
Senior Muzaffarnagar Police officials addressing media after Charthawal encounter; Mission Shakti and SOG team’s success highlighted.
मुजफ्फरनगर पुलिस की बड़ी कामयाबी, 10 संगीन मामलों का हुआ खुलासा
एसओजी और मिशन शक्ति टीम की संयुक्त कार्रवाई से बड़ा खुलासा
मुज़फ्फरनगर के चरथावल थाना क्षेत्र में एसओजी, पुलिस और मिशन शक्ति महिला पुलिस टीम ने संयुक्त कार्रवाई में दो अंतरराज्यीय लुटेरों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी घायल अवस्था में पकड़े गए और उनके कब्जे से सोना, नक़दी, चोरी की मोटरसाइकिलें और अवैध हथियार बरामद हुए। यह कार्रवाई यूपी पुलिस की सख़्ती और अपराध के खिलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का बड़ा उदाहरण है बल्कि यह पूरे तंत्र की कोशिशों और एक “नए पुलिसिंग मॉडल” का आईना है।
Muzaffarnagar,(Shah Times) । अपराध और पुलिस की जंग एक सदियों पुरानी कहानी है। हर बार जब कोई वारदात होती है तो आम जनता का भरोसा पुलिस से जुड़ता भी है और टूटता भी। चरथावल की हालिया मुठभेड़ इस टकराव की ताज़ा मिसाल है। यहां पुलिस ने जिस साहस के साथ अंतरराज्यीय लुटेरों को गिरफ्तार किया, उसने एक तरफ़ अपराधियों को चेतावनी दी और दूसरी तरफ़ समाज को भरोसा भी दिलाया।
पुलिस का दबाव और नई रणनीति
लेकिन इस बार हालात बदले। मेरठ ज़ोन से लेकर सहारनपुर रेंज तक अफ़सरों ने तय किया कि “लूट के इन सिलसिलेवार खेलों” को यहीं रोकना है। एसएसपी संजय कुमार वर्मा, एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत और सीओ डॉ. रवि शंकर के सुपरविजन में जो टीम बनी, उसने मिशन शक्ति को सिर्फ़ महिलाओं की सुरक्षा का अभियान नहीं रहने दिया बल्कि अपराधियों के ख़िलाफ़ हथियार भी बना दिया।
चरथावल के सैदपुर कलां तिराहे पर जिस तरह से चेकिंग चल रही थी, वह दरअसल “पुलिसिंग का मनोवैज्ञानिक खेल” था। अपराधी सोचते हैं कि पुलिस को चकमा देकर निकल जाएंगे, मगर अचानक जब उनकी मोटरसाइकिल फिसली और फायरिंग शुरू हुई तो खेल उलट गया।
घटना का पूरा ब्यौरा
23 सितम्बर 2025 की रात, चरथावल थाना क्षेत्र में पुलिस, एसओजी और मिशन शक्ति महिला पुलिस टीम संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रही थी। तभी मुखबिर ने सूचना दी कि दो कुख्यात लुटेरे मोटरसाइकिल से यहां से गुजरने वाले हैं।
थोड़ी देर बाद बाइक पर दो संदिग्ध दिखे। पुलिस ने उन्हें रोकने का इशारा किया लेकिन दोनों तेज़ी से भागने लगे। पीछा किया गया और सैदपुरा व कसियारा के बीच जंगल रास्ते पर मोटरसाइकिल गिर गई। वहीं से असली मुठभेड़ शुरू हुई।
बदमाशों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। नतीजा यह हुआ कि दोनों आरोपी घायल हो गए और मौके पर गिरफ्तार कर लिए गए।
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बरामदगी और खुलासा
पुलिस ने जिन सामानों को बरामद किया, वह अपने आप में एक लंबी आपराधिक फेहरिस्त का सबूत है।
36 ग्राम सोना
सोने के आभूषण (कई जिलों से लूटे गए)
7500 रुपये नकद
दो चोरी की मोटरसाइकिल
अवैध तमंचे और कारतूस
