
Dawood Ibrahim's associate Danish Chikna arrested by NCB from Goa resort, mephedrone recovered.
दाऊद इब्राहिम के सहयोगी दानिश चिकना की गोवा से गिरफ्तारी
मेफेड्रोन केस में बड़ा खुलासा, गोवा में दबोचा गया दाऊद का करीबी
📍 गोवा / मुंबई
🗓️ 29 अक्टूबर 2025
📝 संपादक: Asif Kha
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने गोवा में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी दानिश मर्चेंट उर्फ दानिश चिकना को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 1.3 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद हुआ। यह गिरफ्तारी दाऊद के बचे-खुचे नेटवर्क पर एनसीबी की कड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
गोवा में हुई यह गिरफ्तारी न सिर्फ एक ऑपरेशन की सफलता है, बल्कि यह उस जाल का हिस्सा भी है जो वर्षों से मुंबई और दूसरे राज्यों में फैला हुआ था। दानिश चिकना का नाम अंडरवर्ल्ड के उन चेहरों में शामिल है, जिन्होंने कभी पर्दे के पीछे रहकर ड्रग्स की सप्लाई और वितरण का नेटवर्क संभाला।
दानिश, जिसे अंडरवर्ल्ड में “दानिश चिकना” के नाम से जाना जाता है, मुंबई के डोंगरी इलाके से जुड़ा रहा है। बताया जाता है कि वह दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क का भरोसेमंद सहयोगी था और सिंथेटिक ड्रग्स जैसे मेफेड्रोन की सप्लाई चेन संभालता था।
एनसीबी के अनुसार, दानिश और उसकी पत्नी दोनों कई महीनों से गिरफ्तारी से बचते हुए अलग-अलग राज्यों में घूम रहे थे। लगातार निगरानी और इंटेलिजेंस की मदद से एजेंसी ने 25 अक्टूबर को गोवा के एक रिज़ॉर्ट से उसे गिरफ्तार किया। छापेमारी के दौरान उसके पास से 1.3 किलो मेफेड्रोन बरामद किया गया।
इससे पहले, एनसीबी ने पुणे और मुंबई में की गई छापेमारी में उसके नेटवर्क से जुड़े कई लोगों को पकड़ा था। जांच में यह भी सामने आया कि दानिश और उसकी पत्नी मिलकर ड्रग्स की सप्लाई का पूरा सिंडिकेट चला रहे थे।
नेटवर्क की परतें
दानिश की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया कि ड्रग तस्करी का यह जाल सिर्फ सड़क स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि यह हाई-प्रोफाइल सर्किट्स, पार्टी नेटवर्क और फाइनेंशियल चैनल्स तक फैला हुआ है।
अधिकारियों का मानना है कि उसने डोंगरी स्थित ड्रग सिंडिकेट के कई हिस्सों का संचालन किया था, जो दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क से जुड़ा था। यह नेटवर्क न सिर्फ मुंबई बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा तक फैला हुआ था।
रणनीतिक कार्रवाई
एनसीबी और मुंबई पुलिस इस गिरफ्तारी को उस बड़ी रणनीति का हिस्सा मान रही हैं, जिसमें दाऊद के बचे हुए नेटवर्क पर शिकंजा कसना शामिल है। इस कार्रवाई का मकसद सिर्फ ड्रग्स की सप्लाई रोकना नहीं, बल्कि उन वित्तीय चैनलों को भी ट्रैक करना है जिनसे यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा था।
अगर एजेंसियां इस नेटवर्क के मनी ट्रेल और लॉजिस्टिक चैन तक पहुंच पाईं, तो यह पूरे सिंडिकेट के लिए बड़ा झटका साबित होगा।
हालांकि, यह भी सच है कि दाऊद के जैसे अंडरवर्ल्ड नेटवर्क अक्सर एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद भी खुद को पुनर्गठित कर लेते हैं। इसलिए असली चुनौती है— नेटवर्क को तोड़ना, न कि सिर्फ उसके एक हिस्से को।
अतीत से सबक
दानिश चिकना का नाम पहले भी कई मामलों में सामने आ चुका है। 2021 में वह राजस्थान में पकड़ा गया था, जहां वह कथित तौर पर एक सीक्रेट ड्रग लैब चला रहा था। उसके पास से कई तरह के केमिकल्स और सिंथेटिक ड्रग्स बरामद हुए थे।
2024 में भी उसका नाम मुंबई पुलिस के एंटी-नारकोटिक्स सेल की जांच में आया, जब दो तस्करों ने उसे अपना सप्लायर बताया था।
इस बार की गिरफ्तारी से संकेत मिलते हैं कि वह फिर से सक्रिय हो चुका था और पुराने नेटवर्क को रीस्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था।
आगे की राह
एनसीबी की इस कार्रवाई के बाद अब फोकस इस बात पर होगा कि क्या एजेंसी इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों तक पहुंच पाती है या नहीं।
अगर एजेंसियां वित्तीय स्रोतों, ड्रग्स के रॉ मैटेरियल सप्लायर्स, और विदेशी कनेक्शन तक पहुंचने में सफल होती हैं, तो यह कार्रवाई ड्रग माफिया के लिए बड़ा झटका साबित होगी।
लेकिन अगर जांच सिर्फ गिरफ्तार व्यक्ति तक सीमित रह गई, तो यह ऑपरेशन भी पिछली कार्रवाइयों की तरह अधूरा रह जाएगा।
यह वही मोड़ है जहाँ से फर्क पैदा किया जा सकता है — या तो सिस्टम अपनी मजबूती दिखाएगा या अपराध नेटवर्क फिर से अपनी पकड़ बना लेगा।
दानिश चिकना की गिरफ्तारी एक बड़ी उपलब्धि है, पर यह कहानी का अंत नहीं है।
यह शुरुआत है एक लंबी जाँच की, जिसमें कई नाम, कई नेटवर्क और कई आर्थिक चैनल सामने आ सकते हैं।
यह कार्रवाई यह भी बताती है कि एजेंसियाँ अब अधिक सक्रिय हैं और अंडरवर्ल्ड के खिलाफ लड़ाई सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी लड़ी जा रही है।
अगर यह सिलसिला इसी सख़्ती से जारी रहा, तो मुंबई और आसपास के ड्रग नेटवर्क पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है।






