
अडानी की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए कहां से आए
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) और उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की घनिष्ठता के कारण अडानी महा घोटाला हुआ है और इसमे कोई भी जांच असरदार नहीं होगी इसलिए सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) की जांच से ही इसकी असलियत सामने लाई जा सकती है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि पार्टी पहले से ही मानती है कि उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति और सेबी की जांच का दायरा सीमित है और सिर्फ जेपीसी ही अडानी ग्रुप के साथ प्रधानमंत्री मोदी के घनिष्ठ संबंधों की जांच कर सकती है।
उन्होंने कहा कि इस जांच से यह भी पता लगा सकता है कि मोदी ने अपने करीबी दोस्तों की मदद के लिए कानूनों, नियमों और विनियमों को बदलकर देश तथा विदेशों में अडानी समूह के व्यवसाय को व्यक्तिगत रूप से कैसे सुविधाजनक बनाया है। उनका कहना था कि यह महा घोटाला है और इसके सभी पहलुओं को सिर्फ जेपीसी जांच के माध्यम से ही सामने लाया जा सकता है।
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प्रवक्ता ने कहा,”सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक्सपर्ट कमेटी ने अडानी महा घोटाले पर सेबी के दृष्टिकोण के संबंध में सॉफ्ट लेकिन दोषी ठहराने जैसी भाषा का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की तरफ़ से विनियामक विफलता नहीं हुई है, हालांकि जांच में कई विनियामक विफलताओं का उल्लेख है। इनमें नियमों में बदलाव भी शामिल है, जिनकी वजह से अपारदर्शी विदेशी फंड्स को भारी मात्रा में अडानी की कंपनियों में निवेश करने की इज़ाजत मिली। सेबी बोर्ड की 28 जून की बैठक के बाद सख़्त रिपोर्टिंग नियमों को फिर से लागू करना नियामक संस्था द्वारा सार्वजनिक रूप से अपराध स्वीकार करना दर्शाता है।”
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उन्होंने कहा कि सेबी का निदेशक मंडल स्वीकार करता है कि उसे ‘न्यूनतम पब्लिक शेयर होल्डिंग की आवश्यकता जैसे नियमों की अनदेखी’ को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है और ठीक यही आरोप अडानी ग्रुप के ख़िलाफ़ है और इसीलिए इसने उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए ‘स्वामित्व, आर्थिक हित और नियम अतिरिक्त विस्तृत स्तर के खुलासे” को अनिवार्य कर दिया है।
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “इस संबंध में पार्टी ने सरकार से 100 सवाल किए लेकिन कोई जवाब इन सवालों का नहीं मिला। अब पार्टी को 14 अगस्त को आने वाली सेबी की रिपोर्ट का इंतज़ार है। हम महत्वपूर्ण सवालों पर स्पष्टता की उम्मीद करते हैं और जानना चाहते हैं कि अडानी की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए कहां से आए।”