
खालिस्तानी नेटवर्क और गैंगस्टर गठजोड़ पर सख़्त कार्रवाई
खालिस्तानी नेटवर्क पर प्रहार, दोनों देशों में भरोसे का नया दौर
📍 नई दिल्ली
| 05 अक्तूबर 2025
| ✍️ आसिफ़ ख़ान
भारत और कनाडा के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग ने दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊर्जा दी है। हालिया बैठकों और सख्त फैसलों के बाद खालिस्तानी नेटवर्क व गैंगस्टर गठजोड़ पर शिकंजा कसता दिख रहा है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में पिछले कुछ सालों में कई उतार–चढ़ाव आए। कभी राजनीतिक मतभेदों ने दूरी बनाई तो कभी सुरक्षा मुद्दों पर अविश्वास ने दीवार खड़ी कर दी। लेकिन हालिया घटनाक्रम ने दोनों देशों को यह एहसास कराया कि अगर वे सचमुच वैश्विक सुरक्षा में भूमिका निभाना चाहते हैं, तो पारस्परिक सहयोग ही एकमात्र रास्ता है।
प्रधानमंत्री स्तर पर हुई मुलाक़ात ने इस प्रक्रिया को गति दी। बातचीत केवल औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रही बल्कि उसके बाद अधिकारियों के बीच गहन बैठकें हुईं। सुरक्षा एजेंसियों का साझा एजेंडा साफ़ था— आतंक और संगठित अपराध की मिलीभगत को जड़ से खत्म करना।
गैंगस्टर–आतंकी गठजोड़ का खुलासा
भारतीय जांच एजेंसी ने लंबे समय से यह साबित करने की कोशिश की कि कुछ अंतरराष्ट्रीय गैंग स्थानीय अपराधों के साथ–साथ अलगाववादी ताक़तों से भी जुड़े हुए हैं। यह नेटवर्क न सिर्फ पैसों की उगाही करता है, बल्कि उसे हिंसा और आतंक के लिए इस्तेमाल करता है। कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने भी हाल ही में इस बात को स्वीकार किया कि उनके देश में सक्रिय कुछ गिरोह दरअसल उसी नेटवर्क का हिस्सा हैं।
कनाडा सरकार ने आधिकारिक रूप से एक बड़े गिरोह को आतंकी संगठन घोषित किया। यह फैसला केवल औपचारिक क़दम नहीं था बल्कि इसका असर दूरगामी है। इस घोषणा ने यह साफ़ संदेश दिया कि लोकतांत्रिक समाज में हिंसा और दहशत को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
खालिस्तानी नेटवर्क पर प्रहार
भारत लंबे समय से यह कहता आया है कि कुछ समूह विदेश की धरती से खालिस्तान आंदोलन को हवा देते हैं। ये समूह केवल विचारधारा तक सीमित नहीं रहते, बल्कि गैंगस्टरों और अपराधियों से मिलकर एक ऐसा तंत्र बनाते हैं जो कानून व्यवस्था को चुनौती देता है। कनाडा का ताज़ा फैसला इस पूरे नेटवर्क के लिए झटका है।
खुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़, पिछले कुछ महीनों में कनाडा के अलग–अलग इलाक़ों में आगजनी, धमकी और हमलों की घटनाएँ बढ़ी थीं। यह उस हताशा का नतीजा था जो इन तत्वों को महसूस हुई जब उनके खिलाफ कार्रवाई तेज़ हुई।
बिखरता साम्राज्य
लॉरेंस बिश्नोई का नाम अपराध और आतंक के गठजोड़ का प्रतीक बन चुका है। लंबे समय से जेल में बंद रहते हुए भी उसने अपने नेटवर्क को जिंदा रखा। लेकिन हालिया महीनों में उसके सहयोगी उससे अलग होते गए। गोल्डी बराड़, काला जठेड़ी और रोहित गोदारा जैसे नाम जिन्होंने कभी उसके लिए काम किया, अब उससे दूरी बना चुके हैं।
यह बिखराव संयोग नहीं है। दरअसल जब सुरक्षा एजेंसियों ने उस नेटवर्क पर शिकंजा कसा, तो अंदरूनी अविश्वास और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएँ भी सतह पर आ गईं। अब हर गैंगस्टर अपना अलग साम्राज्य खड़ा करना चाहता है।
राजनीति और सुरक्षा की नई दिशा
भारत और कनाडा की सरकारों ने समझ लिया है कि इस तरह का गठजोड़ केवल अपराध का मामला नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा का प्रश्न है। संगठित अपराध और आतंकवाद का यह संगम लोकतंत्र और शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। यही वजह है कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने मिलकर कार्ययोजना बनाई।
इसमें साझा इंटेलिजेंस, अपराधियों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई, वित्तीय नेटवर्क पर रोक और डिजिटल निगरानी जैसी रणनीतियाँ शामिल हैं। जब दो लोकतंत्र इस तरह साथ खड़े होते हैं, तो संदेश न केवल अपराधियों को जाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी मिलता है।
समाज पर असर
आम नागरिक के लिए यह मसला केवल अपराध की खबर नहीं बल्कि सुरक्षा और भरोसे का प्रश्न है। जब किसी देश की सड़कों पर हिंसा कम होती है, लोग बिना डर के कामकाज कर पाते हैं, तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने–बाने पर पड़ता है। कनाडा में रहने वाले भारतीय समुदाय को भी अब यह भरोसा मिला है कि उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सबक
इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए ज़रूरी है कि हम इसके पीछे के इतिहास को देखें। पंजाब के एक छोटे कस्बे से निकला एक युवक कैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत का नाम बन गया, यह कहानी केवल अपराध की नहीं बल्कि उस व्यवस्था की भी है जिसने उसे पनपने दिया। छात्र राजनीति से लेकर बड़े–बड़े हमलों तक उसकी यात्रा यह दिखाती है कि अगर समय रहते रोकथाम न हो, तो छोटा अपराध भी आतंक के स्तर तक पहुँच सकता है।
यह सबक न केवल भारत बल्कि हर देश के लिए ज़रूरी है। सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा कि स्थानीय स्तर पर पनप रही असामाजिक ताक़तें कहीं अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से न जुड़ जाएँ।
वैश्विक संदेश
भारत और कनाडा का यह सहयोग केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है। यह दुनिया को यह संदेश देता है कि आतंक और अपराध की कोई सीमा नहीं होती। अगर देश आपसी मतभेद भुलाकर साझा खतरे के खिलाफ खड़े हों, तो जीत संभव है।