
India’s economy recorded a strong 8.2% real GDP growth in Q2 FY26, driven by manufacturing, services and rising consumption. — Shah Times
Shah Times विश्लेषण में जानिए किन सेक्टर्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, किन क्षेत्रों में सुस्ती रही और आगे की राह कैसी दिखती है।
Q2 FY26 में भारत की GDP 8.2% रही — पिछले वर्ष के 5.6% से अधिक
मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और इंफ्रा सेक्टर ने सबसे मजबूत प्रदर्शन किया
PFCE 7.9% तक बढ़ा — उपभोक्ता मांग वापस लौटी
कृषि क्षेत्र 3.5% पर धीमा रहा
H1 FY26 में औसत GDP ग्रोथ 8%
RBI का अनुमान (6.8%) भी पार हुआ
वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 8.2% की वास्तविक GDP वृद्धि दर्ज की। यह न सिर्फ पिछले वर्ष की समान अवधि (5.6%) से अधिक है बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत देती है। मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर की व्यापक भागीदारी ने इस गति को संभव बनाया।
NSO द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई–सितंबर तिमाही में भारत की GDP 48.63 लाख करोड़ रुपये रही। नॉमिनल GDP भी 8.7% बढ़कर 85.25 लाख करोड़ रुपये पहुंची। पिछले कुछ वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से घरेलू मांग, सर्विस सेक्टर और निवेश गतिविधियों पर आधारित रही है।
दूसरी तिमाही में सबसे बड़ा बदलाव मैन्युफैक्चरिंग की तेज रफ्तार है। पिछले साल जहां इस सेक्टर में सुस्ती थी, इस बार 9.1% की वृद्धि ने समग्र GDP को मजबूती दी। ग्रामीण मांग में सुधार, त्योहारों से पहले बढ़ी खपत और सरकारी पूंजीगत व्यय ने आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया।
Key Factors & Stakeholders
मैन्युफैक्चरिंग: 9.1% की वृद्धि — पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक।
कंस्ट्रक्शन: 7.2% की वृद्धि — इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का योगदान।
सर्विस सेक्टर: 9.2% — फाइनेंस, रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विसेज ने गति दी।
PFCE: निजी खपत 7.9% बढ़ी — असमान मानसून के बावजूद मजबूत मांग।
Agriculture: सिर्फ 3.5% — मॉनसून प्रभाव, कीमतों का दबाव और उत्पादन में सीमित वृद्धि।
Data & Trends
भारत की GDP में लगभग 60% योगदान निजी खपत का है। इस तिमाही में उपभोक्ता खर्च में साफ सुधार देखने को मिला। साथ ही, GVA ग्रोथ 8.1% रही जो व्यापक सेक्टोरल विस्तार का संकेत है। हालिया तिमाहियों में GST कलेक्शन मजबूत रहा है, जिसका असर आने वाले महीनों में और स्पष्ट होगा।
Political, Economic & Social Impact
आर्थिक रूप से यह संकेत निवेशकों और नीति निर्माताओं दोनों के लिए सकारात्मक है। मजबूत घरेलू मांग और स्थिर उपभोग रफ्तार से रोजगार, शहरी खपत और उद्योगों की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। हालांकि कृषि क्षेत्र की धीमी वृद्धि ग्रामीण आय और मुद्रास्फीति के लिए चुनौती बने रह सकती है।
Expert-like Interpretation
GDP के बेहतर प्रदर्शन में एक महत्वपूर्ण कारक है—मांग का वापस आना। पिछले वर्ष की तुलना में खर्चों में वृद्धि और उद्योगों की स्थिरता ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है। हालांकि, निजी निवेश सुस्त है और वैश्विक दबाव, जैसे US टैरिफ और कमजोर विश्व मांग, आगे चलकर चुनौतियां पैदा कर सकते हैं।
Comparative Perspective / Timeline
Q1 FY26: 7.8%
Q2 FY26: 8.2%
पिछले वर्ष Q2: 5.6%
FY26 H1 औसत: 8% (पिछले वर्ष 6.1%)
ध्यान देने वाली बात है कि पिछले छह तिमाहियों में यह सबसे तेज वृद्धि दर है।
सकारात्मक पक्ष:
व्यापक सेक्टोरल ग्रोथ
मजबूत घरेलू मांग
मैन्युफैक्चरिंग में तेज सुधार
सरकार का पूंजीगत खर्च
चुनौतियाँ:
कृषि क्षेत्र में धीमी वृद्धि
निजी निवेश अभी भी उम्मीद से कम
वैश्विक व्यापार दबाव
मौसम आधारित अनिश्चितता
यह तिमाही बताती है कि भारत की आर्थिक वृद्धि की असली ड्राइविंग फोर्स अब सिर्फ सर्विस सेक्टर नहीं बल्कि एक संतुलित संरचना बन रही है। खपत में सुधार और उद्योगों की सक्रियता दिखाती है कि घरेलू अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ रहा है। इसके बावजूद, आगे की राह में कृषि और वैश्विक स्थितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में मजबूत गति से आगे बढ़ी है। यह प्रदर्शन बताता है कि घरेलू मांग, उद्योगों की रफ्तार और सेक्टोरल विस्तार—आने वाले महीनों में वृद्धि की नींव तैयार कर रहे हैं। चुनौतियों के बावजूद भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ उभरती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।




