
बिहार से राहुल गांधी का वार: मोदी सरकार Caste Census से क्यों डर रही है?
वोट चोरी से आरक्षण तक: राहुल गांधी की सियासत का नया एजेंडा
राहुल गांधी ने बिहार से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की। मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह सच्ची जाति जनगणना और आरक्षण की 50% सीमा हटाने की हिम्मत नहीं करेगी। महागठबंधन के मंच पर कांग्रेस, राजद और अन्य दलों ने मिलकर शक्ति प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी ने बिहार की सरज़मीन से अपनी नई सियासी जंग की शुरुआत की। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का आगाज़ सिर्फ़ एक political campaign नहीं, बल्कि एक narrative building exercise भी है। इस मंच से राहुल गांधी ने साफ़ कहा कि मोदी सरकार ने दबाव में आकर caste census का एलान तो किया, मगर वह न तो “सच्ची” जाति जनगणना कराएगी और न ही आरक्षण की 50% cap को हटाएगी। यह बयान न केवल विपक्ष की एकजुटता दिखाता है बल्कि Indian politics के बदलते मिज़ाज की तरफ़ भी इशारा करता है।
जाति जनगणना: सियासत का नया मोर्चा
भारतीय राजनीति में caste हमेशा से एक decisive factor रहा है। कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक इस मुद्दे को electoral battle का मुख्य हथियार बनाना चाहती है। राहुल गांधी ने अपने speech में साफ़ कहा कि Congress और उसके allies न सिर्फ caste census कराएंगे बल्कि reservation की सीमा को भी ख़त्म करेंगे।
यहाँ सवाल यह है कि क्या जाति जनगणना महज़ vote bank calculation है या फिर इसे social justice movement की तरह देखा जाना चाहिए। समाज में बड़ी आबादी ऐसी है जो खुद को marginalized महसूस करती है। उनका मानना है कि जब तक हर जाति की सही population data सामने नहीं आएगी, तब तक सही proportion में आरक्षण और representation नहीं मिल सकता।






भाजपा और मोदी सरकार पर इल्ज़ाम
राहुल गांधी का सीधा निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर था। उन्होंने कहा कि BJP ने दबाव में आकर caste census का वादा तो कर दिया, लेकिन उसे पूरा करने की नीयत नहीं है। यहाँ perception battle ज़्यादा अहम है। कांग्रेस यह संदेश देना चाह रही है कि BJP की policies सिर्फ़ symbolic हैं और वह असली empowerment की ओर बढ़ने से बच रही है।
लेकिन BJP का counter-narrative भी मज़बूत है। उनका कहना है कि कांग्रेस और उसके allies सिर्फ़ जाति की राजनीति करके देश को बांटना चाहते हैं। BJP अपने Hindutva plus development model के ज़रिए एक pan-Hindu identity बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें caste-based mobilization को secondary किया जा सके।
महागठबंधन का मंच और political optics
सासाराम की rally में मंच पर जो तस्वीरें दिखीं, वे symbolic politics का एक बेहतरीन example थीं। राहुल गांधी open कार में हाथ हिलाते हुए, steering पर तेजस्वी यादव, पीछे बैठकर allies leaders—यह सब visuals एक unity show की तरह पेश किए गए। राहुल गांधी का लालू प्रसाद यादव को गले लगाना, तेजस्वी का सारथी बनना, और मंच पर सभी नेताओं का साथ खड़ा होना—ये सारे signals महागठबंधन के collective strength को highlight करते हैं।
मगर असल challenge यह है कि क्या यह unity ground level पर translate हो पाएगी। बिहार की caste-based politics complicated है। RJD की अपनी dominance है, Congress के पास legacy है, और छोटे दल regional arithmetic संभालते हैं। ऐसे में alliance में seat-sharing और narrative-building critical साबित होंगे।
वोट चोरी और लोकतंत्र की credibility
‘वोट चोरी’ का मुद्दा इस यात्रा का दूसरा central theme है। राहुल गांधी और opposition parties लगातार कह रही हैं कि EVM और election process में transparency की कमी है। यह बात जनता के बीच एक तरह की suspicion पैदा करती है। Democracy की credibility तभी बनी रहती है जब लोग electoral system पर भरोसा करें। Opposition का यह campaign voters को mobilize करने की कोशिश है कि उनके वोट की अहमियत घटाई जा रही है।
लेकिन इस narrative का दूसरा पहलू भी है। अगर opposition बार-बार vote stealing की बात करती है, तो कहीं न कहीं यह voters के मन में sense of helplessness भी पैदा कर सकता है। Political mobilization तभी असरदार होता है जब उसमें hope और change का vision भी शामिल हो। Rahul Gandhi ने इस यात्रा से यही कोशिश की है कि caste justice और electoral integrity दोनों narratives को जोड़ा जाए।
Bihar की सियासत और national ambitions
तेजस्वी यादव इस यात्रा में driver’s seat पर नज़र आए। यह imagery बहुत symbolic थी। बिहार में महागठबंधन की राजनीति RJD-केंद्रित है। Rahul Gandhi के लिए तेजस्वी का साथ इस narrative को मज़बूती देता है कि INDIA bloc united है। लेकिन यह भी सच है कि Bihar की politics caste-based arithmetic पर heavily dependent है।
National level पर Rahul Gandhi की नज़र Delhi की सत्ता पर है। वह चाहते हैं कि caste census और reservation limit जैसे मुद्दे national politics में mainstream हो जाएं। यह उनके लिए एक long-term political strategy है ताकि OBC और marginalized communities को Congress के साथ consolidate किया जा सके।
राजनीति का shifting balance
भारत की electoral politics इस वक़्त तीन बड़े narratives पर घूम रही है—
BJP का Hindutva और development model
Opposition का caste census और social justice agenda
Democracy की credibility और electoral integrity का सवाल
Rahul Gandhi ने अपनी यात्रा से साफ़ संदेश दिया है कि Congress और उसके allies caste और reservation के मुद्दे पर पीछे हटने वाले नहीं हैं। लेकिन success इस बात पर depend करेगी कि क्या वह इस narrative को ground level पर voters के दिल में उतार पाते हैं या नहीं।
नतीजा
Rahul Gandhi की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ सिर्फ़ एक political yatra नहीं, बल्कि future electoral strategy का blueprint है। कांग्रेस यह समझ चुकी है कि जब तक caste equation को सीधा नहीं किया जाएगा, तब तक BJP के pan-Hindu और nationalism narrative का counter मुश्किल है।
फिर भी सवाल यही है कि क्या जनता इसे एक genuine social justice agenda मानेगी या फिर इसे महज़ power politics की नई चाल समझेगी। Democracy में perception ही असली ताक़त होता है। Rahul Gandhi ने Bihar से अपनी नई सियासी पटकथा लिखनी शुरू कर दी है। Steering तेजस्वी के हाथ में है, मगर मंज़िल दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने की है।