
भारत-पाक मैच पर सियासत गरम, ओवैसी ने जताई आपत्ति
ओवैसी बोले- मेरी अंतरात्मा भारत-पाक मैच नहीं मानती
ओवैसी की चेतावनी- शहीदों का अपमान है यह भारत-पाक मैच
एशिया कप में भारत-पाक मुकाबले पर उठे सवाल: क्या आतंकी हमलों के बाद भारत-पाक मैच जायज़ है?
क्या पहलगाम आतंकी हमले के कुछ महीने बाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच खेला जाना सही है? ओवैसी समेत कई नेताओं ने जताई आपत्ति।
2025 के एशिया कप का शेड्यूल जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया है। 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले ग्रुप स्टेज मुकाबले को लेकर देश की सियासत में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और रक्षा विशेषज्ञों ने इस मैच के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इनका कहना है कि जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले में हमारे नागरिक मारे गए हैं, तो फिर खेल के नाम पर दोस्ताना संबंध कैसे कायम किए जा सकते हैं?
संसद में ओवैसी की आपत्ति:
लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान ओवैसी ने भावुक होकर कहा, “मेरी अंतरात्मा जिंदा है, मैं पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच नहीं देख सकूंगा। जब हमारे देश के नागरिक मारे गए हों, तो क्या सरकार में इतनी नैतिक शक्ति है कि वह मृतकों के परिजनों से कहे – जाइए अब भारत-पाकिस्तान मैच देखिए?” ओवैसी के इस बयान ने पूरे विपक्ष को एकजुट कर दिया।
ओवैसी का सवाल:
उन्होंने सवाल उठाया कि जब दोनों देशों के बीच व्यापार, आवाजाही और पानी के बंटवारे को लेकर प्रतिबंध लगे हैं, तो फिर क्रिकेट क्यों खेला जा रहा है? “क्या खून और पानी एक साथ बह सकते हैं?” यह सवाल आज केवल एक सांसद का नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों की भावनाओं की गूंज बन चुका है।
केजेएस ढिल्लों और अजहरुद्दीन का समर्थन:
रक्षा खुफिया एजेंसी के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजेएस ढिल्लों ने पाकिस्तान से किसी भी तरह के खेल संबंध के बहिष्कार की मांग की। वहीं, पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी पाकिस्तान से मुकाबले को अनैतिक बताया।
सौरव गांगुली का रुख अलग:
बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने आतंकवाद की निंदा करते हुए भी यह कहा कि खेल जारी रहना चाहिए। उनका कहना है कि बहुपक्षीय टूर्नामेंट में राजनीतिक हस्तक्षेप उचित नहीं है। यह बयान खेल और राष्ट्रीय नीति के बीच गहराते अंतर्विरोध को सामने लाता है।
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खेल मंत्रालय की सीमा:
खेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बीसीसीआई वर्तमान में मंत्रालय के अधीन नहीं आता क्योंकि ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक’ अभी अधिनियम नहीं बना है। इस वजह से मंत्रालय क्रिकेट में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हालांकि, मंत्रालय इस बात पर नज़र रखे हुए है कि बीसीसीआई जनभावनाओं का कितना सम्मान करता है।
प्रसारण अधिकार और व्यापारिक हित:
भारत-पाकिस्तान मैच न सिर्फ एक खेल मुकाबला है बल्कि इसमें भारी कारोबारी दांव भी लगे होते हैं। सोनी नेटवर्क ने एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) से 170 मिलियन डॉलर में प्रसारण अधिकार खरीदे हैं। ऐसे में भारत-पाक मैच न होना प्रसारणकर्ता और एसीसी के लिए बड़ा आर्थिक नुकसान होगा।
पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने का नैतिक संकट:
यह एक गंभीर सवाल है कि क्या आर्थिक लाभ के लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान और शहीदों की कुर्बानी को नजरअंदाज किया जा सकता है? जब एक ओर सरकार पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय गतिविधि पर रोक लगाए हुए है, तो वहीं दूसरी ओर वैश्विक टूर्नामेंट में उसी पाकिस्तान के साथ खेलना क्या दोहरा मापदंड नहीं है?
नतीजा
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट केवल खेल नहीं, बल्कि एक गहन राजनीतिक और भावनात्मक विषय है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के नागरिकों में आक्रोश है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या हम सिर्फ क्रिकेट के नाम पर उन जख्मों को नजरअंदाज कर सकते हैं? खेल और कूटनीति के बीच यह संतुलन सरकार और बीसीसीआई दोनों के लिए एक अग्निपरीक्षा है। जनभावना को दरकिनार करना आने वाले समय में सरकार और खेल संस्थाओं की साख पर असर डाल सकता है।