
म्यांमार सेना के 276 जवान कर्नल रैंक अधिकारी के नेतृत्व में कर्मा नदी जंक्शन पर स्थित अपने शिविर से भाग कर मिजोरम के लांगटाइल जिले के बांडुकबंगा में घुस आए थे
आइजोल,(Shah Times)। भारत में पनाह मांग रहे 276 म्यांमार सैनिकों को वापस भेजा जाएगा।
अराकान आर्मी के उग्रवादियों द्वारा उनके शिविरों पर कब्जा करने के बाद भारत के मिजोरम के लॉन्गत्लाई जिले में पनाह मांग रहे थे लेकिन 276 म्यांमार सेना के जवानों को जल्द ही वापस भेजे जाने की तैयारी की जा रही है।
म्यांमार सैनिक अपने हथियारों और उपकरणों के साथ, बुधवार दोपहर को दक्षिणी लॉन्ग्टलाई जिले में मिजोरम-म्यांमार-बांग्लादेश के त्रि-जंक्शन पर स्थित बांडुकबंगा गांव पहुंचे थे। असम राइफल्स वर्तमान में लॉन्ग्टलाई जिले में अपने पर्व शिविर में उनकी निगरानी कर रहे हैं।
मिजोरम में बुधवार को प्रवेश करने वाले 276 म्यांमार सैनिकों को जल्द ही आइजोल के पास लेंगपुई हवाई अड्डे से हवाई मार्ग से लाया जाएगा।
राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मिजोरम-म्यांमार-बांग्लादेश सीमा बंदुकबंगा गांव में प्रवेश करने वाले म्यांमार सेना के जवानों में से 200 को गुरुवार को लुंगलेई लाया जा रहा था, जिन्हें मिजोरम के दक्षिणी मिजोरम के लॉन्ग्टलाई जिले में बॉन्डुकबंगसोरा भी कहा जाता है।
अधिकारियों ने कहा कि 76 तातमाडॉ (म्यांमार सेना) के सदस्यों को प्रस्तावित मिजोरम-म्यांमार सीमा व्यापार केंद्र ज़ोरिनपुई गांव ले जाया गया जहां उन्हें लुंगलेई भी लाया जाएगा।
उन्हें असम राइफल्स के वाहनों के साथ लुंगलेई से आइजोल लाए जाने की सबसे अधिक संभावना है ताकि उन्हें आइजोल के पास अकेले लेंगपुई हवाई अड्डे से म्यांमार वायु सेना के परिवहन विमानों द्वारा एयरलिफ्ट किया जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि टाटमाडॉ सदस्यों का नेतृत्व एक कर्नल करता है जिसमें 36 अधिकारी और 240 निचले रैंक के अधिकारी होते हैं।
म्यांमार सेना के 276 जवान कर्नल रैंक अधिकारी के नेतृत्व में कर्मा नदी जंक्शन पर स्थित अपने शिविर से भाग कर मिजोरम के लांगटाइल जिले के बांडुकबंगा में घुस आए। एमए के ऊपर क्षेत्र में विद्रोहियों की ओर से हमला किए जाने के डर से उन्होंने अपना शिविर छोड़ दिया और भाग आए। उस इलाके में अराकान आर्मी म्यांमार के विद्रोही सक्रिय हैं। वे भागकर म्यांमार से मिजोरम आईएमबी बीपी-2 के पास पहुंचे। फिलहाल, सभी को हिरासत में ले लिया गया है।