
Pahalgam Attack
नई दिल्ली (Shah Times): आज जम्मू कश्मीर (Pahalgam Attack) विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। इस मौके पर घाटी के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान सामने आया है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार आतंकवाद के खिलाफ लोगों के अभियान को मजबूत करेगी क्योंकि इसे केवल जनता के सहयोग से ही हराया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने सरकार को ऐसे कदम उठाने के खिलाफ आगाह किया जिससे केंद्र शासित प्रदेश के लोग अलग-थलग पड़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मौके का इस्तेमाल केंद्र शासित प्रदेश के लिए राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, “जब लोग हमारे साथ होंगे, तो उग्रवाद या आतंकवाद खत्म हो जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ लोगों के आक्रोश को देखते हुए, अगर हम उचित कदम उठाते हैं, तो यह इसके अंत की शुरुआत है।
हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे लोग अलग-थलग पड़ जाएं। हम बंदूक से आतंकवादियों को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अगर लोग हमारे साथ हैं, तो हम उग्रवाद को खत्म कर सकते हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है।”
केंद्र शासित प्रदेश में पहलगाम आतंकवादी हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीनगर की जामिया मस्जिद में पहली बार शुक्रवार की नमाज से पहले मृतकों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम इसका मतलब समझ सकते हैं। हम इस बदलाव को मजबूत करने की कोशिश करेंगे।”
अब्दुल्ला ने विधानसभा में आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग करने का यह सही समय नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं इस मौके का इस्तेमाल राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करूंगा। पहलगाम के बाद मैं किस मुंह से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा मांग सकता हूं? हमने पहले भी राज्य के दर्जे की बात की है और भविष्य में भी करेंगे, लेकिन अगर मैं केंद्र सरकार से यह कहूं कि 26 लोग मर चुके हैं, अब मुझे राज्य का दर्जा दे दो, तो यह मेरे लिए शर्मनाक होगा।”
उन्होंने कहा, “इस घटना ने पूरे देश को प्रभावित किया है। हमने पहले भी ऐसे कई हमले देखे हैं… बैसरन में 21 साल बाद इतने बड़े पैमाने पर हमला किया गया है… मुझे नहीं पता था कि मृतकों के परिवारों से कैसे माफी मांगूं… मेजबान होने के नाते पर्यटकों को सुरक्षित वापस भेजना मेरा कर्तव्य था। मैं ऐसा नहीं कर सका। मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं।”
22 अप्रैल को पहलगाम के निकट एक मैदान में आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई गोलीबारी में 26 लोग मारे गए थे।
भारत ने इस हमले के जवाब में पाकिस्तान के विरुद्ध कई दंडात्मक कार्रवाई की है, जिसमें राजनयिक संबंधों को कम करना और सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल है।