शरद पवार की कोशिश मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम जनता में मोदी सरकार के खिलाफ उपजे असंतोष को विपक्षी दलों की एकता के लिए सीमेंट की तरह इस्तेमाल करने की
दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाकर विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में कांग्रेस ने रोड़ा अटक दिया है। रविवार को शरद पवार की पहल पर नौ विपक्षी दलों के नौ नेताओं ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर चिंता जाताई थी। इस पत्र से कांग्रेस ने दूरी बना ली थी। जब सोमवार एनसीपी नेता शरद पवार ने मनीष की गिरफ्तारी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा तो कांग्रेस की दिल्ली सरकार ने मनीष को ‘भ्रष्टाचारी और ‘देशद्रोही’ बताते हुए पोस्टर जारी कर दिया। इससे साफ है कि मनीष की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस बाकी विपक्ष के साथ नहीं है।
सोमवार को शरद पवार मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल उठाए। मनीष की गिरफ्तारी को लेकर वो मोदी सरकार जमकर बरसे। उन्होंने पीएम मोदी से विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से उन्हें लिखे पत्र पर जल्द संज्ञान लेने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘उस पत्र में पहला हस्ताक्षर मेरा है, और हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री हमारी चिंताओं को गंभीरता से लें। दिल्ली सरकार के उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया और जिसकी कई लोगों ने तारीफ की।’ पवार ने अपनी पार्टी के दो सदस्यों और महाराष्ट्र सरकर मंत्री रहे अनिल देशमुख और नवाब मलिक की गिरफ्तारी का भी हवाला दिया। पवार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेताओं पर भाजपा में शामिल होने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होती है। उन पर लगे सभी मामलों और आरोपों को हटा लिया जाता है।
शरद पवार की कोशिश मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम जनता में मोदी सरकार के खिलाफ उपजे असंतोष को विपक्षी दलों की एकता के लिए सीमेंट की तरह इस्तेमाल करने की है। लेकिन कांग्रेस ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ हमला बोलकर विपक्षी एकता की कोशिशों को ही पलीता लगाने की कोशिश की है। कांग्रेस ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान का जिक्र कर सिसोदिया और जैन पर निशाना साधा है। कांग्रेस के पोस्टर में केजरीवाल के बयान 'जो भ्रष्टाचारी है, वही देशद्रोही' है। के जरिए अपनी मंशा साफ कर दी है। कांग्रेस आप को भ्रष्टाचारी बताकर अपने पुराने वोटर्स को ये बताना चाह रही है कि जिस भ्रष्टाचार विरोधी बुनियाद पर आप का गठन हुआ था वो खुद ही अब भ्रष्टाचार में डूब गई है।
ED की टीम मनीष सिसोदिया से पूछताछ के लिए तिहाड़ जेल पहुंची
बता दें कि रविवार को पीएम मोदी को लिखे इस पत्र में 'केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग' पर चिंता जताई गई थी। इस पत्र पर शरद पवार समेत नौ विपक्षी नेताओं ने दस्तखत किए थे। शरद पवार के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने भी इसमें शामिल थे। कांग्रेस के किसी नेता ने इस पत्र पर दस्तखत नहीं किये थे। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ उसकी सहयोगी डीएमके ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
गौरतलब है कि 26 फरवरी को सीबाआई ने कई घंटों की पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का विपक्ष एकजुट होकर विरोध कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार विपक्षी नेताओं निशाना बनाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल गैरकानूनी ढंग से इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में छत्तीसगढ़ में अपने नेताओं के यहां ईडी के छापों पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक होने वाली कांग्रेस ने मनीष की गिरफ्तारी पर यू टर्न ले लिया है। इसका साफ संकेत यही है कि वो दिल्ली और पंजाब में उससे सत्ता छीनने वाली और गुजरात उसे नुकसन पहुंचाने वाली आम आदमी पार्टी के साथ किसी सूरत में नहीं जाएगी।
