मुजफ्फरनगर में अपराध करते—करते पूर्वांचल का डॉन बन गया था ‘जीवा’

1997 में फर्रुखाबाद के भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद आया सुर्खियों में, 2003 में हुई थी उम्र कैद की सजा

माफिया मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी के साथ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 की हत्या में भी शामिल था, कोर्ट ने कर दिया था बरी


शाह टाइम्स ब्यूरो
मुजफ्फरनगरजिले के आदमपुर गांव (अब शामली जिले में) का निवासी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा शुरुआती दिनों में काफी मुश्किल से अपनी गुजर-बसर कर पाता था। मुजफ्फरनगर शहर में पान मंडी के निकट एक दवा खाने में नौकरी करने के बाद संजीव जीवा डॉक्टर के यहां कंपाउंडर भी बना। डॉक्टर ने भी संजीव जीवा का उपयोग अपने उधार के रुपए वसूलने में अधिक किया।


माफिया मुन्ना बजरंगी और पूर्वांचल के सरगना मुख्तार अंसारी का राइट हैंड कहे जाने वाला शार्प शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का मुजफ्फरनगर समेत पूरे वेस्ट यूपी में बड़ा खौफ रहा है। उसने मुख्तार अंसारी के सहयोगी माफिया मुन्ना बजरंगी के साथ मिलकर अनेक संगीन वारदातों को अंजाम दिया। शुरुआती दिनों से ही संजीव जीवा यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन बनना चाहता था। इसी चाहत को पूरा करने के लिए वह पूर्वांचल के माफिया मुन्ना बजरंगी से जुड़ा था। बेखौफ होकर अपराध करने वाले संजीव जीवा ने गैंगस्टर 10 फरवरी, 1997 को फर्रुखाबाद में पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा विधायक ब्रहमदत्त द्विवेदी की हत्या कर अपराध की दुनिया में सुर्खियां बटोरी थी। उस समय संजीव जीवा कांट्रैक्ट किलर था, उसकी गिनती बड़े अपराधियों में होने लगी। यहीं से उसकी पूर्वांचल के माफिया कुख्यात मुन्ना बजरंगी से नजदीकियां बढ़ गईं थीं। इसके बाद 2002 में गाजीपुर की महमूदाबाद सीट से कुख्यात मुख्तार अंसारी का भाई अफजाल अंसारी भाजपा विधायक कृष्णानंद राय से चुनाव हार गया। चुनावी हार का बदला लेने के लिए मुख्तार अंसारी के इशारे पर कृष्णानंद राय व अन्य छह लोगों की हत्या में मुन्ना बजरंगी और जीवा को पुलिस ने आरोपी बनाया था। तब बताया गया था कि ऑटोमैटिक हथियारों से कृष्णानंद राय की गाड़ी पर 500 से अधिक गोलियां चलाई गई। जेल की सलाखों के पीछे रहते बजरंगी और जीवा ने पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड के संपन्न इलाकों में कमाई के लिए अपनी नजरें टिका दी थीं।

मुजफ्फरनगर और आसपास के जनपदों में सक्रिय माफिया सरगना सुशील मूंछ को संजीव जीवा गिरोह की बढ़ती गतिविधि रास नहीं आ रही थी, जिसकी वजह से दोनों ग्रहों में गैंगवार छिड़ गई थी। हरिद्वार में परिवहन डिपो के पास की बेशकीमती जमीन को लेकर आपसी तकरार इतनी बढ़ी थी कि कई कई बार गिरोह से जुड़े लोगों में आपस में फायरिंग हुई और कई अपराधियों की हत्या इस टकराव में जान भी चली गई थीं। जीवा गिरोह के सरगना मुन्ना बजरंगी को जब 2018 में बागपत जेल लाकर रखा गया था तो जेल में उसकी हत्या हो गई। कुख्यात सुनील राठी पर जेल में ही उसकी हत्या का आरोप लगा। कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद संजीव जीवा को चाहत और बढ़ गई और वह यूपी का बड़ा डॉन बनने के लिए आतुर हो गया। हालांकि पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी के हत्याकांड में जीवा उम्रकैद की सजा काट रहा था। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मुजफ्फरनगर का बेहद ही कुख्यात बदमाश था। वह शुरुआती दिनों में दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था। इसके बाद उसने उसी दवाखाने के मालिक को किडनैप कर मोटी रकम मांगी थी।

वहीं, इस घटना के बाद 90 के दशक में उसने कोलकात्ता के एक व्यापारी के बेटे प्रतीक दीवान को भी अगवा किया था। प्रतीक दीवान के ड्राइवर की लाश खतौली क्षेत्र में गंग नहर के पास मिली थी।उसने कपड़ा व्यापारी राधेश्याम से दो करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी।

योगी सरकार में शुरू हुई जीवा गिरोह पर कार्रवाई
मुजफ्फरनगर। कुख्यात संजीव जीवा और उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी की करीब आठ बीघा जमीन प्रशासन ने कुर्क की थी। भूमि दो हिस्सों में थाना आदर्श मंडी और सदर कोतवाली क्षेत्र में थी। जमीन की कीमत करीब 1.86 करोड़ रुपये बताई गई थी। कृषि भूमि पर खड़ी गेहूं की फसल को नौ हजार रुपये में नीलाम कराकर धनराशि सरकारी खजाने में जमा करा दी गई थी। संजीव जीवा और उसकी पत्नी व बच्चों के नाम आदमपुर गांव में 21 बीघा भूमि को प्रशासन ने कुर्क किया था। यह जमीन उसने अपनी पत्नी और पुत्रों के नाम पर खरीदी थी। 90 के दशक में जब शामली मुजफ्फरनगर जिले का कस्बा था। तब कस्बे में स्थित पैथोलाजी लैब पर संजीव जीवा काम करता था। मुजफ्फरनगर में एक दवाखाना पर संजीव जीवा काम करता था। लोग उसे डाक्टर कहने लगे थे।

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