दीमक की तरह विभाग के राजस्व को चाट रहे हैं अधिकारी
ग्राम काकड़ा, मुरादनगर के 400 केवी विद्युत उपकेंद्र खंड-प्रथम बिजलीघर के अधिशासी अभियंता अरूण कुमार और विभाग के ही उनके कुछ कर्मचारी विभिन्न प्रकार से दिन-रात कर रहे हैं विभाग को खोखला । अधिशासी अभियंता सरकारी आदेश को ताक पर रखकर जारी करते हैं सप्लाई ऑर्डर मुरादनगर,(साजिद मंसूरी)। दीमक का नाम सुन कर आपके दिमाग में लकड़ी का ख्याल आ रहा होगा, लकड़ी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दीमक नामी एक कीड़े के द्वारा चाट चाट कर खोखली कर दी जाती है। कुछ इसी तरह विद्युत विभाग के अधिकारी दीमक की तरह विद्युत विभाग को खोखला कर रहे हैं। इसी तरह का हैरतअंगेज कारनामा जिला गाज़ियाबाद के कस्बा मुरादनगर के रावली रोड स्थित ग्राम काकड़ा के महत्त्वपूर्ण बिजलीघर, 400 केवी उपकेंद्र खंड-प्रथम पर सामने आया। जहां कुछ महीनों पहले गैर-विभागीय गुप्त सूत्रों से हमें खबर मिली कि यहाँ के सर्वोच्च पद पर तैनात अधिकारी-अधिशासी अभियंता अरूण कुमार, नाना प्रकार की अनियमिताओं में लिप्त हैं। देश और दुनिया के खबर से आपको सजग रखने वाले शाह टाइम्स के प्रतिनिधि साजिद मंसूरी इसका जायजा लेने कई बार बिजली घर जाते रहे, अधिशासी अभियंता और खंडीय लेखाकार से मुलाकात की, और स्टिंग ऑपरेशन किया-ऑपरेशन ‘दीमक’ जिसमें कुछ दिलचस्प और महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आईं। 1. नियमों को ताक पर रखकर जारी किए ‘सप्लाई ऑर्डर’ अपने पाठकों की जानकारी के लिए हम यह बतला दें कि ‘सप्लाई ऑर्डर’ खंड के द्वारा जारी किया गया वह जरिया है जिससे विभिन्न प्रकार के मैटेरियल खरीदे जाते हैं। विभागीय नियमों के अनुसार एक अधिशासी अभियंता एक महीने में 20000 रुपए तक के सप्लाई ऑर्डर जारी कर सकता है। मैटेरियल की खरीदारी में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो, इसलिए सरकार ने जेम-गवरमेंट ई-मार्किट प्लेस (Gem-Government e-Marketplace’) की व्यवस्था की है। साल 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश में सभी विभागों को यह निर्देश दिया गया था कि समस्त मैटेरियलों की खरीददारी जेम पोर्टल के द्वारा ही होगी। यदि कोई मैटेरियल पोर्टल पर उपलब्ध न हो, तो कार्यालय अध्यक्ष को इसे लिखित रूप में प्रमाणित करना एवम उल्लिखित करना आवश्यक है तथा ऐसा न होने पर इस कृत्य को वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में गिना जाएगा। इसी के अनुपालन में साल 2021 में मुख्य अभियंता, पारेषण पश्चिम (ट्रांसमिशन विभाग) द्वारा भी आदेश पारित किया गया था। अधिशासी अभियंता और खंडीय लेखाकार के केबिन में शाह टाइम्स के हाथ ऐसे कई सप्लाई ऑर्डर आए जो सीधे तौर पर ठेकेदारों को दिए गए थे और क्रय जेम पोर्टल से नहीं किया जा रहा था और न ही किसी भी तरह ऐसा प्रमाणित/उल्लेखित किया गया कि मैटेरियल जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं। ऐसा कई महीनों से अधिकारी-अधिशासी अभियंता अरुण कुमार द्वारा किया जा रहा है । यह अनियमिता साल दर साल कई लाखों रुपए की है। सप्लाई ऑर्डर की कुछ कॉपी उदाहरण के रूप में विभाग के उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। इस बारे में सवाल करने पर अधिशासी अभियंता अरुण कुमार और उनके खंडिय लेखाकार भरत सिंह यह कहते हुए पाए गए कि यह ‘अति-विशिष्ट’ बिजलीघर है, यहाँ सामान तत्काल मंगवाना पड़ता है। जबकि जारी सप्लाई ऑर्डर में सामान मंगवाने के लिए 60 दिनों का वक्त दिया गया है। इससे इनका यह कथन कुतर्क ही प्रतीत होता है। जग जाहिर है कि उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने की प्रतिबद्धता और सिस्टम में पारदर्शिता लाने की राह में ऐसे अफ़सर रोड़े डाल रहे हैं। 