कांग्रेस के रुख के खिलाफ शरद पवार का मामना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सारे विपक्ष को एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ अपनी ताकत दिखानी होगी तभी उसे हराया जा सकता है। हाल ही में रायपुर के महबाधिवेशन में पारित कि गए अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने कहा है कि वो एक मात्र पार्टी है जो सभी विपक्षी दलों को नेतृत्व करने की क्षमता रखती है। सिर्फ उसी का संगठन देशभर में मौजूद है। लेकिन केंद्रीय एजेंसियो के दुरुपयोग के खिलाफ कांग्रेस बाकी विपक्ष से साथ खड़ी नहीं दिख रही है। वो अलग सुर में बोल रही है। इस मुद्दे पर उसका यूं किनारा करना उसके हाल ही के रुख से एकदम उलट नजर आता है।
कंग्रेस के रायपुर महाधिवेशन से ठीक पहले जब कांग्रेस के नेताओं के यहां छापे पड़े थे तब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद सीबीआई और ईडी के 95 प्रतिशत छापे विपक्षी दलों कल नेताओं के यहां पड़े हैं। तब एक आंकड़ा भी पेश किय गया था। इसके मुताबिक मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान 2004 से लेकर 2014 के बीच में ईडी ने 112 छापे मारे थे। तब 72 नेता सीबीआई की जांच के दायरे में थे। इनमें से विपक्ष के कुल 43 नेता थे। इससे पता चलता है कि जिन नेताओं पर सीबीआई ने शिकंजा कसा उनमें सिर्फ 60 प्रतिशत विपक्षी थे। इनमें कुल 12 नेताओं की गिरफ्तारी हुई। 30 चार्जशीट दायर की गईं। 6 नेता दोषी करार दिए गए और 7 अब तक रिहा हो चुके हैं।
इसके उलट मोदी सरकार के दौरान आठ साल में ऐसे छापों की संख्या 3010 हो गई है। 124 नेताओं पर सीबीआई की गाज गिरी। इनमें से विपक्षी दलों के 118 नेता है। यानी जिनपर सीबीआई ने शिकंजा कसा उनमें से 95 प्रतिशत विपक्षी दलों के हैं। इस दौरान दो दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। कुल 43 चार्जशीट दायर की गई, लेकिन अभी तक सिर्फ एक ही दोषी करार हुआ है। वहीं किसी भी मामले में रिहाई नहीं हुई है। 2014 से लेकर अब तक ईडी ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े 24 नेताओं के यहां रेड डाली है। टीएमसी के 19, एनसीपी के 11, शिवसेना के 8, डीएमके और बीजद के 6-6, राजद, बीएसपी, सपा और टीडीपी के 5-5, इनेलो और वाईएसआर कांग्रेस के 3-3, सीपीएम, एनसी और पीडीपी के 2-2, के साथ एआईएडीएमके एमएनएस और एसबीएसपी से जुड़े एक-एक नेताओं पर जांच एजेंसी ने दस्तक दी है।
इस विश्लेषण से पता चलता है कि केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर विपक्षी दलों के नेता हैं। ज्यादातर नेता आरोप साबित हुए बिना ही लंबे समय से जेल में हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर समूचे विपक्ष को एकजुट होकर ताकत दिखाने की जरूरत है। ये बात कांग्रेस को भी समझनी होगी। कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को विमान से उतारकर गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके खिलाफ सभी दलों ने आवाज उठाई थी। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर भी कंग्रेस को छोड़ सभी विपक्षी दल एक सुर में बोल रहे हैं। बीजेपी रे वरिष्ठ नेता शांता कुमार तक ने इस पर गंभीर सवाल उठा हैं। ऐसे में कांग्रेस का इस पर अलग रग अलापना विपक्ष की सझा ताकत को कमजोर करेगा। ये बातक कांग्रेस के रणनीतिकार जितनी जल्दी समझ जाएं उतना अच्छा है।
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