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स्विट्जरलैंड शांति शिखर सम्मेलन के लिए 160 देशों को न्योता ,भारत समेत करीब 90 देशों के लीडर्स या प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेंगे।
~ Neelam Saini
नई दिल्ली,( Shah Times)। रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध लगातार जारी है। दोनों देशों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस जंग में यूक्रेन और रूस दोनों को जान माल की बड़ी हानि हो चुकी है मगर यह युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी के चलते आज जंग के बीच स्विट्जरलैंड के बर्जनस्टॉक रिजॉर्ट में पीस समिट की शुरुआत होगी। यह शिखर सम्मेलन 2 दिन तक चलने वाला जंग रोकने के लिए अब तक का चौथा समिट होगा। इससे पहले कोपेनहेगन, जेद्दा और माल्टा में तीन सम्मेलन हो चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्विस अधिकारियों ने सम्मेलन के लिए 160 देशों को न्योता दिया था, जिनमें से भारत समेत करीब 90 देशों के लीडर्स या प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेंगे। हालांकि कई बड़े देशों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था। मिली जानकारी के अनुसार रूस को इस समिट के लिए आमंत्रण नहीं भेजा गया है। रूस के खास सहयोगी देश चीन ने भी इस समिट में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। इसी के साथ G20 के मौजूदा अध्यक्ष ब्राजील ने भी ऐसा ही किया है। वहीं सऊदी अरब और पाकिस्तान भी समिट में हिस्सा नहीं लेंगे। यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थक अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इस समिट में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, उनकी जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मौजूद होंगी।
स्विट्जरलैंड में जुट रहे वर्ल्ड लीडर्स की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यहां 4 हजार सैनिकों को तैनात किया गया है। इसके अलावा वेन्यू के करीब स्टील की एक रिंग रखी गई है। इसके आसपास के 6.5 किलोमीटर के इलाके में फेंसिंग की गई है। यहां 8 किलोमीटर लंबे तारों का जाल भी बिछाया गया है।
स्विट्जरलैंड की मिलिट्री को इलाके में सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी एयरफोर्स लगातार क्षेत्र में निगरानी कर रही है। वेन्यू के पास बनाए गए हेलीपोर्ट की सुरक्षा के लिए 5 मिलिट्री हेलिकॉप्टर्स तैनात किए गए हैं। इसके अलावा वहां डबल लेयर फेंसिंग का भी इंतजाम किया गया है।
समिट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से इटली में मुलाकात की थी। पीएम ने जेलेंस्की से कहा कि भारत, रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है। उन्होंने कहा की इस जंग को बातचीत के जरिए ही खत्म किया जा सकता है।
आपको बता दे की स्विट्जरलैंड पीस समिट से एक दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ जंग तभी रुकेगी जब यूक्रेनी सेना उन चारों इलाकों से पीछे हट जाएगी जिन पर रूस ने कब्जा किया है। साथ ही यूक्रेन NATO में शामिल होने की जिद छोड़ देगा। इसके अलावा यूक्रेन को अपनी सीमाओं पर तैनात सेना को भी हटाना होगा और पश्चिमी देशों को रूस पर लगाए प्रतिबंध खत्म करने होंगे। रूस-यूक्रन जंग को दो साल से भी ज्यादा समय हो गया है मगर यह पहली बार है जब पुतिन ने जंग खत्म करने की शर्तें खुलकर सामने रखी हैं।
हालांकि पुतिन की इन शर्तों को यूक्रेन ने नकार दिया है। यूक्रेन ने इसे ढोंग और बेतुका बताया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस अल्टीमेटम पर कहा कि उन्हें पुतिन पर भरोसा नहीं है।
इटली में G7 समिट में उन्होंने कहा कि पुतिन वैसा ही कर रहे हैं जैसे नाजी लीडर हिटलर ने 1930 और 1940 में यूरोप पर कब्जा करने के लिए किया था। पुतिन भी ऐसी बात कर रहे हैं। हम उन पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।