
Arif Khan counters Mahmood Madani’s remarks on the interpretation of Jihad during a public debate. (Shah Times)
मौलाना महमूद मदनी के जिहाद बयान पर बवाल: सुप्रीम कोर्ट, अल्पसंख्यक अधिकार और उत्पीड़न पर नई बहस
मौलाना मदनी के आरोपों पर आरिफ मोहम्मद खान का जवाब — जिहाद, संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर राष्ट्रीय बहस
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने देवबंद की जिहाद की परिभाषा पर आपत्ति जताई, जबकि मौलाना महमूद मदनी ने न्यायपालिका और अल्पसंख्यक अधिकारों पर गंभीर सवाल उठाए।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने न्यायपालिका के हालिया फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद और तलाक मामलों के फैसलों से ऐसा प्रतीत होता है कि अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कई निर्णय ऐसे आए हैं जो संविधान में अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों के विपरीत दिखाई देते हैं।
उन्होंने 1991 के उपासना स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि इसके बावजूद कुछ मामलों में की गई कार्रवाई कानून की भावना के खिलाफ है। मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तभी ‘सुप्रीम’ है जब तक वह संविधान की रक्षा करता है।
मदनी ने यह भी दावा किया कि देश में 10% लोग मुसलमानों के समर्थन में हैं, 30% विरोध में, और 60% खामोश हैं। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे इन खामोश लोगों से संवाद स्थापित करें, क्योंकि यही वर्ग साम्प्रदायिक माहौल को प्रभावित कर सकता है।
जिहाद पर विवाद
मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार और मीडिया जिहाद जैसे पवित्र शब्द को गलत अर्थों में दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “जहां ज़ुल्म होगा, वहां जिहाद होगा”, लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जिहाद की कोई बहस नहीं होनी चाहिए क्योंकि मुसलमान संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
आरिफ मोहम्मद खान की प्रतिक्रिया
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देवबंद में पढ़ाई जाने वाली एक किताब में जिहाद की गलत व्याख्या दी गई है, जो कुरान की मूल अवधारणा से अलग है।
राज्यपाल ने कहा कि कुरान के अनुसार जिहाद किसी भी तरह के अन्याय, उत्पीड़न और कमजोरों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का नाम है। उन्होंने कहा कि “जब तक उत्पीड़न रहेगा, जिहाद रहेगा”, और इसे सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में समझने की जरूरत है।
देश के माहौल पर चिंता
मदनी ने कहा कि देश में डर का माहौल है और अल्पसंख्यकों को लेकर दोहरी नीति अपनाई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि धर्म परिवर्तन कानूनों का इस्तेमाल एकतरफा तरीके से किया जा रहा है, जबकि “घर वापसी” जैसी गतिविधियों पर कार्रवाई नहीं होती।




