
बॉलीवुड के जुबली कुमार राजेन्द्र कुमार की पुण्यतिथि 12 जुलाई के अवसर पर
मुंबई । बॉलीवुड में राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) का नाम एसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया था, हालांकि उन्हें अपने करियर के शुरूआती दौर में कड़ा संघर्ष करना पड़ा।
20 जुलाई 1929 को पंजाब के सिलाकोट शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार मे जन्में राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। जब वह अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई पहुंचे थे तो उनके पास मात्र पचास रुपए थे, जो उन्होंने अपने पिता से मिली घड़ी बेचकर हासिल किए थे। घड़ी बेचने से उन्हें 63 रपए मिले थे, जिसमें से 13 रूपए से उन्होंने फ्रंटियर मेल का टिकट खरीदा।
मुंबई पहुंचने पर गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) को 150 रूपए मासिक वेतन पर वह निर्माता निर्देशक एच.एस. रवैल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने का अवसर मिला।वर्ष 1950 मे प्रदर्शित फिल्म जोगन में राजेन्द्र कुमार को काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनके साथ दिलीप कुमार ने मुय भूमिका निभाई थी।
वर्ष 1950 से वर्ष 1957 तक राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फिल्म जोगन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने तूफान और दीया तथा आवाज, एक झलक जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बाक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।वर्ष 1957 मे प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म उन्हें बतौर पारिश्रमिक 1000 रूपए महीना मिला। यह फिल्म पूरी तरह अभिनेत्री नरगिस पर आधारित थी बावजूद इसके राजेन्द्र कुमार ने अपनी छोटी सी भूमिका के जरिये दर्शकों का मन मोह लिया।इसके बाद गूंज उठी शहनाई, कानून, ससुराल, घराना, आस का पंछी और दिल एक मंदिर जैसी फिल्मों मे मिली कामयाबी के जरिये राजेन्द्र कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
वर्ष 1959 मे प्रदर्शित विजय भट्ट की संगीतमय फिल्म गूंज उठी शहनाई बतौर अभिनेता राजेन्द्र कुमार के सिने कैरियर की सबसे पहली हिट साबित हुई। वही वर्ष 1963 मे प्रदर्शित फिल्म मेरे महबूब की जबर्दस्त कामयाबी के बाद राजेन्द्र कुमार राजेन्द्र कुमार शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे।राजेन्द्र कुमार कभी भी किसी खास इमेज में नहीं बंधे। इसलिए अपनी इन फिल्मो की कामयाबी के बाद भी उन्होंने वर्ष 1964 में प्रदर्शित फिल्म संगम में राजकपूर के सहनायक की भूमिका स्वीकार कर ली जो उनके फिल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थी। इसके बावजूद राजेन्द्र कुमार यहां भी दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।
वर्ष 1963 से 1966 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेन्द्र कुमार की लगातार छह फिल्में हिट रहीं और कोई भी फिल्म फ्लाप नहीं हुई। मेरे महबूब (1963) जिन्दगी, संगम और आई मिलन की बेला, (1964), आरजू.(1965) और सूरज (1966) सभी ने सिनेमाघरों पर सिल्वर जुबली या गोल्डन जुबली मनाई।
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इन फिल्मों के बाद राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) के कैरियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया जब मुबई के सभी दस सिनेमाघरों में उनकी ही फिल्में लगी और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली मनाई। यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता रहा। उनकी फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए उनके प्रशंसकों ने उनका नाम ही जुबली कुमार रख दिया था।
राजेश खन्ना के आगमन के बाद परदे पर रोमांस का जादू जगाने वाले इस अभिनेता के प्रति दर्शकों का प्यार कम होने लगा। इसे देखते हुए राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) ने कुछ समय के विश्राम के बाद 1978 में साजन बिना सुहागन फिल्म से चरित्र अभिनय की शुरुआत कर दी। राजेन्द्र कुमार के सिने करियर में उनकी जोड़ी सायरा बानो, साधना और वैजयंती माला के साथ काफी पसंद की गई।वर्ष 1981 राजेन्द्र कुमार के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। अपने पुत्र कुमार गौरव को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए उन्होंने लव स्टोरी का निर्माण और निर्देशन किया, जिसने बाक्स आफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की।
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इसके बाद राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) ने कुमार गौरव के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए नाम और फूल फिल्मों का निर्माण किया लेकिन पहली फिल्म की सफलता का श्रेय संजय दत्त ले गए जबकि दूसरी फिल्म बुरी तरह पिट गई और इसके साथ ही कुमार गौरव के फिल्मी कैरियर पर भी विराम लग गया।
राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) के फिल्मी योगदान को देखते हुए 1969 में उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया। नब्बे के दशक मे राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) ने फिल्मों मे काम करना काफी कम कर दिया। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) 12 जुलाई 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। राजेन्द्र कुमार ने अपने कैरियर में लगभग 85 फिल्मों में काम किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ है तलाख, संतान, धूल का फूल, पतंग, धर्मपुत्र, घराना, हमराही, आई मिलन की बेला, सूरज, पालकी, साथी, गोरा और काला, अमन, गीत, गंवार, धरती, दो जासूस, साजन बिना सुहागन, साजन की सहेली, बिन फेरे हम तेरे, फूल आदि।