झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के सानिध्य में उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। दिशोम गुरु शिबू सोरेन और झारखंड आंदोलन के प्रति अपने को समर्पित कर दिया।
दुमका, (Shah Times) । झारखंड मेंदुमका से झामुमो के टिकट पर नवनिर्वाचित सांसद नलिन सोरेन झारखंड आंदोलन के जुझारू सिपाही रहे हैं।झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के सानिध्य में उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। दिशोम गुरु शिबू सोरेन और झारखंड आंदोलन के प्रति अपने को समर्पित कर दिया। पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देख दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में पार्टी ने 1990 में झामुमो की सुनिश्चित जीत समझा जाने वाला शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और वे जीत दर्ज करने में सफल भी हुए। पार्टी ने उस समय के इस क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित विधायक डेविड मुर्मू का टिकट काट कर उन्हें मैदान में उतारा था। इस पर वे खरा भी उतरे।
नलिन सोरेन का दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड क्षेत्र के जंगल व पहाड़ों के बीच अवस्थित शिवतल्ला गांव में पिता जदु सोरेन और माता पानो मुर्मू के घर में 28 मार्च 1948 में हुआ था। पिता वन विभाग में फोरेस्ट के पद पर पलामू में कार्यरत थे। माता साधारण गृहणी थीं। मां- पिता जी अपने पुत्र को अच्छी तालिम देकर नौकरी दिला चाहते थे। पलामू से ही नलिन ने हायर सेकंडरी तक की डिग्री हासिल की। बाद में पिता जी का तबादला संताल परगना के साहेबगंज में हो गया। जहां से उन्होंने बीएससी पार्ट वन तक की शिक्षा प्राप्त की।इस बीच पिता सेवानिवृत्त हो गए। उस दौर में सरकारी कर्मचारियों को बहुत अधिक पेंशन नहीं मिलता था। इस बजह से परिवार का आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी। वे अपने परिवार के जीवन यापन के लिए खेती-बाड़ी करने लगे। लेकिन सिंचाई की कोई सुविधा नहीं रहने की बजह से 76 बीघा जमीन होने के बाद भी परिवार का भरण-पोषण करना सम्भव नहीं हो पा रहा था।
फलस्वरूप कुछ समय के लिए वे लघु सिंचाई विभाग के अधीन छोटी मोटी ठेकेदारी करने लगे। ठेकेदारी में भी बाहर के बड़े ठेकेदारों का दबाव था। यहां भी उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा था। इसी दौरान बाहर बड़े ठेकेदारों का दबदबा के साथ मजदूरों के साथ हो रहे जुल्म और शोषण को देख उनका मन विचलित होने लगा।यह देख युवा नलिन के मन में शोषण व जुल्म के खिलाफ जंग की ज्वाला भड़कने लगी। वे सदियों से शोषित आदिवासी समाज सहित यहां के निरीह लोगों को महाजनों ठगों के भ्रष्टचार की तबाही से उबारने और उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए मंच की तालाश करने लगे।इसी क्रम में दिशोम गुरु शिबू सोरेन का संताल परगना में प्रवेश हुआ।
शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने महाजनी प्रथा,दड़िया दारु के प्रचलन से समाज को मुक्त कराने के साथ अलग झारखंड राज्य आंदोलन को फिर नयी तेवर के साथ शुरू किया। नलिन सोरेन भी इस आंदोलन में कूद पड़े और गरीब मजदूरों के खिलाफ संघर्ष करते रहे।उल्लेखनीय है कि दुमका अजजा लोकसभा सुरक्षित क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नलिन सोरेन 22527 मतों से विजयी रहे हैं । दुमका जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे ने मंगलवार को उन्हें जीत का प्रमाण पत्र प्रदान किया। झामुमो के नलिन सोरेन को 5,47,370और भाजपा की सीता मुर्मू सोरेन को 5,24,843 मतों से ही संतोष करना पड़ा हैं।
इस तरह कांटे की टक्कर में नलिन सोरेन ने 22527 मतों से भाजपा की सीता मुर्मू सोरेन को हराकर यह सीट भाजपा से छिनने में सफल हुए। नलिन सोरेन ने अपनी जीत के लिए पार्टी नेतृत्व और दुमका की जनता के प्रति आभार जताते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व और यहां की जनता ने उन्हें जो स्नेह और सम्मान दिया है। उनके विश्वास और भरोसे पर मैं खरा उतरने का प्रयास करूंगा। ज्ञातव्य है कि भाजपा उम्मीदवार सीता सोरेन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी है।