
मुजफ्फरनगर के सदर ब्लाक के ग्राम मुस्तफाबाद के प्रधान जियाउद्दीन अहमद को हाई कोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी
मुजफ्फरनगर,(नदीम सिद्दीकी )। मुजफ्फरनगर के सदर ब्लाक के ग्राम मुस्तफाबाद के प्रधान जियाउद्दीन अहमद को हाई कोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। शिकायत के बाद जिला स्तर और मंडलीय स्तर पर गठित कमेटी ने उनके प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की कि शेख लिखने से कोई ऊंची जाति का नहीं हो जाता।
दरअसल सदर ब्लाक के गांव मुस्तफाबाद में जियाउद्दीन अहमद ने आरक्षित सीट पर ओबीसी का प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा और वह निर्वाचित हुए थे। गांव के ही ऋषि पाल ने शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि वह शेख जाति से हैं और उन्होंने ओबीसी सीट पर चुनाव लड़ा है जो गलत है।
शिकायत के बाद मंडल स्तरीय जिला स्तरीय स्कूटनी कमेटी ने प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ जियाउद्दीन अहमद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ ने स्कूटनी कमेटी के आदेश पर रोक लगाते हुए स्थगन आदेश जारी कर दिए। प्रधान जियाउद्दीन ने बताया कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शेख लिखने से कोई ऊंची जाति का नहीं हो जाता।
जाति अब वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक स्थिति के आधार पर किया जाता है।
हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद ग्राम प्रधान नवाजुद्दीन व उनके समर्थकों में खुशी की लहर है और उन्होंने इस फैसले को इंसाफ की जीत करार दिया है।