
29 साल बाद भी आंदोलन में शहीदों के स्वजन आज भी इंसाफ को भटक रहे हैं
मुजफ्फरनगर । 2 अक्टूबर 1994 को देवभूमि उत्तराखंड (Devbhoomi Uttarakhand) निर्माण के लिए अहिंसा दिवस (nonviolence day) पर हुए गोली कांड में सात आंदोलनकारियों की शहादत हुई थी और आंदोलनकारी महिलाओं से दरिंदगी किये जाने के भी इल्जाम लगे थे। रामपुर तिराहा कांड (Rampur Tiraha incident) के 29 साल बीतने के बावजूद आंदोलन में शहीदों के स्वजन आज भी इंसाफ को भटक रहे हैं।
उत्तराखंड (Uttarakhand) आंदोलनकारियोंने अक्टूबर 1994 में उत्तराखंड (Uttarakhand) निर्माण के लिए दिल्ली कूच का कार्यक्रम तय किया था। एक अक्टूबर को शाम के समय जैसे ही आंदोलनकारियों की गाड़ियां मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के छपार थाना (Chhapar police station) इलाके के रामपुर तिराहा (Rampur Tiraha) पर पहुंची तो बेरीकैडिंग कर रोक लिया गया।
पुलिस के रोके जाने से आंदोलनकारियों में गुस्सा पैदा हो गया। विरोध उग्र होता देख पुलिस ने फायरिंग कर दी। इसमें सात आंदोलकारी शहीद हुए और महिलाओं के साथ दरिंदगी की स्थानीय निवासियों ने आंदोलनकारियों की भरपूर मदद की थी।
दैनिक शाह टाइम्स अपने शहर के ई-पेपर पढने के लिए लिंक पर क्लिक करें
उत्तराखंड (Uttarakhand) की मांग को हुए संघर्ष में सात शहीद देहरादून (Dehradun) नेहरू कालोनी निवासी रविंद्र रावत उर्फ गोलू, भालावाला निवासी सतेंद्र चौहान, बदरीपुर निवासी गिरीश भदरी, अजबपुर निवासी राजेश लखेड़ा, ऋषिकेश निवासी सूर्यप्रकाश थपलियाल, ऊखीमठ निवासी अशोक कुमार और भानियावाला निवासी राजेश नेगी की मौत की तस्दीक हुई थी।
1995 में रामपुर तिराहा कांड (Rampur Tiraha incident) की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी गई थी। जांच कर सीबीआई ने 7 मामलों में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इनमें छह मुकदमे आज भी विचाराधीन हैं।
हाईकोर्ट (High Court) के हुक्म पर सीबीआई (CBI) ने आरोपितों पर दर्ज मुकदमों की विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। जिनमें सीबीआई (CBI) बनाम ब्रजकिशोर, सीबीआई बनाम राजवीर, सीबीआइ बनाम एसपी मिश्रा तथा सीबीआई बनाम राजेन्द्र सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में विचाराधीन हैं।
व्हाट्सएप पर शाह टाइम्स चैनल को फॉलो करें
जबकि महिलाओं से दरिंदगी से संबंधित सीबीआई बनाम राधामोहन द्विवेदी और सीबीआइ बनाम मिलाप सिंह अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश-7 शक्ति सिंह की कोर्ट में विचाराधीन हैं।
एडीजे-7 कोर्ट में दोनों मुकदमोंं की फाइल अप्रैल 2023 में ट्रांसफर की गई थी। सीबीआई बनाम मिलाप सिंह मामले में 28 वर्ष के दौरान केवल एक चश्मदीद की गवाही हो पाई थी। लेकिन एडीजे-7 कोर्ट में केस ट्रांसफर होने के बाद से मामले में तेजी आई और इस दौरान उक्त मुकदमा आखरी पड़ाव पर पहुंच गया है।







