
मोदी ने मां के अपमान को बताया राष्ट्र की माताओं का अपमान
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा पीएम मोदी को जितनी गालियां दोगे, उतना ही कमल खिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां को याद करते हुए कांग्रेस-आरजेडी मंच से हुई कथित अभद्र टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे देश की हर मां का अपमान बताया।
काNew Delhi, (Shah Times)। नई दिल्ली के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वर भावुक हो उठा। मंच पर उनकी आंखों में नमी थी और लहज़े में गुस्सा भी। वजह थी बिहार में कांग्रेस-आरजेडी मंच से कथित तौर पर उनकी दिवंगत मां के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द। मोदी ने कहा कि “मेरी मां राजनीति से दूर थीं, उनका शरीर भी इस दुनिया में नहीं है, फिर भी उन्हें गालियां दी गईं। ये पीड़ा सिर्फ मेरी नहीं बल्कि देश की हर मां की पीड़ा है।”
यह बयान सिर्फ भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं था बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी था—“मां का अपमान राष्ट्र का अपमान है।”
मातृत्व का रूपक और राजनीति का केंद्र
मोदी ने अपने संबोधन में मां को ‘भारतीय संस्कृति की आत्मा’ बताते हुए कहा कि एक गरीब मां तपस्या करके अपने बच्चों को बड़ा करती है, उन्हें संस्कार देती है। उन्होंने इसे राष्ट्र-निर्माण से जोड़ा।
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गरीब मां की तपस्या बनाम शाही खानदान की विरासत:
मोदी ने कहा कि उनकी मां ने कभी अपने लिए नई साड़ी तक नहीं खरीदी, परिवार के लिए हर पाई बचाई। वहीं, उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि “ये नामदार लोग तो सोने-चांदी के चम्मच लेकर पैदा हुए हैं।”
मां का अपमान = समाज का अपमान:
प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि ये सिर्फ उनकी व्यक्तिगत पीड़ा नहीं बल्कि हर उस भारतीय की भावनाओं से जुड़ा प्रश्न है जो अपनी मां को देवी के समान मानता है।
कांग्रेस-आरजेडी पर सीधा हमला
मोदी ने बिहार के संदर्भ में कहा कि “इस समृद्ध परंपरा वाले प्रदेश में, जहां ‘माई के स्थान देवता पीतर से भी ऊपर’ माना जाता है, वहां उनकी मां को अपमानित किया गया। ये न सिर्फ अस्वीकार्य है बल्कि राजनीति के गिरते स्तर का भी प्रमाण है।”
गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस मामले में राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि “जितनी ज्यादा गालियां मोदी जी को दोगे, कमल का फूल उतना ही खिलेगा।”
विपक्ष की रणनीति या चूक?
विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस-आरजेडी की ओर से दिए गए कथित बयान को भाजपा ने तुरंत ‘इमोशनल कार्ड’ में बदल दिया है। मोदी के भाषण ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना दिया।
राजनीतिक विश्लेषण:
मोदी का यह भावुक हमला जनता के दिल को छूने की कोशिश है।
बिहार चुनावी परिप्रेक्ष्य में मां के सम्मान का मुद्दा भाजपा के लिए नैरेटिव बिल्डिंग का साधन बन सकता है।
विपक्ष को बचाव की मुद्रा में धकेल दिया गया है।
प्रतिपक्षीय दृष्टिकोण
हालांकि कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री मुद्दों से भटकाने के लिए भावनात्मक राजनीति कर रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि मोदी व्यक्तिगत हमलों को चुनावी लाभ के लिए उपयोग में ला रहे हैं।
आलोचकों का तर्क:
यह मुद्दा असली जन समस्याओं—रोज़गार, महंगाई, शिक्षा—से ध्यान हटाने का प्रयास है।
राजनीति में व्यक्तिगत संबंधों को घसीटना लोकतांत्रिक विमर्श को कमजोर करता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का मां के अपमान पर दिया गया बयान सिर्फ एक पारिवारिक संवेदना का प्रकटीकरण नहीं बल्कि एक सोचा-समझा राजनीतिक संदेश है। यह संदेश मातृत्व की सांस्कृतिक संवेदना और भाजपा की चुनावी रणनीति दोनों को साथ लेकर चलता है।
भारतीय राजनीति में ‘मां’ का रूपक हमेशा गूंजता रहा है—कभी ‘भारत माता’ तो कभी ‘मातृत्व’ का त्याग। अब मोदी ने इसे व्यक्तिगत पीड़ा से जोड़कर एक राष्ट्रीय विमर्श का रूप दे दिया है। सवाल यह है कि क्या जनता इसे भावनात्मक राजनीति समझेगी या वास्तविक अपमान?