
RBI Governor Sanjay Malhotra press conference on repo rate
RBI ने रेपो दर को 5.5% पर बरकरार रखा, रियल एस्टेट में उम्मीद
आरबीआई का फैसला: त्योहारी सीजन से पहले EMI राहत बरकरार
RBI ने रेपो दर 5.5% पर बरकरार रखी। जानिए इस फैसले का आर्थिक संकेत, रियल एस्टेट व शेयर बाजार पर असर और भविष्य की नीति संभावनाएं।
नीतिगत स्थिरता या रणनीतिक प्रतीक्षा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अगस्त 2025 की समीक्षा बैठक में रेपो दर को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। यह निर्णय घरेलू आर्थिक सुधार, त्योहारी सीज़न की संभावित मांग और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच लिया गया है। RBI के इस कदम को संतुलित दृष्टिकोण माना जा रहा है, लेकिन इसके दूरगामी आर्थिक नतीजे कई सवाल खड़े करते हैं।
आरबीआई का निर्णय: क्या कहती है डेटा की भाषा?
रेपो दर: 5.5% (स्थिर)
स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी: 5.25%
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी: 5.75%
विकास अनुमान (FY 2025–26): 6.5% (स्थिर)
खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान: घटाकर 3.1%
कोर महंगाई: 4% के आसपास बनी हुई
इससे यह स्पष्ट होता है कि RBI का लक्ष्य फिलहाल मूल्य स्थिरता और स्थिर विकास दर के बीच संतुलन बनाए रखना है।
रियल एस्टेट सेक्टर की प्रतिक्रिया: उम्मीद बनाम मांग
रियल एस्टेट डेवलपर्स ने RBI के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन कई उद्योग विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि यदि रेपो दर में और कटौती की जाती, तो यह सेक्टर को और बूस्ट देता।
प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
नरेडको: “रेपो दर और घटानी चाहिए”
गोयल गंगा डेवलपमेंट्स: “निवेश और आपूर्ति में मदद”
अजमेरा रियल्टी: “मुद्रास्फीति नियंत्रण और विकास संतुलित”
फोर्टेशिया रियल्टी: “कम ब्याज दर से मध्यम वर्ग को राहत”
मुख्य बिंदु:
रेपो दर स्थिरता = ईएमआई स्थिरता = खरीदारों में भरोसा
मौजूदा होम लोन पर फ्लोटिंग रेट से लाभ
नई परियोजनाओं के लिए पूंजी लागत में स्थिरता
शेयर बाजार में गिरावट: संकेत या संयोग?
RBI के इस फैसले के तुरंत बाद BSE सेंसेक्स में 166 अंक और Nifty में 75 अंक की गिरावट देखी गई। खासकर रियल एस्टेट, FMCG और आईटी शेयरों में बिकवाली हावी रही।
📌 गिरने वाले प्रमुख शेयर:
सन फार्मा: -2.33%
टेक महिंद्रा: -1.97%
बजाज फाइनेंस: -1.67%
📌 बढ़त वाले शेयर:
एशियन पेंट्स: +2.19%
BEL: +0.80%
ट्रेंट: +0.79%
विश्लेषण: बाजारों को उम्मीद थी कि ब्याज दरों में और कटौती होगी जिससे उपभोग बढ़ता, लेकिन तटस्थ नीति के कारण यह धारणा बनी कि सुधार अभी धीमा है।
विश्लेषण: क्यों RBI ने लिया यह ‘तटस्थ’ रुख?
वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, अमेरिकी आयात शुल्क
घरेलू मजबूती: मानसून बेहतर, ईंधन कीमतें नियंत्रित
खपत में सुधार: त्योहारी मांग की संभावना
कोर मुद्रास्फीति: अभी भी नियंत्रण में नहीं
विशेषज्ञ राय:
अनंतनारायण वरयूर: “6.5% GDP अनुमान स्थिरता का संकेत”
संदीप आहूजा: “निरंतरता से रियल एस्टेट को स्थायित्व मिलेगा”
अमित जैन: “त्योहारी सीजन में यह नीति स्थिरता उपयोगी साबित होगी”
क्या आगे और दरों में कटौती संभव है?
आरबीआई ने नीतिगत दिशा को “तटस्थ” रखा है जिसका अर्थ है कि आगामी परिस्थितियों के अनुसार दरें घट या बढ़ सकती हैं।
संभावनाएँ:
यदि खुदरा महंगाई 3% से नीचे आती है → कटौती संभव
यदि वैश्विक अस्थिरता बढ़ती है → दरें स्थिर या बढ़ सकती हैं
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नीतिगत संतुलन की परीक्षा
भारतीय रिजर्व बैंक का यह निर्णय “मजबूत घरेलू संकेतों” और “वैश्विक अनिश्चितताओं” के बीच सामंजस्य बैठाने का एक प्रयास है। रेपो दर को स्थिर रखकर RBI ने संकेत दिया है कि वह जल्दबाजी में नहीं है, लेकिन आर्थिक गतिशीलता पर उसकी पैनी नज़र है।
🏡 रियल एस्टेट क्षेत्र को इससे राहत मिली है, लेकिन ज्यादा सकारात्मक असर के लिए और रेट कट की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
📉 बाजारों ने फिलहाल निराशा दिखाई है, लेकिन यह तात्कालिक प्रतिक्रिया है — दीर्घकालिक दृष्टि में नीति स्थिरता उपयोगी हो सकती है।
🧮 अगली MPC बैठक 29 सितंबर – 1 अक्टूबर को होगी। तब तक नज़र रहेगी खुदरा महंगाई और वैश्विक व्यापारिक गतिविधियों पर।