आपातकाल : 25 जून 1975 की ऐतिहासिक घोषणा के पीछे का सच और उसका प्रभाव जानिए

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25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जाता है।

New Delhi ,(Shah Times) । 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) लागू किया, जिसे भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जाता है।

आपातकाल की घोषणा

इंदिरा गांधी ने रातों-रात आपातकाल की घोषणा की, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया, राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, और सरकार के खिलाफ बोलने वालों को कठोर दंड भुगतने पड़े।

नागरिकों की कठिनाइयाँ

इस आपातकालीन अवधि के दौरान आम लोगों को भयानक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग अपने घरों में बंद रहने के लिए मजबूर थे, सार्वजनिक सभाएँ और रैलियाँ प्रतिबंधित थीं, और पुलिस की निरंकुशता चरम पर थी। हजारों निर्दोष लोगों को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार कर जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया।*

प्रेस सेंसरशिप

प्रेस की स्वतंत्रता को पूरी तरह से कुचल दिया गया। समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू की गई और केवल सरकारी अनुमति प्राप्त सामग्री ही प्रकाशित की जा सकती थी। इसने देश में सूचना का प्रवाह लगभग बंद कर दिया और लोगों को सरकार के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने से रोक दिया।

आजादी की लड़ाई का दूसरा दौर

इस काले दिन ने भारत को याद दिलाया कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र कितने महत्वपूर्ण हैं। आपातकाल के खिलाफ जनता की असंतोष और विरोध ने इसे समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दिन भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और नागरिकों की अटूट इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गया।

आखिर इंदिरा गांधी को क्यों लगानी पड़ी थी इमरजेंसी?

इस आपातकाल के पीछे कई प्रमुख कारण और घटनाएँ थीं जिनके कारण इंदिरा गांधी को यह कदम उठाना पड़ा जेसै

राजनीतिक अस्थिरता और विरोध

राजनारायण की याचिका: राजनारायण, जो कि एक प्रमुख विपक्षी नेता थे, ने इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और इसे अदालत में चुनौती दी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला: 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के 1971 के लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया।

बढ़ता जन असंतोष

जेपी आंदोलन : जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाया गया संपूर्ण क्रांति आंदोलन, जिसने युवाओं और छात्रों को बड़े पैमाने पर आकर्षित किया।

बढ़ते विरोध प्रदर्शन : देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जिसमें सरकार के खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे और इंदिरा गांधी से इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी।

देश में विभिन्न हिस्सों में आंतरिक अशांति और हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही थीं।

सत्ता में बने रहने की इच्छा

सत्ता की सुरक्षा: इंदिरा गांधी को लगने लगा कि उनकी सत्ता खतरे में है और उन्हें पद से हटाया जा सकता है।

कांग्रेस पार्टी में दबाव : कांग्रेस पार्टी में भी इंदिरा गांधी के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा था।

संवैधानिक विकल्प अनुच्छेद 352:


इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 का सहारा लेकर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की, जिससे उन्हें व्यापक अधिकार मिल गए और वह राजनीतिक विरोधियों को दबा सकीं।

राष्ट्रीय आपातकाल के कारण

1युद्ध की स्थिति
2बाहरी आक्रमण
3आंतरिक अशांति

25 जून 1975 को घोषित आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को एक गहरा धक्का दिया, जिसे भारत कभी नहीं भूल सकता। इस काले दिन ने हमें सिखाया कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सतर्क रहना आवश्यक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की कीमत चुकानी पड़ती है और हमें हमेशा इसके लिए संघर्षरत रहना चाहिए”

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