
Bihar Election 2025 Rahul Gandhi addressing rally promising EBC reservation and special law | Shah Times
राहुल गांधी का बड़ा ऐलान : बिहार चुनाव में अत्यंत पिछड़ों पर फोकस
बिहार विधानसभा चुनाव : कांग्रेस का ‘ईबीसी एजेंडा’ बनाम एनडीए की रणनीति
बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग को लेकर बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। उन्होंने आरक्षण बढ़ाने, कानून बनाने और सामाजिक न्याय की लड़ाई को चुनावी एजेंडे का केंद्र बना दिया है।
पटना से उठी आवाज़ – राहुल गांधी का नया राजनीतिक दांव
बिहार की सियासत हमेशा जाति समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। यहां हर चुनाव में ‘सामाजिक न्याय’ का मुद्दा एक निर्णायक भूमिका निभाता है। इस बार कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनावी जंग से पहले अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को साधने का बड़ा दांव खेला है।
पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है तो ईबीसी के लिये विशेष कानून बनेगा। यह कानून ठीक उसी तरह होगा जैसे अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों की रक्षा के लिये मौजूद है। साथ ही पंचायतों और नगर निकायों में आरक्षण 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का वादा किया गया है।
‘अत्यंत पिछड़े’ : लंबे इंतज़ार के बाद राजनीतिक फोकस
भारत की आज़ादी के सात दशक बीत चुके हैं लेकिन यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग को उसका हक़ मिला? राहुल गांधी ने इसी दर्द को अपनी राजनीति का हिस्सा बनाया है। उन्होंने नीतीश कुमार सरकार पर आरोप लगाया कि बीते 20 साल में ईबीसी के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस दावे में सियासी पेंच भी है। बिहार की राजनीति में ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) की भूमिका अहम रही है, पर ईबीसी की पहचान अक्सर बड़े पिछड़े वर्गों की छाया में दब जाती रही। कांग्रेस अब इसी खाली जगह को भरने की कोशिश कर रही है।
आरक्षण कार्ड और चुनावी गणित
राहुल गांधी ने घोषणा की कि सरकारी ठेकों में एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यहां तक कि कांग्रेस और महागठबंधन ने 50 प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा सीमा तोड़ने का भी वादा किया है।
यह बात भाजपा और एनडीए के लिये मुश्किल खड़ी कर सकती है। भाजपा लंबे समय से जातिगत जनगणना से बचती रही है। जबकि कांग्रेस का दावा है कि उन्होंने ही मोदी सरकार को जातीय जनगणना कराने के लिये मजबूर किया।
बिहार में बहुजनों को उनका पूरा हक़ और अधिकार दिलाने के लिए आज हमने ऐतिहासिक ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ जारी किया है। इसमें 10 ठोस संकल्प हैं –
- आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाने के लिए पास कानून को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजेंगे।
- पंचायत-नगर निकाय में आरक्षण 20% से बढ़ाकर 30% होगा।
- सभी प्राइवेट कॉलेज-यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू होगा।
- नियुक्तियों में “Not Found Suitable” जैसी व्यवस्था खत्म होगी।
- अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में सही प्रतिनिधित्व के लिए कमेटी बनेगी।
- SC/ST/OBC/EBC के आवासीय भूमिहीनों को जमीन मिलेगी (शहर: 3 डेसिमल, गांव: 5 डेसिमल)।
- प्राइवेट स्कूलों की आधी आरक्षित सीटें SC/ST/OBC/EBC बच्चों को मिलेंगी।
- ₹25 करोड़ तक के सरकारी ठेकों में 50% आरक्षण SC/ST/OBC/EBC को।
- अतिपिछड़ों के ख़िलाफ़ अत्याचार रोकने का कानून बनेगा।
- आरक्षण देखने के लिए प्राधिकरण बनेगा, सूची में बदलाव केवल विधानसभा करेगी।
वोट की राजनीति और ‘मतदाता अधिकार यात्रा’
राहुल गांधी ने युवाओं का आभार जताया और कहा कि ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ भाजपा की साज़िशों को उजागर करने में कामयाब रही। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर मतदाता सूची में गड़बड़ी की।
पटना में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में साफ कहा गया कि भाजपा गरीबों, मज़दूरों, ईबीसी और अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से हटाने की कोशिश कर रही है। यह आरोप जनता के मन में संदेह पैदा कर सकता है और कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
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सियासी मंच पर विपक्षी एकता की झलक
सदाकत आश्रम में आयोजित बैठक में कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद थे। भले ही सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी अनुपस्थित रहीं, पर मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी ने कार्यकर्ताओं को ऊर्जा दी।
बैठक के दौरान यह संदेश साफ गया कि यह चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का प्रयास नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है।
भाजपा पर कांग्रेस का सीधा हमला
कांग्रेस ने केंद्र सरकार को ‘भ्रष्ट, अक्षम और निरंकुश’ कहा। कार्यसमिति की राय थी कि बिहार का चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों का चुनाव नहीं है, बल्कि इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा।
भाजपा इस नैरेटिव को तोड़ने के लिये विकास और स्थिरता की बात करेगी, पर कांग्रेस का फोकस सामाजिक न्याय और आरक्षण पर है। यही टकराव चुनावी अखाड़े में असली लड़ाई तय करेगा।
निष्कर्ष : चुनाव से पहले महागठबंधन का बड़ा सियासी शिफ्ट
राहुल गांधी का यह दांव महज चुनावी घोषणा नहीं बल्कि बिहार की जातीय राजनीति में एक नए मोड़ की ओर इशारा करता है।
अगर कांग्रेस और महागठबंधन इस मुद्दे को लगातार जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे तो यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि ‘जातीय हक़ और सामाजिक न्याय’ की जंग बन सकता है।