
Pahalgam Terror
नई दिल्ली (Shah Times): सरकार ने राष्ट्रीय (Pahalgam Terror) सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) का पुनर्गठन किया है तथा रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।
नए सिरे से गठित सात सदस्यीय बोर्ड में सशस्त्र बलों और सिविल सेवाओं के कई प्रतिष्ठित पूर्व अधिकारी शामिल हैं। इनमें पूर्व पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल पीएम सिन्हा, पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और सैन्य सेवाओं से रियर एडमिरल मोंटी खन्ना शामिल हैं।
भारतीय पुलिस सेवा का प्रतिनिधित्व राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह कर रहे हैं, दोनों ही सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हैं। पूर्व भारतीय विदेश सेवा अधिकारी बी वेंकटेश वर्मा को बोर्ड में शामिल किया गया है।
एनएसएबी में सरकार से बाहर के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का एक समूह शामिल है। इसके सदस्य आमतौर पर वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी, नागरिक और सैन्य, शिक्षाविद और नागरिक समाज के प्रतिष्ठित सदस्य होते हैं, जो आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, विदेशी मामलों, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और आर्थिक मामलों में विशेषज्ञता रखते हैं।
केंद्र सरकार का यह फैसला पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद आया है, जिसमें एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की जान चली गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।
इस बीच, समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके आवास पर बुलाई गई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक बुधवार दोपहर को संपन्न हुई।
सीसीएस बैठक के साथ-साथ, दो अतिरिक्त समिति बैठकें – राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) – प्रधानमंत्री के आवास पर बुलाई गईं। दोपहर 3 बजे कैबिनेट ब्रीफिंग निर्धारित है।
दूसरी सीसीएस बैठक में पहलगाम हमले के बाद से सुरक्षा तैयारियों पर चर्चा की गई।
सीसीएस की पिछली बैठक 23 अप्रैल को हुई थी और पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे।
सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को उजागर किया गया। यह ध्यान दिया गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों के सफल आयोजन और आर्थिक विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ।
इसके बाद सरकार ने सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित रखने सहित कई उपायों की घोषणा की।
इससे पहले मंगलवार को मोदी ने एक बैठक की अध्यक्षता की जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।
सूत्रों ने कहा कि मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को भारत की प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर निर्णय लेने की पूरी परिचालन स्वतंत्रता है।