
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम
लखनऊ। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम (Shahnawaz Alam) ने हेट स्पीच और मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा हर ज़िले में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश पर योगी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बताया है कि उत्तर प्रदेश में इस निर्देश का पालन हुआ है लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा तहसीन पूनावाला मामले में 2018 में ही गाइडलाइन जारी किया गया था कि राज्य हर ज़िले में पुलिस कप्तान की हैसियत के अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाएगा जो हर महीने एक बार बैठक कर हेट स्पीच और मॉब लिंचिंग की घटनाओं और प्रवित्तियों पर विचार विमर्श कर कार्यवाई करेगी। केंद्र सरकार (central government) ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाख़िल हलफनामे में भी उत्तर प्रदेश को उन राज्यों की सूची में रखा है जिसने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस निर्देश को पूरा कर लिया है।
शाहनवाज़ आलम (Shahnawaz Alam) ने कहा है कि सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश के किसी भी ज़िले में ऐसी कोई कमेटी काम करती हुई नहीं दिखती है और न इस संबंध में कोई सूचना ही किसी ज़िले की मीडिया में प्रकाशित हुई है। हो सकता है योगी सरकार ने यह कार्यवाई सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रखी हो क्योंकि अगर वास्तव में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस निर्देश पर कार्यवाई होती तो सबसे ज़्यादा भाजपा के नेता ही जेल भेजे जाते। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर और वाटसऐप पर योगी और मोदी जी के फोटो वाले एकाउंट्स से सबसे ज़्यादा नफ़रत फैलाई जा रही है जिसपर सरकार की तरफ से कोई कार्यवाई नहीं होती।
उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) उत्तर प्रदेश (UP) से नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने और उनके द्वारा की गयी मीटिंग्स का ब्यौरा तलब करे ताकि सच्चाई सामने आ सके।