
Saudi and UAE leaders warn Israel on West Bank annexation, Shah Times global affairs coverage
मिडिल ईस्ट में नई हलचल: वेस्ट बैंक कब्ज़े पर बढ़ता तनाव
सऊदी-UAE ने इजरायल को दी चेतावनी, वेस्ट बैंक कब्ज़ा बढ़ा तो अब्राहम समझौता खतरे में
सऊदी अरब और UAE ने इजरायल को चेताया—वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा बढ़ाने से अब्राहम समझौता टूट सकता है और सामान्यीकरण की प्रक्रिया रुक जाएगी।
New Delhi,(Shah Times)। मिडिल ईस्ट की जियोग्राफ़िक और पॉलिटिकल डाइनेमिक्स एक बार फिर तेज़ी से बदल रही हैं। हाल ही में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इजरायल को साफ चेतावनी दी है कि अगर वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा (annexation) बढ़ाने की कोशिश हुई, तो अब्राहम समझौते (Abraham Accords) पर सीधा असर पड़ेगा और रिश्तों को सामान्य करने की प्रक्रिया रुक जाएगी। यह संदेश उस समय आया है जब ग़ाज़ा और वेस्ट बैंक की सियासी व मिलिट्री स्थिति पहले से ही नाज़ुक बनी हुई है।
Analysis
रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और UAE राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान की मुलाक़ात में यह मुद्दा उठाया गया। सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, दोनों नेताओं ने “फ़िलिस्तीन की मौजूदा स्थिति” पर गंभीर बातचीत की।
टाइम्स ऑफ़ इजरायल की रिपोर्ट में कहा गया कि अगर इजरायल वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा बढ़ाता है, तो अब्राहम समझौते से पीछे हटना हकीकत बन सकता है।
2020 में UAE ने इजरायल से रिलेशन नॉर्मलाइज़ करने पर सहमति जताई थी, इस शर्त पर कि वेस्ट बैंक एनेक्सेशन को रोका जाएगा। उस ऐतिहासिक कदम को सऊदी अरब की अप्रत्यक्ष मंज़ूरी भी मिली थी।
लेकिन हाल के महीनों में, UAE और सऊदी दोनों ने इजरायल को कई बार चेताया है कि फिलिस्तीनी इलाक़ों पर कब्ज़ा उनके लिए “रेड लाइन” है।
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वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इन चेतावनियों के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को इतना दबाव महसूस हुआ कि उन्होंने कैबिनेट एजेंडा से वेस्ट बैंक एनेक्सेशन का मुद्दा अस्थायी तौर पर हटा दिया।
इजरायल की रणनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून
वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा बढ़ाने की योजना को इंटरनेशनल लॉ का उल्लंघन माना जाता है। अरब देशों में यह कदम गुस्सा भड़का सकता है और अमेरिका की पूर्व “शांति पहल” को कमजोर कर सकता है।
सऊदी का नया रुख
सऊदी अरब ने हाल ही में ग़ाज़ा में फिलिस्तीनियों को विस्थापित करने की इजरायली टिप्पणियों की निंदा करते हुए इसे नरसंहार (genocide) करार दिया। इस बयान में वेस्ट बैंक का सीधा ज़िक्र नहीं था, लेकिन टोन पहले से कहीं अधिक सख़्त था।
प्रतिपक्ष (Counterpoints)
इजरायल का तर्क: सुरक्षा और “यहूदी ऐतिहासिक दावे” की बुनियाद पर वेस्ट बैंक को मिलाने की कोशिश को जायज़ ठहराने की कोशिश।
अमेरिकी पॉलिसी का दबाव: ट्रंप प्रशासन के समय अब्राहम अकॉर्ड्स को अमेरिका की बड़ी उपलब्धि बताया गया था। बाइडेन प्रशासन ने भी normalization को सपोर्ट किया है, लेकिन वेस्ट बैंक annexation को लेकर वॉशिंगटन में भी असहजता है।
अरब देशों में विभाजन: जहां सऊदी और UAE कड़ा रुख अपना रहे हैं, वहीं बहरीन और मोरक्को जैसे देशों का पॉलिटिकल स्टैंड उतना आक्रामक नहीं दिखता।
ईरान और हमास फैक्टर: कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इजरायल का कठोर कदम दरअसल ईरान और हमास को मज़बूत नैरेटिव देता है, जो इजरायल और अरब रिश्तों को बिगाड़ने का मकसद रखते हैं।
Conclusion
मिडिल ईस्ट की यह कूटनीतिक रस्साकशी केवल अरब-इजरायल रिश्तों की दिशा तय नहीं करेगी, बल्कि इसका सीधा असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ार, अमेरिकी हितों और मुस्लिम उम्माह की पॉलिटिक्स पर भी पड़ेगा। अगर इजरायल वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा बढ़ाता है, तो अब्राहम अकॉर्ड्स की नींव हिल सकती है और normalization की प्रक्रिया ठहर सकती है। वहीं अगर अरब देशों ने एकजुट होकर दबाव बनाया, तो यह मिडिल ईस्ट की जियोपॉलिटिक्स का नया मोड़ साबित हो सकता है।