
Rampur Tiraha incident Shah Times
बचाव पक्ष ने हथियार बरामद की को सही ठहराया
मुजफ्फरनगर, ( नदीम सिद्दीकी )। उत्तराखंड आंदोलनकारियों से हथियारों की बरामदगी दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर की आशंका पर हुई थी। पुलिस ने तलाशी में आंदोलनकारियों से अवैध हथियार बरामद किये थे। बचाव पक्ष ने हथियार बरामदगी को सही ठहराते हुए इस मामले में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर का दिया गया बयान सुबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया। अभियोजन की और से सीबीआइ ने तलाशी में हथियार बरामद करने वाले झिंझाना के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक से बहस की।
गौरतलब है कि 30 वर्ष पूर्व अलग राज्य गठन की मांग के लिए उत्तराखंड से हजारों आंदोलनकारियों ने कार और बसों से दिल्ली के लिए कूच किया था। जिन्हें थाना छपार क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया था। एक और दो अक्टूबर 1994 की रात को आंदोलन उग्र हो गया था। आरोप था कि पुलिस फायरिंग में 7 आंदोलनकारियों की मौत हुई। जबकि कई आंदोलनकारी महिलाओं से रेप की बात भी सामने आई थी। घटना के बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों की गाड़ियों की तलाशी लेकर उनसे भारी मात्रा में अवैध हथियार बरामद दिखाए थे। सीबीआई थाना झिंझाना एसएचओ के खिलाफ किया था मुकदमा मुजफ्फरनगर। आंदोलन से जुड़े दर्ज हुए अलग-अलग मुकदमों में सीबीआइ ने एक इस मामले की विवेचना कर हथियारों की बरामदगी फर्जी दिखाते हुए तलाशी लेकर बरामद हथियार छपार पुलिस को सौंपने वाले झिंझाना के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक ब्रजकिशोर सहित तीन पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया था। गुरुवार को घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन मयंक जायसवाल की कोर्ट में हुई। तत्कालीन झिंझाना एसएचओ ब्रजकिशोर कोर्ट में पेश हुए। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र शर्मा ने हथियार बरामदगी के मामले को सही ठहराया। उन्होंने चंडीगढ के डीजीपी और दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के दिये गए बयान की सर्टिफाइड कापी कोर्ट में पेश की। उन्होंने हथियार बरामदगी मामले को सत्य करार दिया। कोर्ट में तर्क दिया कि आंदोलनकारियों के दिल्ली कूच करने की खबर पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने पत्र जारी कर आशंका जताई थी कि आंदोलनकारी हथियार लेकर आ सकते हैं, इसलिए सभी की तलाशी ले ली जाए। आंदोलनकारियों की एक गाड़ी की फर्जी नंबर प्लेट मिलने पर एडवोकेट. सुरेन्द्र शर्मा ने तर्क दिया कि इसका यह कतई मतलब नहीं कि हथियारों की बरामदगी फर्जी तरीके से दिखाई गई थी। उन्होंंने तर्क दिया कि ऐसे आंदोलन मेंं जरूरी नहीं कि सभी गाड़ियों पर ओरिजिनल नंबर प्लेट लगी हो।