
Lok Sabha Operation Sindoor Debate Parliament Session
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की खास बहस: सत्ता और विपक्ष आमने-सामने
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस, कांग्रेस ने उठाए सवाल
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर 16 घंटे की बहस शुरू। रक्षामंत्री, गृहमंत्री और विदेशमंत्री देंगे जवाब। विपक्ष ने भी कड़े सवाल उठाए। जानिए पूरी राजनीतिक हलचल।
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस: राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्र और विपक्ष के बीच गहरी खाई
New Delhi,(Shah Times)। संसद का मानसून सत्र सोमवार को बेहद अहम मोड़ पर पहुंच गया जब लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले पर केंद्रित 16 घंटे की विशेष बहस की शुरुआत हुई। यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब सदन में एक हफ्ते से लगातार हंगामा और गतिरोध बना हुआ था। इस चर्चा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेशमंत्री एस. जयशंकर के अलावा कई प्रमुख नेताओं के शामिल होने की संभावना है।
दोपहर तक के लिए स्थगित हुई कार्यवाही, लेकिन चर्चा बनी रही केंद्रबिंदु
सोमवार को जैसे ही संसद की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों की नारेबाजी के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। लेकिन इससे पहले उन्होंने विपक्ष से तीखा सवाल किया कि “क्या वे वास्तव में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चाहते हैं या नहीं?” यह टिप्पणी इस बात का संकेत थी कि सरकार इस विषय पर गंभीर चर्चा चाहती है, जबकि विपक्ष सिर्फ हंगामे तक सीमित रह गया है।
चर्चा के केंद्र में कौन-कौन?
सरकार की ओर से चर्चा की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कर सकते हैं। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह और विदेशमंत्री एस जयशंकर के साथ-साथ भाजपा के अन्य सांसद जैसे अनुराग ठाकुर और निशिकांत दुबे के भी अपनी बात रखने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित उपस्थिति इस चर्चा को और अहम बनाती है।
विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, गौरव गोगोई, शशि थरूर और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चर्चा में भाग ले सकते हैं। कांग्रेस ने अपने सांसदों को तीन दिन तक सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का व्हिप जारी किया है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक पर भारत का सर्जिकल जवाब
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित अड्डा और लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके बेस भी शामिल था।
सेना के मुताबिक, इन ठिकानों से भारत में आतंकी हमलों की साजिशें रची जाती थीं और हमला करने वाले आतंकी इन्हीं ढांचों से जुड़े थे।
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विपक्ष के तीखे सवाल और सरकार की रणनीतिक चुप्पी
विपक्ष की मांग है कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर की समयबद्ध जानकारी दे, साथ ही यह भी स्पष्ट करे कि पहलगाम हमला कैसे संभव हुआ। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सरकार से यह पूछकर विवाद खड़ा कर दिया कि “आप कैसे मान सकते हैं कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे?” शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान और आतंक का पुराना गठजोड़ किसी प्रमाण का मोहताज नहीं।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने पूछा, “कौन थे वे आतंकी जिन्होंने 26 महिलाओं का सिंदूर उजाड़ा?” वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सीधे सवाल दागा, “हमले की जवाबदेही तय होनी चाहिए, आखिर देश में आतंकी 400 किलोमीटर अंदर तक कैसे पहुंच गए?”
सरकार का जवाब: विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा
सत्तापक्ष ने विपक्ष के सवालों को देशविरोधी करार देते हुए कड़ा पलटवार किया। अनुराग ठाकुर ने कहा कि “कांग्रेस पाकिस्तान से ज्यादा पाकिस्तान की वकालत करती है।” बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस को “देशद्रोही संगठन” तक कह डाला। वहीं हेमांग जोशी ने कहा कि “विपक्ष ने ऑपरेशन से पहले ही हमारे फाइटर जेट्स पर सवाल उठाए थे।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि “विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है, जो बातें विपक्ष कहता है, वही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहता है।”
संसदीय मर्यादा और महिला सम्मान का सवाल
बहस के दौरान एक और गंभीर मुद्दा उठा जब सपा सांसद डिंपल यादव के खिलाफ एआईआईए अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी पर भाजपा सांसदों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज और धर्मशीला गुप्ता ने समाजवादी पार्टी से डिंपल यादव का अपमान न सहने की बात कही और सवाल किया कि “अखिलेश यादव अब तक चुप क्यों हैं?”
राजनीतिक रणनीति और भविष्य की दिशा
संसद में यह बहस न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित है, बल्कि यह दोनों पक्षों के राजनीतिक रुख को भी दर्शाती है। जहां सरकार देशहित में उठाए गए सैन्य कदमों को गौरवशाली बता रही है, वहीं विपक्ष हमलों की पृष्ठभूमि और सरकार की रणनीतिक तैयारी पर सवाल उठा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि सरकार हर सैन्य कार्रवाई को चुनावी लाभ के रूप में भुना रही है, वहीं सत्ता पक्ष यह आरोप लगा रहा है कि विपक्ष सेना के मनोबल को कमजोर कर रहा है।
निष्कर्ष
संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हो रही चर्चा भारतीय लोकतंत्र की एक अहम परीक्षा बन गई है। इस बहस में जहां राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों पर विचार-विमर्श हो रहा है, वहीं राजनीति के तीखे आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिल रहे हैं। इस बहस का उद्देश्य होना चाहिए—एक ठोस नीति-निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
जनता की उम्मीदें अब संसद से जवाब मांग रही हैं—नारेबाजी नहीं, समाधान चाहिए। यही लोकतंत्र की असली कसौटी है।