
मेरठ (संवाददाता)। मेरठ (Meerut) के कस्बा किठौर (Kithaur) स्थित मेरठ गढ़ मार्ग (Meerut Garh Marg) पर काफी समय से बंद पड़ी सीमेंट फैक्ट्री (cement factory) में बनी हौज में बंदरों के शव मिलने की सूचना पर हड़कंप मच गया।सूचना मिलते ही पशु चिकत्सक (),वन विभाग (),पुलिस (),नगर पंचायत की टीम () मौके पर पहुंची। टीम ने जेसीबी मशीन की मदद से बंदरों के शवों को बहार निकालकर एक गड्डे में दबवा दिया।
मिली प्राप्त जानकारी के मुताबिक कस्बा किठौर में मेरठ गढ़ (Meerut Garh) पर भारत धर्म कांटे (india religion thorn) के पीछे राम किशन (RAM Kishan) की एक सीमेंट फैक्ट्री है। सीमेंट फैक्ट्री कई वर्षो से बंद पड़ी है। बताया जाता है कि कई रोज से आसपास के लोगों बदबू आ रही थी।
पड़ोसी व्यक्तियों ने अपने मकान की छत से बराबर फैक्ट्री में झांक कर देखा तो उसमें बनी पानी की होज में बंदरों के शव तैरते दिखे ओर होज के चारो ओर बंदरो का झुंड लगा हुआ था। जिसकी जानकारी कई बार फेक्ट्री मालिक को दी गई। लेकिन फैक्ट्री मालिक ने कोई सुध नहीं ली। बाद में कुछ व्यक्तियों ने यह सूचना मीडिया को दी, मीडिया ने इस घटनाक्रम के बारे में पुलिस व वन विभाग को अवगत करवाया।
दैनिक शाह टाइम्स अपने शहर के ई-पेपर पढने के लिए लिंक पर क्लिक करें
सूचना मिलने पर मौके पर पहुँचे क्राइम इंस्पेक्टर सौरभ शुक्ला (Saurabh Shukla), वन दरोगा राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) के नेतृत्व में टीम व नगर पंचायत की टीम (Nagar Panchayat team) मौके पर पहुंची। जहाँ देखा कि बंद पड़ी सीमेंट फैक्ट्री की हौज भरे पानी में लगभग तीन दर्जन से अधिक बंदर मृत पड़े है। जिनको शव को जेसीबी की मदद से बहार निकाला गया। और पास में ही एक गड्ढा खोदकर शवों को दबा दिया गया। मामले की जांच की जा रही है। वही चिकत्साधिकारी संदीप कुमार (Sandeep Kumar) ने बताया कि शव काफ़ी पुराने है।आशंका है कि बंदर नहाते समय पेड़ से कूदे हो। और पानी में डूबने से मृत्यु हो गई है। वही बंदरों के शव पोस्टमार्टम होने की दशा में नहीं है।
बंदरों के शवों का पोस्टमार्टम नही कराया गया
बंदरों के शवों का पोस्टमार्टम नही कराया गया। चिकित्साअधिकारी संदीप कुमार (Sandeep Kumar) ने बंदरो के शव को मोर्चरी होने की दशा में नही होने का हवाला देते हुए, वही जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर दबवा दिया। आपको बता दें कि वन विभाग अभी बंदरो की मौत की सख्या बताने से कतरा रहा है।
फैक्ट्री मालिक देता ध्यान तो बच जाती बंदरों की जान
समय रहते यदि फैक्ट्री मालिक व प्रशासन इस घटना की सुध लेता तो बंदरो की मौत की संख्या में कमी रहती। क्योंकि जब होज में एक बंदर का बच्चा डूबा था। तो बंदरो के झुंड ने उसको बचाने के प्रयास में एक एक करके उस पानी कूद कर बच्चे को बचाने का प्रयास किया। किन्तु जो भी बन्दर उस होज में कूदा उसने वही दम तोड़ दिया। जिससे बन्दर आक्रमक हो गए और काफी शोर मचाया, बंदरो के शोर को सुनकर पड़ोसियों ने देखा तो बन्दर होज में डूब रहे है। जिसकी जानकारी फैक्ट्री मालिक राम किशन को दी। लेकिन उसने यह घटना गंभीरता से नही ली, जिसका नतीजा यह हुआ कि लगातार बंदरों की मौत की संख्या में वृद्धि होती रही।
वन्य प्राणी विभाग के अधिकारी बोले, उनके एक्ट से बाहर हुए बंदर
दो दर्जन से अधिक बंदरों के शव मिलने की पुलिस ने वन्य प्राणी विभाग (wildlife department) के अधिकारियों से लिखित में तहरीर मांगी तो वन्य प्राणी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तीन-चार माह पहले वन्य प्राणी एक्ट के तहत बंदर की जिम्मेदारी उनकी नहीं रही। ऐसे में वे कुछ नहीं कर सकते। नगर पंचायत की जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ लिया।