं हैं और उसके प्रॉक्सी गुटों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की जा रही है उससे ईरान अब ज्यादा अलर्ट नजर आ रहा है।
ईरान खेल रहा है विदेश नीति
ईरान जानता है कि अगर सऊदी अरब समेत क्षेत्र के तमाम मुस्लिम देशों को एकजुट कर लिया जाए तो गाजा और लेबनान में जारी हमलों को रोकने के लिए इजराइल पर दबाव डाला जा सकता है। दौरे से पहले स्टेट मीडिया से बात करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
अरब देशों के साथ बातचीत में जुटा ईरान
सूत्रों के मुताबिक क्षेत्र में बढ़ते संघर्ष और तनाव को रोकने के लिए गल्फ अरब देशों और ईरान ने बीते हफ्ते एशियाई देशों की अहम बैठक में हिस्सा लिया जो कतर ने आयोजित की थी। इस बैठक को लेकर ईरान के विदेश मंत्री ने बताया है कि ईरान और गल्फ कोर्पोरेशन काउंसिल के बीच अनौपचारिक बैठक हुई है।
सऊदी अरब को भी साधने की कोशिश
बता दें कि ईरान के सऊदी अरब के साथ रिश्ते कुछ खास नहीं रहे हैं लेकिन बीते कुछ सालों में चीन की मध्यस्थता में दोनों देशों ने अपने बीच की कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। हालांकि बावजूद इसके दोनों के दरमियान कुछ फासले जरूर देखने को मिले हैं।
खाड़ी अरब देशों का तेहरान से वादा
गल्फ अरब देशों खासकर ईरान की तरह ऊर्जा सप्लाई करने वाले प्रमुख देशों ने तेहरान को भरोसा दिया है कि वह ईरान-इजराइल संघर्ष में न्यूट्रल (तटस्थ) रहेंगे। दरअसल सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, माना जाता है कि मिडिल ईस्ट में अमेरिका और इजराइल के बढ़ते दखल में ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभाते हैं। अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ता है तो अमेरिका, ईरान के खिलाफ इन मिलिट्री बेस का इस्तेमाल कर सकता था। लिहाजा गल्फ देशों के रुख ने ईरान को बड़ी राहत दी है।