
ED action in QFX Forex scam property seizure India
क्यूएफएक्स फॉरेक्स घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की कुर्की
ईडी ने क्यूएफएक्स फॉरेक्स घोटाले में 9.31 करोड़ की संपत्ति कुर्क की
ईडी ने क्यूएफएक्स फॉरेक्स ट्रेडिंग घोटाले में आरोपी लवीश चौधरी और सहयोगियों की 9.31 करोड़ की संपत्ति कुर्क की। मामला पोंजी-एमएलएम स्कीम से जुड़ा।
Muzaffarnagar,(Shah Times) । नई दिल्ली से जारी बड़ी ख़बर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को यह ऐलान किया कि कुख्यात क्यूएफएक्स फॉरेक्स ट्रेडिंग घोटाले के मुख्य आरोपी नवाब उर्फ़ लवीश चौधरी और उनके नेटवर्क की 9.31 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली गई है। यह कार्रवाई केवल आर्थिक अपराध पर शिकंजा कसने का प्रतीक नहीं बल्कि भारत में बढ़ते पोंजी-सह-एमएलएम नेटवर्क्स के खिलाफ़ एक चेतावनी भी है।
जांच एजेंसी के मुताबिक़ कुर्की आदेश 26 अगस्त को ईडी के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी हुआ। संपत्तियों में 45 अचल संपत्तियां शामिल हैं जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में स्थित फ्लैट, प्लॉट और कृषि भूमि आती हैं। इसके साथ बैंक बैलेंस भी जोड़ा गया है।
घोटाले का जाल और फरेबी तंत्र
क्यूएफएक्स का पूरा मॉडल क्लासिक पोंजी और मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम पर आधारित था।
निवेशकों को 5 से 6 प्रतिशत मासिक रिटर्न का लालच दिया गया।
फॉरेक्स ट्रेडिंग और डिजिटल सर्विसेज़ के नाम पर धन इकट्ठा किया गया।
यह रकम विभिन्न बैंक खातों में घुमाकर अंततः अचल संपत्तियों, कृषि भूमि और पारिवारिक निवेशों में बदल दी गई।
ईडी की रिपोर्ट बताती है कि क्यूएफएक्स समूह की संस्थाएं जैसे क्यूएफएक्स डिजिटल सर्विसेज़, क्यूएफएक्स एजुकेशन, अटलांचर स्पोर्ट्स एंड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड आदि केवल दिखावे की परत थीं। इनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के धन को वैध बनाने और निवेशकों को भ्रमित करने के लिए किया गया।

मुख्य आरोपी और उनका नेटवर्क
नवाब उर्फ़ लवीश चौधरी इस घोटाले के मास्टरमाइंड माने जाते हैं। उनके साथ राजेंद्र कुमार सूद और कई एजेंट जुड़े थे।
इन एजेंटों में केवल किशन, दिनेश कुमार चोपड़ा, चमन लाल, साजिद अली और राशिद अली जैसे नाम सामने आए हैं।
ईडी अधिकारियों के मुताबिक़, आरोपी अपने परिवार और करीबी सहयोगियों के नाम पर बैंक खाते खोलते और उसमें अपराध की रकम ट्रांसफ़र करते। 2019 से 2025 तक यह नेटवर्क सक्रिय रहा और इस दौरान हज़ारों निवेशक ठगी का शिकार बने।
कानून और जांच का विस्तार
क्यूएफएक्स समूह के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं –
हिमाचल प्रदेश
असम
उत्तर प्रदेश
मध्य प्रदेश
हरियाणा
इन मामलों में भारतीय दंड संहिता, भारतीय न्याय संहिता और प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स अधिनियम के प्रावधान शामिल हैं।
ईडी की कार्रवाई और कानूनी रणनीति
वर्तमान कार्रवाई के तहत 9.31 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क हुई है।
45 अचल संपत्तियां जिनकी कीमत 8.20 करोड़ रुपये आंकी गई।
1.10 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस।
ईडी का कहना है कि यह महज़ शुरुआत है। आगे और संपत्तियों की पहचान कर कुर्की की जाएगी।
विश्लेषण – आर्थिक अपराध और जनता का विश्वास
भारत में फॉरेक्स और क्रिप्टो के नाम पर निवेश योजनाओं ने आम लोगों को प्रभावित किया है। तेज़ रिटर्न की भूख और वित्तीय जानकारी की कमी ने निवेशकों को जाल में फँसाया।
क्यूएफएक्स का केस यह दिखाता है कि कैसे डिजिटल युग में धोखाधड़ी अधिक परिष्कृत और अंतरराज्यीय हो चुकी है।
प्रत्युत्तर – क्या केवल ईडी की कार्रवाई पर्याप्त है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कुर्की और गिरफ्तारी लंबी अवधि का समाधान नहीं है।
वित्तीय साक्षरता अभियान मज़बूत होने चाहिए।
निवेश योजनाओं पर शुरुआती स्तर पर निगरानी ज़रूरी है।
रेगुलेटरी बॉडीज़ को टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ट्रैकिंग अपनानी होगी।
नतीजा
क्यूएफएक्स फॉरेक्स घोटाले की कुर्की ने फिर यह सवाल उठाया है कि भारत में वित्तीय अपराधों की जड़ें कितनी गहरी हैं। ईडी की कार्रवाई निवेशकों के लिए राहत है, लेकिन असली चुनौती भविष्य में ऐसे जालसाज़ों को पनपने से रोकने की है।
भारत के लिए यह केस केवल एक घोटाले का पर्दाफ़ाश नहीं बल्कि वित्तीय अनुशासन, रेगुलेशन और पारदर्शिता की आवश्यकता का सख़्त संदेश है।

 
                         
 




