
Fierce protests on the streets of Nepal, PM Oli's resignation and the rise of Mayor Balen Shah – Shah Times
ओली बनाम बालेन शाह: जेन-ज़ी आंदोलन ने नेपाल की सत्ता हिलाई
नेपाल में जेन-ज़ी विद्रोह, ओली की हार और बालेन शाह की एंट्री
नेपाल में जेन-ज़ी आंदोलन से राजनीतिक भूचाल, पीएम केपी ओली का इस्तीफा और काठमांडू मेयर बालेन शाह का उदय नई सत्ता बहस का केंद्र बना।
Kathmandu,(Shah Times) । नेपाल की राजधानी काठमांडू इन दिनों बारूद की तरह जल रही है। सड़कों पर फैला जनसैलाब किसी साधारण आंदोलन की तस्वीर नहीं बल्कि एक पीढ़ी की ताज़ा आवाज़ है—जिसे पूरी दुनिया Gen Z Movement के नाम से देख रही है। सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे राजनीतिक भूचाल में बदल गया। प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और सियासी बिसात पर नया मोहरा बनकर सामने आए हैं काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन शाह)।
नेपाल का बदलता परिदृश्य
नेपाल की सियासत लंबे समय से पारंपरिक दलों—नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (UML), नेपाली कांग्रेस और माओवादी धड़ों—के बीच झूलती रही। लेकिन इस बार हालात कुछ और हैं। सोशल मीडिया पीढ़ी, जिसे जेन-ज़ी कहा जा रहा है, ने देश की धड़कन अपने हाथ में ले ली है।
संसद भवन में आगजनी
राष्ट्रपति और मंत्रियों के आवास पर हमले
पुलिस-प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत में 20 से ज़्यादा मौतें
प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा और कैबिनेट का टूटना
इन घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि यह महज़ असंतोष नहीं बल्कि नए नेपाल की तलाश है।
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बालेन शाह: एक असामान्य नायक
इंजीनियर से रैपर और फिर काठमांडू के मेयर बने बालेन शाह का सफर अपने आप में एक कहानी है।
युवाओं के बीच उनकी छवि रोल मॉडल की तरह है।
2023 में Time Magazine ने उन्हें विश्व की टॉप 100 शख्सियतों में जगह दी।
भारतीय फिल्म आदिपुरुष पर विवादित डायलॉग्स के खिलाफ उनका स्टैंड नेपाली राष्ट्रवाद को हवा देने वाला साबित हुआ।
आज वही बालेन, जो कभी नगर निगम के भ्रष्टाचार और अवैध निर्माणों से लड़ रहे थे, अचानक पूरे राष्ट्र के आंदोलन का चेहरा बन गए हैं।
विश्लेषण: जेन-ज़ी आंदोलन की ताक़त
नेपाल का आंदोलन सिर्फ सड़क पर उतरे हुए युवाओं का गुस्सा नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया की शक्ति का जीवंत उदाहरण है।
#Nepokid ट्रेंड ने नेताओं के परिवारवाद और विशेषाधिकार पर चोट की।
इंटरनेट बैन ने आग में घी डालने का काम किया।
काठमांडू से लेकर पोखरा तक, छोटे कस्बों तक में छात्र-युवा संगठित हो गए।
यह पूरी तरह organic आंदोलन है, जिसमें किसी दल का सीधा हाथ नहीं दिखता। यही वजह है कि यह पारंपरिक सत्ता ढांचे के लिए और भी खतरनाक है।
ओली बनाम बालेन: टकराव की पृष्ठभूमि
बालेन और ओली का टकराव नया नहीं है।
नगरपालिका कर्मचारियों को वेतन न मिलना
अवैध निर्माण और ज़मीन कब्ज़े पर कार्रवाई
न्यू रोड चौड़ीकरण और गिरि बंधु चाय बागान घोटाला
हर मौके पर बालेन ने खुलकर सरकार को चुनौती दी। ओली ने उन्हें “राजनीतिक बुलबुला” कहा, लेकिन वही बुलबुला अब तूफ़ान बन चुका है।
काउंटरपॉइंट्स: क्या बालेन समाधान हैं या नई समस्या?
हालाँकि बालेन शाह युवाओं के लिए नायक बनकर उभरे हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि—
क्या उनके पास राष्ट्रीय स्तर पर शासन का अनुभव है?
क्या मेयर की सीमित राजनीति से निकलकर वे पूरे नेपाल की जटिलताओं को संभाल पाएंगे?
क्या पारंपरिक दल मिलकर उन्हें रोकने की कोशिश नहीं करेंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बालेन की लोकप्रियता लहर है, मगर सत्ता की हकीकत numbers और alliances से तय होती है।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
नेपाल का संकट केवल घरेलू नहीं है।
चीन और भारत, दोनों नेपाल को अपने प्रभाव क्षेत्र में रखना चाहते हैं।
अशांति से पर्यटन उद्योग चरमराया है, जो नेपाल की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ है।
पड़ोसी देशों को भी डर है कि anti-establishment wave उनकी सीमाओं तक न पहुँच जाए।
निष्कर्ष
नेपाल का जेन-ज़ी आंदोलन किसी अस्थायी ग़ुस्से का विस्फोट नहीं, बल्कि generational shift का संकेत है। पीएम ओली का पतन इसी बदलाव की पहली गूंज है। बालेन शाह को लेकर जनता में उम्मीदें हैं, मगर भविष्य यह बताएगा कि वे इस ऊर्जा को संस्थागत सुधार में बदल पाते हैं या नहीं।
नेपाल एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां पुरानी राजनीति ढह रही है और नई राजनीति जन्म ले रही है।