क्या मोदी का जादुई तिलिस्म अब कमजोर पड़ने लगा है ?

क्या पीएम मोदी का जादुई तिलिस्म अब कमज़ोर पड़ने लगा है ?
क्या पीएम मोदी का जादुई तिलिस्म अब कमज़ोर पड़ने लगा है ?

वे तमाम आलोचक जो इंडिया गठबंधन में मतभेदों की दरारें तलाश रहे हैं इस सचाई की तह में भी जा सकते हैं कि क्या प्रधानमंत्री का जादुई तिलिस्म अब कमज़ोर पड़ने लगा है ?

क्या मतदाताओं ने उनके कहे को नज़रअंदाज़ करना प्रारंभ कर दिया है ? इसका संकेत प्रधानमंत्री द्वारा बाड़मेर के बायतु में दिए गए चुनावी भाषण से प्राप्त परिणामों में तलाशा जा सकता है !

बायतु के अपने बहुचर्चित भाषण में मोदी ने मतदाताओं का आह्वान किया था कि वे कमल के बटन को ऐसे दबाएँ जैसे (कांग्रेस को) फाँसी दे रहे हों। इशारा साफ़ था। परिणामों में क्या हुआ ? भाजपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा। बायतु में जीत कांग्रेस की हुई। ऐसे ही नतीजेराजस्थान (Rajasthan) के तारानगर (Taranagar), पीलीबंगा (Pilibanga), हनुमानगढ़ (Hanumangarh), सूरतगढ़ (Suratgarh), झुंझुनू (Jhunjhunu), आदि स्थानों की सभाओं के बाद निकले। हनुमानगढ़ (Hanumangarh) में निर्दलीय की और बाक़ी सभी जगह कांग्रेस की जीत हुई।

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इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) में पड़ी कथित दरारों का संबंध भाजपा से मुक़ाबले को लेकर नहीं बल्कि सीटों के सम्माजनक बँटवारे से है। न ही कोई दल गठबंधन को छोड़कर गया है। पूछा जा सकता है कि तीन महत्वपूर्ण राज्यों में इतनी बड़ी जीत के बाद एनडीए के साथ कितने दल और जुड़ गए ? कोई भी क्यों नहीं जुड़ा ?

मध्य प्रदेश और राजस्थान (Madhya Pradesh and Rajasthan) में पहले टिकिटों के बंटवारे फिर मुख्यमंत्री-चयन को लेकर जो अंदरूनी संघर्ष प्रकट हुआ उसे अगर नज़रअंदाज़ नहीं करना हो तो असली बहस तो भाजपा और एनडीए के भविष्य को लेकर होना चाहिए ! शिवराज सिंह (Shivraj Singh) ने तो भोपाल में संकेत दे दिये हैं : ‘मर जाऊँगा पर काम माँगने दिल्ली नहीं जाऊँगा।’ देखना यह है कि भजनलाल शर्मा द्वारा शपथ ले लेने के बाद वसुंधरा राजे जयपुर (Vasundhara Raje Jaipur) में क्या करने वाली हैं ? लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) के लिए भाजपा के पास भी ज़्यादा वक्त नहीं बचा है !

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