
Pahalgam Terrorist Attack
पहलगाम (Shah Times): पहलगाम हमले (Pahalgam Terrorist Attack) को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान की नापाक धरती से रची गई थी। बताया यह भी जा रहा है कि इस हमले का मकसद हिंदू मुस्लिम सौहार्द को नुकसान पहुंचाना था।
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा 4 महीनों से जम्मू-कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहा था। इस संगठन के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी ने खैबर पख्तूनख्वा के मालाकंड इलाके में एक सभा में भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए दावा किया था कि 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा कर लिया जाएगा। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इस साजिश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और फौज के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।
कसूरी ने उगला था जहर
फरवरी 2025 में सामने आए एक वीडियो में सैफुल्लाह कसूरी को मालाकंड में आतंकवादियों की सभा को संबोधित करते देखा गया। इस सभा में कसूरी ने भारत के खिलाफ जमकर भड़काऊ बयान दिए। उसने कहा, ‘आज 2 फरवरी 2025 है, और मैं वादा करता हूं कि अगले 2 फरवरी 2026 तक हम कश्मीर पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। हमारे मुजाहिदीन आने वाले दिनों में हमले तेज करेंगे, और हमें उम्मीद है कि 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा।’
हमले के पीछे ISI का हाथ
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, कसूरी के इस वीडियो और बयानों के बाद साफ हो गया कि लश्कर-ए-तैयबा पिछले चार महीनों से कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की साजिश रच रहा था। एजेंसियों का मानना है कि इस साजिश को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और फौज के वरिष्ठ अधिकारियों का पूरा साथ मिल रहा था।
3 आतंकियों के स्कैच किये जारी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के संदिग्धों के स्केच बुधवार, 23 अप्रैल को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किए गए। इस आतंकवादी हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
यह हमला पहलगाम के पास एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल बैसरन घास के मैदान में हुआ, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली लौट आए, जबकि गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को कश्मीर पहुंचे, क्योंकि हमले के बाद तत्काल उच्च-स्तरीय कदम उठाने और योजनाओं में बदलाव की आवश्यकता थी।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि संदिग्धों की पहचान आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि उनके कोड नाम भी थे-मूसा, यूनुस और आसिफ-और वे पुंछ में आतंकवाद संबंधी घटनाओं में शामिल थे।
अधिकारियों को संदेह है कि हमलावर जम्मू के किश्तवाड़ से सीमा पार कर दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग के रास्ते बैसरन पहुंचे हैं, ताकि हाल के वर्षों में घाटी में नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए सबसे घातक हमलों में से एक को अंजाम दे सकें।
आतंकी मीटिंग के पीछे की कहानी
इस सभा के पीछे दो बड़े मकसद थे। पहला, खैबर पख्तूनख्वा के लोगों को ये संदेश देना कि वे पाकिस्तान से आजादी की कोशिश न करें। दूसरा, स्थानीय लोगों को ये दिखाना कि लश्कर और अन्य आतंकी संगठन मिलकर कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बना रहे हैं। मीटिंग में आतंकवादियों ने अपने हथियारों का भी खुलकर प्रदर्शन किया, ताकि लोगों में डर पैदा हो और उनकी ताकत का अहसास हो।
पाकिस्तान की फिर से खुली पोल
खासकर पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण कश्मीर के लोगों को मिल रहे रोजगार और इससे खुशहाली ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। ऐसे में पर्यटकों को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के आर्थिक खुशहाली की कमर तोड़ने की कोशिश की है।
वहीं, दूसरी ओर कश्मीर में कायराना हमले के बाद भारत की ओर से कड़े जवाबी कार्रवाई की आशंका के बीच जनरल आसीम मुनीर पाकिस्तान में सेना की कमजोर होती पकड़ को एक फिर मजबूत करने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पाक आर्मी चीफ मुनीर की जहर वाणी
जनरल मुनीर के तीन दिन पहले दिये भाषण में हिंदू-मुसलमान की अलग-अलग पहचान पर जोर देने को बिखरते पाकिस्तान को एकजुट करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा था। कश्मीर में आतंकी हमला को इसी रणनीति का हिस्सा है। खास बात यह है कि 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के समय जनरल मुनीर ही आइएसआइ के प्रमुख थे।