
A panoramic aerial photograph of Muzaffarnagar city showing residential clusters, and greenery – Shah Times
पंचायत चुनाव 2026 के बाद मुजफ्फरनगर को मिल सकता है नगर निगम का दर्जा
मुजफ्फरनगर नगर निगम की घोषणा 2027 चुनाव से पहले संभव
मुजफ्फरनगर को नगर निगम बनाने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो चुकी है। 2026 पंचायत चुनावों के बाद और 2027 विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा संभव है।
Muzaffarnagar,(Shah Times) । मुजफ्फरनगर के शहरी विकास को लेकर लंबे समय से चल रही कवायद एक बार फिर तेज हो गई है। लगभग चार साल की देरी के बाद नगर निगम बनाने की प्रक्रिया दोबारा शुरू हो चुकी है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 के बाद और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद को नगर निगम घोषित कर दिया जाएगा।
प्रशासनिक स्तर पर कार्यवाही की तैयारी चल रही है और शासन स्तर पर यह मामला गंभीरता से विचाराधीन है। 2022 में शासन ने लगभग 11 ग्राम पंचायतों को नगर पालिका परिषद में शामिल कर लिया था, जिससे नगर निगम का दर्जा पाने की मांग और मजबूत हो गई थी। उस समय 15 अगस्त 2022 को इसे घोषित करने की संभावना बनी थी, लेकिन घोषणा अधर में लटक गई। अब एक बार फिर यह संभावना बन रही है कि आने वाले वर्षों में मुजफ्फरनगर को नगर निगम का दर्जा मिल जाएगा।
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नगर निगम बनने की संभावित समय-सीमा
सूत्रों की मानें तो 2026 के पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यह घोषणा हो सकती है। प्रशासनिक स्तर पर प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन अभी तक कोई अंतिम तिथि घोषित नहीं हुई है। राज्य सरकार से मंजूरी मिलते ही आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
इसका मतलब साफ है कि वर्तमान में कोई निश्चित तारीख नहीं बताई जा सकती, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक संकेत यही बताते हैं कि अगले दो सालों में मुजफ्फरनगर नगर निगम की घोषणा संभव है।
नगर निगम बनने के संभावित फायदे
बेहतर शहरी विकास – नगर निगम बनने के बाद शहर में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल्स, पार्क और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा। इससे रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे।
विकास निधि – नगर निगम के पार्षदों को वार्षिक एक करोड़ की निधि मिलती है, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को गति मिलेगी।
सड़क और यातायात सुधार – चौड़ी और पक्की सड़कों, रिंग रोड और ट्रैफिक मैनेजमेंट की योजनाएं लागू होंगी।
शहरी सुविधाओं में वृद्धि – स्वच्छता, जलापूर्ति, स्वास्थ्य, अग्निशमन सेवाएं, पार्किंग और कूड़ा प्रबंधन जैसी मूलभूत सेवाओं में सुधार होगा।
केंद्रीय और राज्य योजनाओं का लाभ – नगर निगम बनने के बाद केंद्र और राज्य से अधिक फंड प्राप्त होगा, जिससे विकास कार्यों को और बल मिलेगा।
गांवों का शहरीकरण – आस-पास के गांव नगर निगम में शामिल होंगे, जिससे उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और पहचान शहर जैसी होगी।
नगर निगम का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत का पहला नगर निगम 1688 में मद्रास (अब चेन्नई) में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था। इसके बाद 1726 में बंबई और कलकत्ता में भी नगर निगम बने।
19वीं सदी में लॉर्ड मेयो और लॉर्ड रिपन ने स्थानीय शासन में विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की नींव रखी। रिपन को “स्थानीय स्वशासन का पिता” भी कहा जाता है।
स्वतंत्रता के बाद 1992 में 74वें संविधान संशोधन द्वारा नगर निगमों और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा मिला। इससे शहरी स्थानीय शासन को मजबूती और वैधानिक अधिकार मिले।
राजनीतिक और सामाजिक असर
नगर निगम का दर्जा केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं होगा बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी होंगे। 2027 विधानसभा चुनाव से पहले नगर निगम की घोषणा सत्ताधारी दल के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकती है।
वहीं सामाजिक स्तर पर यह निर्णय मुजफ्फरनगर की बदलती शहरी पहचान और भविष्य के विकास को दिशा देगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और रोजगार जैसे क्षेत्रों में नए अवसर खुलेंगे।
निष्कर्ष
मुजफ्फरनगर नगर निगम बनने की प्रक्रिया केवल शहर की भौगोलिक सीमा को नहीं बढ़ाएगी, बल्कि इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरी केंद्रों में से एक बना सकती है। हालांकि, अभी तक सरकार ने कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की है, लेकिन संकेत यही हैं कि 2026 और 2027 के बीच यह बड़ा फैसला सामने आ सकता है।
मुजफ्फरनगर की जनता वर्षों से इस घोषणा का इंतजार कर रही है। अब सवाल यह है कि क्या यह कदम शहरी विकास की नई कहानी लिखेगा या राजनीतिक घोषणा बनकर रह जाएगा।