प्रयागराज, महाकुंभ ,(Shah Times) महाकुंभ 2025 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आस्था की डुबकी लगाई। इससे पहले 1953 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद और 2019 में रामनाथ कोविंद ने कुंभ स्नान किया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की तीसरी ऐसी प्रथम नागरिक हैं, जिन्हें महाकुंभ में आकर त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सोमवार को उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाकुंभ के सफल आयोजन और राष्ट्र कल्याण की कामना के साथ त्रिवेणी में स्नान किया।
तीर्थ पुरोहितों ने महामहिम को पावन जलधारा के ऊपर बनी जेटी पर तैयार पूजास्थल पर पूजन कराया। राष्ट्रपति ने पूजन के उपरांत मां गंगा को दुग्ध, पुष्प अर्पित किया और आरती उतारी। इसके बाद उन्होंने अक्षयवट, सरस्वती कूप और बड़े हनुमान मंदिर में भी दर्शन-पूजन किया। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे।
कुंभ में राष्ट्रपति का ऐतिहासिक आगमन
इससे पहले, 1953 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद कुंभ मेले में आए थे और एक माह तक संगम तट पर कल्पवास किया था। सुरक्षा कारणों से उन्होंने किसी तीर्थ पुरोहित के शिविर में रहने के बजाय अकबर के किले की छत पर बनाए गए विशेष कैंप में कल्पवास किया था। उन्होंने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी। आज उसी स्थान को “प्रेसिडेंसियल व्यू” के नाम से जाना जाता है।
66 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, 2019 के कुंभ में भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी प्रयागराज पहुंचे थे। उन्होंने परिवार सहित संगम में स्नान किया और कुंभ की भव्यता देखकर अभिभूत हो गए थे।
देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति को प्राप्त हुआ यह सौभाग्य
भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल कुंभ में शामिल नहीं हो सकीं। जबकि मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
महाकुंभ 2025 में राष्ट्रपति के आगमन से यह आयोजन और भी ऐतिहासिक बन गया है। संगम तट पर उमड़ी श्रद्धालुजनों की भारी भीड़ ने इस पावन क्षण को देखा और स्वयं को धन्य महसूस किया।