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बसपा सुप्रीमो मायावती
लखनऊ । बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) द्वारा पार्टी के जनाधार को ज़मीनी स्तर पर बढ़ाने के अनवरत प्रयासों व निर्धारित कार्यों के साथ-साथ आगामी लोकसभा आमचुनाव (Upcoming Lok Sabha General Elections) अकेले अपने बलबूते पर लड़ने के अटल फैसले के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य (UP-Uttarakhand State) में पार्टी के कार्यक्रमों और तैयारियों की गहन समीक्षा के लिए आज यहाँ पार्टी के समस्त जिला अध्यक्ष व वरिष्ठ पदाधिकारियों आदि की विशेष बैठक में पार्टी एवं मूवमेन्ट के प्रति ‘बहुजन समाज’ की ज़बरदस्त लगाव और निष्ठा के साथ ही सर्वसमाज की बढ़ती हुई रूचि को देखते हुए सभी से पूरी दमदारी व मजबूती से कार्य करने का आह्वान किया ताकि लोकसभा आमचुनाव में लोगों की अपेक्षा के अनुरूप बेहतर रिज़ल्ट प्राप्त करके ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की सरकार एवं सत्ता तक पहुँचकर करोड़ों गरीबों, उपेक्षितों एवं मेहनतकश समाज का कांगजी और हवाहवाई नहीं बल्कि वास्तविक हित, कल्याण तथा उत्थान सुनिश्चित किया जा सके।
मध्य प्रदेश में भाजपा तथा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी एवं दक्षिण के तेलंगाना राज्य में बी.आर.एस. पार्टी की राज्य सरकार को चुनावी टक्कर देने के लिए उन राज्यों में जनसभाओं के लिये सघन दौरा करने के बाद यूपी और उत्तराखंड राज्य में लोकसभा आमचुनाव हेतु पार्टी संगठन की तैयारी तथा उम्मीदवारों के चयन आदि के सम्बंध में आज की बैठक को सम्बोधित करते हुए मायावती ने कहा कि देश और यूपी सहित विभिन्न राज्य सरकारों की संकीर्ण, जातिवादी तथा जनविरोधी नीतियों एवं कार्यप्रणाली आदि के कारण राजनीतिक हालात तेज़ी से बदल रहे हैं तथा ऐसे में किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं होकर बहुकोणीय संघर्ष का रास्ता लोग चुनने को आतुर नजर आ रहे हैं। ऐसे में लोकसभा का अगला आमचुनाव दिलचस्प, संघर्षपूर्ण और व्यापक जनहित एवं देशहित में साबित होने की प्रबल संभावना है, जिसमें बी.एस.पी. की भी अहम् भूमिका होगी।
ऐसे में पार्टी को समय-समय पर दिये जा रहे ज़रूरी दिशा-निर्देशों पर ईमानदारी व निष्ठापूर्वक मेहनत करके अच्छा रिज़ल्ट जरूर हासिल किया जा सकता है। ऐसा हो जाने पर परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) के “आत्म सम्मान व स्वाभिमानी मूवमेन्ट” तथा उनके कारवाँ को केवल यूपी जैसे राज्यों में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मज़बूती मिलेगी तथा समस्त गरीबों, वंचितों, शोषितों-पीड़ितों में से ख़ासकर सदियों से जातिवाद के शिकार दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्गों के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों में से विशेषकर मुस्लिम समाज के करोड़ों लोगों को जुल्म-ज्यादती, द्वेष, भेदभाव व दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह के सरकारी व्यवहार से मुक्ति मिल जाएगी।
किन्तु इसके लिए विरोधी पार्टियों और उनकी सरकारों के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि सभी किस्म के हथकण्डों को अपनी बहुजन एकता और एकजुटता तथा सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने की अपनी चाह /ललक को ठोस लोकतांत्रिक मजबूती प्रदान करना जरूरी होगा, जो “बहुजन समाज” के लिए मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि ऐसा उन्होंने ख़ासकर यूपी में अनेको बार करके देश को दिखाया है।
अपने इस सम्बोधन से पहले मायावती ने पार्टी की पिछली बैठक में दिये गये जरूरी दिशा-निर्देशों पर ज़मीनी स्तर पर होने वाले अमल की जिला व मण्डलवार समीक्षा रिपोर्ट लेने के बाद उन्हें अमलीजामा पहनाने में आने वाली कमियों को दूर करके आगे बढ़ने के लिये नये दिशा-निर्देश दिये। पार्टी संगठन तथा सदस्यता आदि की जिम्मेदारी भी सख्त हिदायत देते मायावती ने आगामी संसदीय चुनाव के लिए बेहतर कैडर व्यवस्था के आधार पर युवा मिशनरी लोग भी तैयार करने का अपना निर्देश दोहराते हुये कहा कि पाँच राज्यों में विधानसभा आमचुनाव के बाद अब लोकसभा के लिये फिर से यहाँ माहौल काफी गरमाने लगा है तथा नई सरगरमी भी शुरू हो गयी है।
