
Iran’s IRGC launches Kheibar Shekan ballistic missile targeting Ben Gurion Airport and military sites in Israel, marking the 20th missile wave retaliation. (Source: Shah Times)
बेन गुरियन एयरपोर्ट पर खौफनाक हमला: ईरान की नई मिसाइल रणनीति से हिल गया इजरायल
खैबर शेकन का कहर आयरन डोम फेल, इजरायल पर बड़ा खतरा
ईरान-इजरायल मिसाइल युद्ध में ‘खैबर शेकन’ की एंट्री: क्या अब शांति की गुंजाइश खत्म हो गई है?
ईरान ने 22 जून को इजरायल पर 20वीं बार हमला कर खैबर शेकन मिसाइल का उपयोग किया। यह मिसाइल इजरायल के रक्षा तंत्र को भेदने में सफल रही। जानिए Shah Times का रणनीतिक विश्लेषण।
22 जून 2025 को पश्चिम एशिया के तनावपूर्ण माहौल ने एक और भयावह मोड़ ले लिया। ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने इजरायल पर 20वीं बार मिसाइल हमला किया—लेकिन इस बार हालात अलग थे। पहली बार खैबर शेकन नामक मिसाइल का उपयोग हुआ, जो तकनीकी दृष्टि से ईरान की सैन्य शक्ति का प्रतीक मानी जा रही है। यह हमला न केवल इजरायल की सैन्य व्यवस्था के लिए झटका था, बल्कि पूरे क्षेत्र में संघर्ष के नए अध्याय की शुरुआत भी साबित हुआ।
खैबर शेकन: सिर्फ एक मिसाइल नहीं, रणनीतिक इशारा
ईरान की खैबर शेकन बैलिस्टिक मिसाइल का नाम इतिहास से लिया गया है—7वीं सदी की खैबर की लड़ाई से। यह नाम प्रतीक है एक निर्णायक और साहसी कार्रवाई का। तकनीकी रूप से देखा जाए, तो यह मिसाइल 1450 किलोमीटर की रेंज, 1500 किलोग्राम वॉरहेड क्षमता, और सैटेलाइट गाइडेंस से लैस है। मैन्युवरेबल री-एंट्री व्हीकल (MaRV) इसे वायुमंडल में दिशा बदलने में सक्षम बनाता है, जिससे यह इजरायल के आयरन डोम जैसे सिस्टम को भेदने में सक्षम है।
IRGC का दावा है कि इस मिसाइल का उपयोग “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” के 20वें चरण में किया गया। यह एक मिश्रित हमला था, जिसमें सॉलिड और लिक्विड फ्यूल मिसाइलों का संयोजन हुआ।
हमले के निशाने और नतीजे
इस हमले में जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें इजरायल का सबसे बड़ा हवाई अड्डा—बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, सैन्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, जैविक अनुसंधान संस्थान और तेल अवीव व हाइफा के नागरिक क्षेत्र शामिल हैं।
तेल अवीव के रामत गान इलाके में नौ इमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। हाइफा में धमाकों की गूंज ने यह स्पष्ट कर दिया कि ईरान अब सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं है, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए नागरिक क्षेत्रों को भी निशाना बना रहा है।
इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अधिकांश मिसाइलें रोकी गईं, लेकिन कुछ मिसाइलों ने सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर अपने लक्ष्य साधे। 16 से अधिक नागरिक घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
जवाबी कार्रवाई: अमेरिका बनाम ईरान
ईरानी हमला अमेरिका की आक्रामकता के जवाब में आया था। 21 जून को अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और GBU-57 जैसे महाविनाशक बमों से हमला किया था।
अमेरिका का दावा है कि इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। खासकर फोर्डो को “पूरी तरह नष्ट” कर दिए जाने का दावा किया गया। हालाँकि, IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) का कहना है कि रेडिएशन लीक नहीं हुआ है।
ईरान ने इसे “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए साफ चेतावनी दी थी कि उसका जवाब “ऐतिहासिक” होगा। और खैबर शेकन मिसाइलों के ज़रिए ईरान ने अपना इरादा दिखा भी दिया।
ईरान-इजरायल तनाव: इतिहास से वर्तमान तक
ईरान और इजरायल के बीच का विवाद कोई नया नहीं है। इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता आया है। दूसरी ओर, ईरान हमेशा अपने कार्यक्रम को शांतिपूर्ण ऊर्जा और चिकित्सा अनुसंधान के लिए बताता रहा है।
2024 में दमिश्क में ईरानी दूतावास पर इजरायली हमले के बाद से स्थिति बिगड़ती चली गई। अप्रैल 2024 में ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। जवाब में, जून 2025 में इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के सैन्य ठिकानों और वैज्ञानिकों को निशाना बनाया। इस हमले में IRGC के कई शीर्ष कमांडर मारे गए।
इसके बाद, ईरान ने लगातार 20 हमलों की श्रृंखला शुरू की। अब तक 545 ड्रोन और सैकड़ों मिसाइलें इजरायल की ओर भेजी जा चुकी हैं। और अब, ‘खैबर शेकन’ के प्रवेश ने इस संघर्ष को पूरी तरह युद्ध की शक्ल दे दी है।
राजनयिक विकल्प या महायुद्ध की ओर?
अब सवाल यह है कि क्या यह लड़ाई सीमित जवाबी हमलों तक रहेगी या यह महायुद्ध में बदल जाएगी? अमेरिका, पहले ही खुलकर इजरायल के साथ खड़ा हो गया है, जबकि रूस और चीन ने संयम बरतने की सलाह दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने इस संघर्ष को “मानवता के लिए खतरा” बताया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं निकला। पश्चिमी एशिया के नागरिकों के लिए यह संघर्ष जीवन-मरण का संकट बनता जा रहा है।
खैबर शेकन का संदेश: शक्ति प्रदर्शन या रणनीतिक संदेश?
IRGC ने यह साबित किया है कि वह केवल जवाबी कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि तकनीकी रूप से विकसित, दूरदर्शी और घातक रणनीति अपना रहा है। खैबर शेकन मिसाइल केवल सैन्य हमला नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक संदेश है—”ईरान कमजोर नहीं है।”
हालांकि, इजरायल अब भी सैन्य ताकत में कहीं अधिक आगे है। लेकिन खैबर शेकन जैसे हथियारों का उपयोग दिखाता है कि ईरान अब ‘गैर-पारंपरिक’ रणनीति अपनाने को तैयार है, जो असममित युद्ध का संकेत है।
शांति की तलाश या युद्ध की दस्तक?
ईरान और इजरायल के बीच की इस लड़ाई ने अब केवल दोनों देशों की सीमाओं तक खुद को सीमित नहीं रखा है। अमेरिका की भागीदारी ने इसे वैश्विक संघर्ष की दिशा में बढ़ा दिया है। खैबर शेकन मिसाइल का उपयोग इस बात का संकेत है कि ईरान अब पूरी तैयारी के साथ मैदान में है।
अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तय करना है कि वह इस आग को बुझाएगा या उसमें ईंधन डालेगा। क्योंकि अगर यह युद्ध और आगे बढ़ा, तो इसके असर केवल तेल अवीव या तेहरान तक सीमित नहीं रहेंगे—बल्कि यह पूरी दुनिया को झुलसा सकते हैं।
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