पूछताछ में पता चला कि इन लुटेरों ने 15 से 18 सितम्बर के बीच सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, हरिद्वार और शामली में कई लूट की वारदातें की थीं।
अपराधियों का प्रोफ़ाइल
दोनों आरोपी—अंकुर और लाखन उर्फ लक्खा—सहारनपुर के रहने वाले हैं। उम्र केवल 23 और 25 साल। मगर आपराधिक दिमाग़ इतना शातिर कि कई जिलों की पुलिस इनके पीछे थी।
यह सवाल खड़ा करता है कि इतनी कम उम्र में कोई अपराध की राह क्यों पकड़ लेता है? बेरोज़गारी, आसान पैसे का लालच और स्थानीय स्तर पर बढ़ते गिरोहबाज़ी के नेटवर्क इसका जवाब हैं।
पुलिस और मिशन शक्ति की भूमिका
इस ऑपरेशन की सबसे अहम बात थी महिला पुलिस की सक्रिय भागीदारी। “मिशन शक्ति” का मकसद ही है महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देना। यहां यह साफ़ दिखा कि महिला पुलिस टीम भी फ्रंटलाइन पर थी।
यह प्रतीक है बदलती पुलिस रणनीति का। पहले अपराधियों से निपटना पुरुष प्रधान जिम्मेदारी मानी जाती थी। मगर अब महिला पुलिस न सिर्फ़ मौजूद है बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रही है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। गांवों में चर्चा है कि पिछले कई हफ़्तों से महिलाएं अकेले बाजार जाने से डर रही थीं। सूनसान रास्तों पर लूट की घटनाओं ने माहौल खराब कर दिया था। अब यह गिरफ्तारी उनके लिए उम्मीद की किरण बनी है।
लेकिन साथ ही डर यह भी है कि क्या इस गिरोह के पकड़े जाने से अपराध बंद हो जाएगा या फिर जल्द ही नए चेहरे सामने आएंगे।
समाज और अपराध का रिश्ता
यह मामला केवल पुलिस बनाम अपराधियों की लड़ाई नहीं है। यह उस समाज की कहानी है जहां एक तरफ़ सुरक्षा तंत्र है और दूसरी तरफ़ आसान पैसे का लालच।
बदमाशों ने अक्सर महिलाओं को निशाना बनाया। वजह साफ़ है—महिलाएं गहने पहनकर खेत-खलिहान या सड़कों पर निकलती हैं और उन्हें आसानी से लूटना संभव लगता है। यह मानसिकता बताती है कि अपराधी समाज की कमजोर कड़ी पर वार करते हैं।
पुलिस की सराहनीय रणनीति
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने पूरी टीम को 25 हज़ार रुपये का इनाम दिया। यह कदम केवल पुलिस को सम्मानित करने का नहीं बल्कि समाज को यह संदेश देने का भी है कि मेहनत और ईमानदारी से अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है।
नज़रिया
यह घटना पुलिस की सफलता का प्रतीक है, लेकिन असली सवाल यह है कि नौजवान अपराध की राह क्यों चुन रहे हैं।
मिशन शक्ति जैसी योजनाओं को और मज़बूत करने की ज़रूरत है ताकि महिलाओं में भरोसा और सुरक्षा की भावना बढ़े।
अपराध पर केवल पुलिस कार्रवाई से अंकुश नहीं लगेगा। इसके लिए समाज, शिक्षा और रोज़गार की नीतियों को भी मज़बूत करना होगा।
चरथावल की मुठभेड़ केवल दो अपराधियों की गिरफ्तारी की कहानी नहीं है। यह एक चेतावनी है अपराधियों के लिए और भरोसे की किरण है आम जनता के लिए।
कानून का डर तभी कायम रहेगा जब ऐसी कार्रवाइयों को निरंतरता मिलेगी। समाज को भी सजग रहना होगा ताकि अपराध की जड़ें फैलने से पहले ही काटी जा सकें।