
उमेश पाल हत्याकांड
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज (Prayagraj) में बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) में वांछित 50 हजार रूपये के इनामी बदमाश को पुलिस ने बुधवार देर रात एक सशस्त्र मुठभेड़ के बाद घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस उपायुक्त गंगानगर अभिषेक भारती (Abhishek Bharti) ने गुरुवार को बताया कि थाना नवाबगंज के आनापुर क्षेत्र में पुलिस देर रात वाहनों की चेकिंग कर रही थी।
इसी दौरान मोटरसाइकिल पर दो लोग आते दिखाई दिए। पुलिस ने रूकने का इशारा किया लेकिन उन्होंने मोटरसाइकिल की रफ्तार तेज कर उन पर फायरिंग कर दी। पुलिस टीम ने भी आत्मरक्षार्थ गोली चलाई। एक बदमाश के पैर में गोली लगी। पुलिस के खदेड़ने पर मोटरसाइकिल अनियंत्रित होकर गिर पड़ी। घायल बदमाश की पहचान मोहम्मद नफीस उर्फ नफीस बिरायानी के तौर पर की गयी है। पुलिस ने मौके पर एक पिस्टल, दो कारतूस और मोटरसाइकिल जब्त किया। घायल को पुलिस ने स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया है।
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गौरतलब है कि बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) मामले में वांछित चल रहे नफीस बिरयानी पर 50 हजार रूपए का इनाम घोषित किया गया है। वह सिविल लाइंस क्षेत्र में ईट ऑन बिरयानी रेस्टोरेंट चलाता था। उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) में इसका नाम आने के बाद पुलिस ने इसके रेस्टोरेंट को नष्ट कर दिया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नफीस माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ (Khalid Azim alias Ashraf) का मित्र था और उसकी क्रेटा कार का इस्तेमाल उमेश पाल (Umesh Pal) और उसके दो सरकारी सुरक्षाकर्मियों की हत्या में इस्तेमाल की गयी थी। हत्या के दूसरे दिन 25 फरवरी को पुलिस ने कार को अतीक के हत्या के दूसरे दिन 25 फरवरी को पुलिस ने कार को अतीक के मकान के पास से बरामद किया था। इसी कार पर अतीक का बेटा असद अपने साथियों के साथ सवार होकर धूमनगंज के सुलेमसराय में हत्याकांड को अंजाम देने पहुंचा था।
नफीस ईट-ऑन नाम के नफीस बिरयानी (Nafees Biryani) सेंटर चलाता था। उमेश पाल मर्डर केस के बाद से यह सेंटर बंद हो गया था।
उमेश पाल मर्डर केस के बाद से ही नफीस बिरयानी (Nafees Biryani) लगातार फरार चल रहा था। प्रयागराज पुलिस (Prayagraj Police) ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। माना जाता है कि नफीस के बिरयानी के कारोबार में माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) की काली कमाई लगी हुई थी। उसके कारोबार की आड़ में अतीक अहमद अपनी काली कमाई को सफेद करता था।