
इजरायल-हमास जंग का नया मोर्चा: कतर बना निशाना
मिडिल ईस्ट में तनाव: इजरायल का कतर की राजधानी दोहा पर सीधा हमला
कतर की राजधानी दोहा में इजरायल का हवाई हमला, हमास नेताओं पर सीधा वार। कतर ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। मिडिल ईस्ट में कूटनीतिक संकट गहराया।
New Delhi, (Shah Times) । कतर की राजधानी दोहा की सड़कों पर मंगलवार की रात अचानक गूँजते धमाकों ने पूरे मिडिल ईस्ट को हिला दिया। इजरायल ने हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाते हुए कतर की राजधानी पर एयरस्ट्राइक की, जिसकी पुष्टि इजरायली सुरक्षा एजेंसी शिन बेट और IDF (Israel Defense Forces) दोनों ने की। यह हमला सिर्फ़ एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि भू-राजनीतिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
कतर लंबे वक्त से हमास के निर्वासित नेतृत्व का ठिकाना रहा है। अब जब इजरायल ने उसी राजधानी में हमला किया है, यह सवाल उठता है कि क्या संघर्ष ग़ज़ा और यरूशलम से आगे बढ़कर खाड़ी देशों की सीमाओं तक फैल चुका है?
हमले का घटनाक्रम
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मंगलवार देर रात दोहा के कटारा इलाके में लगातार विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं। जिस इमारत को टारगेट किया गया, वह हमास के राजनीतिक ब्यूरो सदस्यों के निवास के तौर पर जानी जाती थी। कुछ ही मिनटों में पूरा ढांचा मलबे में तब्दील हो गया।
इजरायली सेना ने बयान में कहा:
“यह पूरी तरह से इजरायली ऑपरेशन था। हमने इसकी योजना बनाई, इसे अंजाम दिया और इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।”
हमास ने स्वीकार किया कि उसके पाँच सदस्य मारे गए हैं, जिनमें निर्वासित ग़ज़ा प्रमुख खलील अल-हैय्या का बेटा भी शामिल है।
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कतर की नाराज़गी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद कतर सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने कहा:
“यह हमला कायरतापूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन है। कतर अपनी सुरक्षा और संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेगा।”
कतर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक की माँग भी की है। अरब लीग और OIC (Organization of Islamic Cooperation) ने इजरायल की निंदा करते हुए चेतावनी दी कि इस कदम से क्षेत्रीय शांति प्रयासों को गहरा झटका लगेगा।
यरूशलम हमला और बदले की कार्रवाई
यह हमला ऐसे समय पर हुआ जब एक दिन पहले उत्तरी यरूशलम में हमास आतंकियों की गोलीबारी में पाँच इजरायली नागरिक मारे गए थे और 12 घायल हुए थे। पुलिस ने हमलावरों को वहीं ढेर कर दिया। इस घटना की ज़िम्मेदारी हमास ने ली थी।
विश्लेषक मानते हैं कि दोहा पर यह एयरस्ट्राइक उसी घटना का सीधा बदला है। संदेश साफ़ है – अब इजरायल हमास को दुनिया के किसी भी कोने में सुरक्षित नहीं रहने देगा।
कतर की रणनीतिक स्थिति
कतर मध्य पूर्व की राजनीति में एक अनोखी स्थिति रखता है।
अमेरिका का करीबी सहयोगी (Al Udeid एयरबेस पर अमेरिकी सैन्य उपस्थिति)
हमास और तालिबान जैसे गुटों का “कूटनीतिक मेज़बान”
विश्व का सबसे बड़ा LNG निर्यातक, ऊर्जा बाज़ार में अहम खिलाड़ी
इसी वजह से कतर पर हमला केवल हमास को टारगेट करने की कार्रवाई नहीं बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी है – “किसी भी देश को आतंकी नेतृत्व को सुरक्षित पनाह देने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।”
इजरायल की नीति: टारगेटेड किलिंग
इजरायल लंबे समय से “टारगेटेड किलिंग” पॉलिसी अपनाता रहा है। ग़ज़ा, वेस्ट बैंक और यहाँ तक कि विदेशों में भी वह हमास और हिज़्बुल्लाह नेताओं को निशाना बनाता आया है।
1997: जॉर्डन में हमास नेता खालिद मशाल पर हमला
2010: दुबई में महमूद अल-मभूह की हत्या (मोसाद पर आरोप)
2020: ईरान के परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हत्या
दोहा पर ताज़ा हमला इसी श्रृंखला का नवीनतम अध्याय है।
विश्लेषण: असर और संभावनाएँ
1. क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा
खाड़ी देशों में अस्थिरता बढ़ सकती है। कतर ने स्पष्ट कर दिया है कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है। यदि अन्य देश इस पर चुप रहते हैं, तो यह “नया सामान्य” बन सकता है कि कोई भी शक्तिशाली देश दूसरे की राजधानी पर हमला कर दे।
2. अमेरिका की मुश्किल स्थिति
अमेरिका कतर में सैन्य उपस्थिति रखता है और इजरायल का सबसे बड़ा सहयोगी भी है। ऐसे में वाशिंगटन को संतुलन साधना मुश्किल होगा। यदि वह इजरायल का समर्थन करता है तो कतर-अमेरिका संबंध प्रभावित होंगे, और यदि वह कतर के साथ खड़ा होता है तो इजरायल असंतुष्ट होगा।
3. ऊर्जा बाज़ार पर असर
कतर LNG का सबसे बड़ा निर्यातक है। यदि तनाव बढ़ा तो ऊर्जा आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, जिससे वैश्विक बाज़ार में कीमतें बढ़ेंगी। यूरोप, जो पहले से रूसी गैस पर निर्भरता घटाकर कतर पर भरोसा कर रहा है, सबसे अधिक प्रभावित होगा।
4. हमास पर दबाव और संभावित प्रतिक्रिया
हमास नेतृत्व पर सीधा हमला संगठन को कमजोर कर सकता है। लेकिन इतिहास बताता है कि ऐसे हमले अक्सर “शहीद” नैरेटिव को जन्म देते हैं और नए उग्रवाद को हवा मिलती है।
प्रतिपक्षी तर्क
कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल के पास कोई विकल्प नहीं था। उनका कहना है कि जब तक हमास के नेता विदेशों में सुरक्षित रहेंगे, तब तक ग़ज़ा में शांति संभव नहीं।
उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कानून की आलोचना करने वाले भूल जाते हैं कि “सुरक्षा” हर देश का सर्वोच्च अधिकार है।
दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यदि यह मिसाल कायम हुई, तो भविष्य में कोई भी देश “आतंकवाद” का बहाना बनाकर दूसरे देशों पर हमला कर सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
निष्कर्ष
कतर की राजधानी दोहा पर इजरायल का यह हमला केवल एक “एयरस्ट्राइक” नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति का मोड़ है। इसने दिखा दिया है कि अब युद्ध केवल सीमाओं के भीतर नहीं रहेगा, बल्कि कूटनीति, ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी सीधा असर डालेगा।
आगे का सवाल यही है कि क्या यह कदम इजरायल को सुरक्षा देगा या एक नए संघर्ष चक्र को जन्म देगा। फिलहाल इतना तय है कि कतर पर यह हमला मध्य पूर्व की राजनीति में भूचाल ला चुका है।