भोपाल,(Shah Times ) । मप्र पुलिस ने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) में नए प्रयोग में महारत हासिल कर ली है। अब वो देश के दूसरे राज्यों की पुलिस को भी नई तकनीक का इस्तेमाल करके इन्वेस्टीगेशन के गुर सिखाएगी। राज्य में ई-इन्वेस्टिगेशन काफी कामयाब रही है। अब दूसरे राज्य मप्र के इस कामयाब तरीके को अपनाएंगे।
बता दें कि मप्र राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो पुलिस ने 26 सितंबर 2021 को ई विवेचना एप लांच किया था। इसके तहत जांच अधिकारियों को 1,732 टैबलेट दिए और इनके जरिए जांच रिपोर्ट तैयार करीई। इसका नतीजा ये रहा कि केस डायरी बनाने व चालान पेश करने में समय कम लगा। इससे कागज की भी बचत हुई। आईओ मामले का जांच के दौरान अपने टैबलेट लेकर फील्ड में गए। टैबलेट में ही बयान दर्ज किए। साथ ही हाथोंहाथ फोटो-वीडियो अपलोड किए। इसका फायदा ये रहा कि रीयल टाइम वर्क हुआ और जांच में पारदर्शिता आई। समय भी बचा।
पूरे देश में ऐसा करने वाली मध्य प्रदेश पुलिस की इस अनूठी पहल से एक साल में ही 30 हजार से ज्यादा केस डायरी पेश की जा चुकी हैं। 17 हजार से ज्यादा चालान पेश कर गए हैं। अब दिल्ली, पांडिचेरी, उड़ीसा, तेलंगाना, राजस्थान, यूपी, छत्तीसगढ़ और गुजरात सहित 10 से ज्यादा राज्य भी इसे अपनाएंगे।
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मप्र में 1,732 आईओ ने टैबलेट से बयान, फोटो-वीडियो लेकर रीयल टाइम वर्क किया,एक साल में 26 हजार केस में 90 हजार से ज्यादा केस डायरी जमा हुई और 15 हजार चालान पेश हुए, नतीजा- कागजी प्रक्रिया कम हुई, समय बचा और पारदर्शिता बढ़ी
आने वाले समय में पूरी तरह से कोर्ट में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस ) से ही चार्जशीट, केस डायरी व चालान पेश होंगे, देश में अकेले मप्र ने नेक्स्ट लेवल की दिशा में काम किया, अब दिल्ली, राजस्थान, यूपी, छग, गुजरात, पांडिचेरी, उड़ीसा,तेलंगाना सहित 10 राज्य भी इसे अपनाएंगे
भोपाल-इंदौर में सबसे ज्यादा टैबलेट जारी
भोपाल रेंज में 358 टैबलेट, इंदौर में 254, ग्वालियर में 180, उज्जैन में 152, होशंगाबाद में 96, छतरपुर में 67, सागर में 81, छिंदवाड़ा में 142, जबलपुर में 177, रीवा में 72, खरगोन में 33, चंबल में 62, बालाघाट में 40, शहडोल में 45, रीवा में 72, रतलाम में 55 और रेलवे में 60 व एसटीएफ को 30 टैबलेट दिए गए हैं।
ऐसे होता है ई-इन्वेस्टिगेशन
प्रदेश में सभी पुलिस थानों को टैबलेट दिए और उन्हें इस एप से जोड़ा। आईओ मौके पर ये टैबलेट साथ ले जाते हैं। एप में ही रिपोर्ट फीड करते हैं। गवाह के बयान लेने व जांच करने जाते हैं तो जियो टैगिंग भी होती है। मौके से उन्हें फोटो व वीडियो ऐप में अपलोड करने होते हैं। केस डायरी भी इसमें ही होती है। इस एप में वॉइस टू टेक्स्ट भी है, गवाह जो भी बोल रहा है वो दर्ज हो जाता हैं।
बड़ी स्क्रीन पर हर पल अपडेट होता है जांच का डेटा
इस एप को हैंडल करने कंट्रोल रूम बना है। करीब 35 सदस्यों की टीम हैं। दो बड़ी स्क्रीन पर हर थाने का ई इनवेस्टिगेशन ब्यौरा अपडेट होता है। आईओ फील्ड में जैसे ही जांच करता है। उसका रिकॉर्ड इसमें फीड हो जाता है। स्क्रीन पर हर जानकारी आती है और डाटा अपडेट होता है।
~ पंकज सिंह भदौरिया
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