
BRICS leaders including India, Brazil, South Africa, China, Indonesia participate in high-level discussions.@Shah Times
BRICS सम्मेलन में मोदी का विज़न: AI, विकास और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था पर फोकस करेगा भारत
BRICS सम्मेलन में PM मोदी का संकल्प: वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बने और बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार का नेतृत्व करे भारत
PM मोदी ने BRICS सम्मेलन में बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार, ग्लोबल साउथ के सशक्तिकरण, AI के नैतिक उपयोग और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा पर भारत की दूरदर्शी भूमिका को रेखांकित किया। पढ़ें विश्लेषण।
BRICS मंच से भारत का आह्वान: बहुपक्षीय सुधारों और वैश्विक साझेदारी की नई इबारत
ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दृष्टिकोण और संकल्प के साथ वैश्विक दक्षिण (Global South) के सशक्तिकरण और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की वकालत की, वह भारत की वैश्विक कूटनीति में एक निर्णायक मोड़ का प्रतीक है। यह भाषण न केवल भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि बदलती वैश्विक व्यवस्था में BRICS की भूमिका को पुनर्परिभाषित करने का एक अवसर भी है।
बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार: समय की माँग
PM मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मौजूदा बहुपक्षीय व्यवस्थाएं—जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, WTO, IMF—आज के बहुध्रुवीय विश्व की जटिलताओं और अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने BRICS देशों से आह्वान किया कि वे खुद के अंदर भी सुधार करें ताकि जब वे वैश्विक मंच पर बदलाव की बात करें तो उनकी बात को गंभीरता और विश्वसनीयता से लिया जाए। यह बात भारत की “रिफॉर्मिंग द रिफॉर्म्स” नीति की पुनर्पुष्टि है।
ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक: स्मार्ट फाइनेंसिंग की ज़रूरत
PM मोदी ने BRICS न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की सराहना करते हुए कहा कि इस मंच से केवल ऋण वितरण ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता, मांग-आधारित निर्णय और उच्च क्रेडिट रेटिंग बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है। यह दृष्टिकोण विकासशील देशों को आत्मनिर्भरता और वित्तीय जवाबदेही की दिशा में ले जाता है।
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ग्लोबल साउथ: BRICS की असली कसौटी
PM मोदी के मुताबिक, BRICS को अपनी नीतियों और पहलों के ज़रिये उन विकासशील देशों की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहिए जो इसे समानता, सहयोग और अवसरों के प्रतीक के रूप में देखते हैं। उन्होंने वैश्विक दक्षिण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित किया—जैसे कि BRICS एग्रीकल्चरल रिसर्च प्लेटफॉर्म, जो कृषि जैव प्रौद्योगिकी, जलवायु अनुकूलन और सटीक खेती के क्षेत्रों में अनुसंधान को साझा करने का एक मंच प्रदान करता है।

ब्रिक्स साइंस एंड रिसर्च रिपॉज़िटरी का प्रस्ताव
PM मोदी ने एक महत्वाकांक्षी पहल के रूप में “BRICS Science and Research Repository” का सुझाव दिया, जो वैश्विक दक्षिण के वैज्ञानिक और शोध संस्थानों के बीच ज्ञान-विनिमय को तेज़ कर सकता है। यह पहल ब्रिक्स देशों के बीच वैज्ञानिक कूटनीति (Science Diplomacy) को बढ़ावा दे सकती है, जो एक भविष्यगामी कदम होगा।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा: सहयोग का नया मोर्चा
PM मोदी ने चेताया कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत और सुरक्षित बनाना अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक मुद्दा भी बन चुका है। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी भी देश को इन आपूर्ति संसाधनों का उपयोग एकतरफा हितों या ‘हथियार’ की तरह नहीं करना चाहिए। यह टिप्पणी चीन की आर्थिक नीतियों की ओर भी संकेत करती है जो वैश्विक व्यापार और संसाधनों पर नियंत्रण की कोशिश करती रही हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): मानवता के लिए, न कि उसके विरुद्ध
मोदी ने भारत की “AI for All” नीति को साझा करते हुए कहा कि AI को केवल तकनीकी नवाचार नहीं बल्कि मानवता के मूल्यों और क्षमताओं को सशक्त करने वाला उपकरण माना जाना चाहिए। उन्होंने AI गवर्नेंस में संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया—नवाचार को प्रोत्साहन और चिंताओं को समाधान, दोनों समान प्राथमिकता के पात्र हैं। भारत में AI का उपयोग शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में पहले से हो रहा है।
भारत की नेतृत्व भूमिका: उदाहरण से नेतृत्व
PM मोदी ने अपने भाषण के समापन में कहा, “ग्लोबल साउथ की हमसे बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्हें पूरा करने के लिए हमें ‘लीड बाय एग्ज़ाम्पल’ का सिद्धांत अपनाना होगा।” यह कथन भारत की वैश्विक नीतियों में नैतिक नेतृत्व की मांग को रेखांकित करता है। यह सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि भारत के ऐतिहासिक सभ्यतागत दृष्टिकोण की भी पुनर्पुष्टि है जो समावेशिता, संवाद और साझेदारी को सर्वोच्च मानता है।
पांच देशों की यात्रा: भारत की दक्षिण-साझेदारी की पुष्टि
इस BRICS सम्मेलन से पहले मोदी की यात्रा घाना, त्रिनिडाड एवं टोबैगो और अर्जेंटीना तक फैली थी और अब अंतिम पड़ाव नामीबिया है। यह व्यापक यात्रा भारत की ‘Global South’ नीति का हिस्सा है, जो दर्शाता है कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देशों का नेता बनकर उभर रहा है।
भारत—एक वैश्विक मार्गदर्शक
PM मोदी का BRICS में दिया गया भाषण केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक वैश्विक दिशा-निर्देशक दस्तावेज़ के रूप में देखा जाना चाहिए। बहुपक्षीय सुधारों की मांग, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा, ग्लोबल साउथ के सशक्तिकरण, AI की नैतिकता और BRICS के भीतर सहयोगात्मक नवाचार जैसे मुद्दे आज के विश्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। भारत इन मुद्दों पर केवल बात नहीं कर रहा—वह नेतृत्व कर रहा है।