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समानता मसावात, मानवता इंसानियत, नज़्म व ज़ब्त और अनुशासन का मरकज़ है मक्का
मक्का जो उम्मुल क़ुरा (बस्तियों की मां) है मक्का जो हरम है जहाँ हर तरह के खून खराबे वर्जित हैं
मक्का जहाँ अल्लाह का घर है जो दुनिया के दो अरब से ज्यादा मुसलमानों का किब्ला है उन के दिलों की धड़कन है उनके शौक का मरकज़ है
इन दिनों मक्का एक नए नाम से भी जाना जाता है और वह नाम है العاصمة المقدسة अर्थात The Holy Capital यानी पवित्र राजधानी और यह सच भी है देशों की राजधानी भले लंदन पेरिस टोक्यो बर्लिन रियाद वगैरह हों लेकिन ईमान व आस्था की राजधानी मक्का ही है व्यापार का केंद्र भले न्यूयार्क दुबई सिंगापुर शंघाई आदि हों पर तौहीद का केंद्र मक्का है
समानता मसावात, मानवता इंसानियत, नज़्म व ज़ब्त
और अनुशासन का मरकज़ है मक्का
मक्का को इब्राहिम की दुआएं हासिल हैं यह वह जगह है जहाँ इस्माईल ने कुर्बानी पेश की यह वह आबादी है जिसने हमारे रसूल सल्ललाहो अलैहे वसल्लम का बचपन देखा है बेदाग जवानी का मुशाहिदा किया है इसी जगह से तौहीद की आवाज़ बुलंद हुई यहीं अम्मार बिन यासिर की वालिदा सुमैया ने जान का नज़राना पेश किया यहीं की पहाड़ियों पर बिलाल ने अहदुन अहद का तराना गाया है यहाँ की गलियां जो कभी मुसअब बिन उमैर के कपडों में लगे खुशबुओं से महक जाया करती थी उन्हें दो फटे पुराने चादरों में भी देखा है यहाँ की घाटियों में बकरियां चराने वाले उमर ने दुनिया को शासन करने का तरीका सिखाया है
मक्का अमीन है यह हमारा पासबां है और हम इसके पासबां हैं अल्लाह हम सब इमान वालों को मक्का के दीदार की तौफीक बखशे आमीन सुम्मा आमीन।