2. ना दिखा टेंडर बॉक्स, ना मिला नोटिस बोर्ड, चोरों एवं बंदरों का दिया गया हवाला। किसी भी सरकारी कार्यालय में पारदर्शिता के लिए नोटिस बोर्ड और टेंडर बॉक्स की व्यवस्था की जाती है। मगर मौके पर पहुँची शाह टाइम्स की टीम को टेंडर बॉक्स व नोटिस बोर्ड दोनों ही अधिशासी अभियंता के कार्यालय से नदारद मिले । इसके बारे में पूछने पर अभियंता और उनके लेखाकार ने यह हास्यास्पद बहाना बनाया कि वे नोटिस बोर्ड इसलिए बाहर नहीं लगाते क्योंकि कैंपस में बंदर बहुत हैं वह उखाड़ देते हैं या गिरा देते हैं। वहीं कई बार टेंडर बॉक्स व नोटिस बोर्ड को चोर भी चुराकर ले जाते है। अब कैंपस में जहां हथियारबंद सिक्योरिटी गार्ड ड्यूटी पर दिन-रात तैनात हो तो क्या चोर इतना जोखिम लेकर सिर्फ टेंडर बॉक्स और नोटिस बोर्ड ही चोरी करके ले जाएगा ? हालांकि शाह टाइम्स के टीम के पहुंचने के कुछ दिन बाद खुद ही हरकत में आकर इन्होंने बोर्ड लगवा दिया। शायद साहब की चोरों व बंदरों से लड़ने की बहादुरी में थोड़ा इजाफा हुआ हो या बंदर थोड़े शालीन हो गए हों- यह तो ये अफसर ही जानें। मगर एक बात तो तय है, एक तरफ सरकार जहाँ जनता के पैसे से, उसकी सेवा के लिए इन्हें इतनी मोटी वेतन दे रही, वहीं दूसरी तरफ ऐसे अधिकारी और कर्मचारी नियमों की खुली अनदेखी कर रहे हैं। 3. सरकारी गाड़ी में भी गड़बड़-झाला विश्वसनीय सूत्रों से यह खबर भी मिली कि अधिशासी अभियंता ने ठेकेदार से ‘सेटिंग’ कर के सरकारी गाड़ी परिसर में नहीं रखी है। कई बार जब शाह टाइम्स के प्रतिनिधि साजिद मंसूरी ने अपनी टीम द्वारा परिसर का भ्रमण किया गया तो पाया गया कि अभियंता महोदय अपनी प्राइवेट गाड़ी से चलते हैं, और तथाकथित सरकारी गाड़ी, जिसका पेमेंट विभाग द्वारा किया जाता है, वह तो कार्यालय परिसर में होती ही नहीं है। इस बात की पुष्टि के लिए जब 400 के०वी० बिजली घर के अधिशासी अभियंता अरुण कुमार से पूछा गया तो इन्होंने और इनके लेखाकार ने यह अजीब जवाब दिया कि अलग-अलग दिन अलग-अलग गाड़ियां आती हैं और अलग-अलग ड्राइवर आते हैं। ड्राइवर का नाम और गाड़ी का नंबर बता पाने में वह असमर्थ रहे और हमारे सामने किसी ठेकेदार को फोन मिलाने लगे। इन मसलों पर जब शाह टाइम्स के प्रतिनिधि साजिद मंसूरी ने पारेषण पश्चिम क्षेत्र के मुख्य अभियंता सतेंद्र सिंह से फ़ोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया। बल्कि यह कहकर फोन कट कर दिया कि मैं आपको जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हूं। अब सवाल यह उठता है कि इतनी घोर वित्तीय अनियमिताएं करने की हिम्मत ऐसे अधिकारी में आती कहां से है ? क्या शासन-प्रशासन का डर इनमें बिल्कुल समाप्त हो गया … Continue reading दीमक की तरह विभाग के राजस्व को चाट रहे हैं अधिकारी
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