इसके अलावा, आगामी 6 दिसम्बर को संविधान निर्माता भारतरत्न बोधिसत्व परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस (निधन दिवस) को पार्टी की परम्परा के अनुसार पूरे देश में व ख़ासकर उत्तर प्रदेश (UP) में पूरी मिशनरी भावना के अनुरूप आयोजित करने का निर्देश देते हुये बसपा सुप्रीमो ने कहा कि इस बार इस कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है जिसके तहत् अब पश्चिमी यूपी के छह मण्डलों तथा आगरा (Agra), अलीगढ़ (Aligarh), बरेली (Bareilly), मुरादाबाद (Moradabad), मेरठ तथा सहारनपुर (Meerut-Saharanpur) मण्डल के लोग नोएडा में बी.एस.पी. की सरकार द्वारा दिल्ली यूपी सीमा पर निर्मित भव्य “राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल व ग्रीन गार्डेन” में पूरी सामूहिकता के साथ अपने मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को अति-प्रभावी तौर पर श्रद्धांजलि व श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे, जबकि यूपी के शेष 12 मण्डलों में पार्टी के लोग राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के तट पर स्थापित भव्य, विशाल एवं विश्व विख्यात “डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल” प्रांगण में स्थित “डा. अम्बेडकर स्मारक” में अपने मसीहा को भावभीनी श्रद्धांजलि व अपार श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए पहुँचेंगे।
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वैसे बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) ने देश की मजबूती, उसकी एकता, अखण्डता और उन्नति के साथ ही साथ यहाँ के रहने वाले करोड़ों गरीबों, शोषितों-पीड़ितों एवं उपेक्षितों के हित, कल्याण एवं उत्थान एवं इनके समतामूलक मानवतावादी विकास-सम्रद्धि आदि के लिये आजीवन दिन-रात जो कड़ी मेहनत की तथा जो बेहतरीन व बेमिसाल योगदान दिये हैं उसके लिये उनकी जितनी भी सराहना की जाये वह कम होगी। यही कारण है कि आज कदम-कदम पर सभी लोग उनका स्मरण करते हैं एवं उनके बताये रास्ते पर चलने की नसीहत उच्च पदों पर बैठे लोगों को देते रहते हैं, जबकि बी.एस.पी. उनके अति-महत्वाकांक्षी ‘आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान’ के कारवाँ को आगे बढ़ाने का दृढ़संकल्प रखने वाली देश की एकमात्र पार्टी व मूवमेन्ट है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के “सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति” के मिशनरी लक्ष्य की पूर्ति यहाँ की जा सके।
जहाँ तक रोजी-रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, सुख-शान्ति, समृद्धि आदि के ‘अच्छे दिन’ को तरसते उत्तर प्रदेश के लगभग 25 करोड़ लोगों के जीवन में छाई गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन व पलायन आदि के दुःख भरे जीवन की बात है तो यह भाजपा के शासनकाल में भी लगातार जारी है, बल्कि वास्तविकता यह है कि पिछले वर्षों में लोगों का दुःख-दर्द घटने के बजाय सरकारी वादों, दावों व घोषणाओं के विपरीत हालात और बिगड़े हैं तथा लोगों का जीवन त्रस्त हुआ है।
भाजपा की सरकार में भी उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में समग्र विकास के बजाय इनमें से मात्र कुछ गिने-चुने ज़िले को ही उसी प्रकार से सरकारी धन व्यय को प्राथमिकता दी जा रही है जिस प्रकार से सपा के शासनकाल में कुछ चुनिन्दा ज़िले ही सरकारी कृपादृष्टि के पात्र हुआ करते थे और जिस संकीर्ण राजनीति से जनता पहले की तरह ही दुःखी व त्रस्त है।
कुल मिलाकर, स्पष्ट है कि भाजपा भी, सपा व कांग्रेस की तरह अपने काम के बल पर जनता से वोट माँगने की स्थिति में नहीं है और इसीलिए उसे घोर चुनावी स्वार्थ की राजनीति के लिए संकीर्ण, भड़काऊ एवं विभाजनकारी मुद्दों का फिर सहारा लेने की जरूरत है, जिससे ख़ासकर बहुजन समाज के लोगों को बहुत सावधान रहना है। इनके किसी भी बहकावे में कतई नहीं आना है और न ही उनके हवाहवाई विकास के छलावे में और न ही इनके अन्य किसी उन्मादी मुद्दे में संयम खोना है।